अदालत सात कॉलोनियों को दी गई पर्यावरण मंजूरी और सेवा शर्तों (टीओआर) को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय को एक पर्यावरण कार्यकर्ता ने मंगलवार को सूचित किया कि सरोजनी नगर समेत दक्षिण दिल्ली की सात कॉलोनियों की पुनर्विकास की प्रक्रिया को यातायात प्रबंधन योजना बनाए बिना ही शुरू कर दिया गया जो पर्यावरण मंजूरी लेने के लिए पहली शर्त है.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति ए जे भम्बानी की पीठ को बताया गया कि बड़े पेड़ों को काटे जाने की जगह पौधें लगाना पर्यावरण को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति नहीं है. इसके बाद अदालत ने केंद्र से 23 जनवरी 2019 को होने वाली सुनवाई में पर्यावरण कार्यकर्ता विमलेंदु झा की ओर से उठाए गए मुद्दों का निदान करने के लिए कहा.
पीठ ने कहा कि वह जानना चाहती है कि क्या निर्णय लेने में कोई गलती हुई है और दिल्ली के मास्टर प्लान में उल्लेखित प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ है? अदालत ने कहा कि सरकार भी इस पर दलीलें दे कि क्या पर्यावरण मंजूरी लेने के लिए यातायात योजना पहली शर्त है और क्या सरोजनी नगर, नेताजी नगर, त्यागराज नगर, कस्तूरबा नगर, मोहम्मदपुर, श्रीनिवासपुरी और नौरोजी नगर के पुनर्विकास को मूंजरी देने से पहले यह कवायद की गई थी?
अदालत सात कॉलोनियों को दी गई पर्यावरण मंजूरी और सेवा शर्तों (टीओआर) को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.