शाहीन बाग में प्रदर्शन की वजह से जाम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर SC में सुनवाई आज
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शाहीन बाग में प्रदर्शन की वजह से जाम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर SC में सुनवाई आज

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील संजय हेगडे और साधना रामाचंद्रन को वार्ताकार नियुक्त किया था.

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: शाहीन बाग ( shaheen bagh) में प्रदर्शन को लेकर सड़क जाम करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज सुनवाई करेगा. दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील संजय हेगडे और साधना रामाचंद्रन को वार्ताकार नियुक्त किया था.

इसके बाद पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. हलफनामे में कहा है कि शाहीन बाग में चल रहा विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण है लेकिन दिल्ली पुलिस ने शाहीन बाग के चारो ओर 5 रास्तों को बंद किया है जिससे लोगों को परेशानी हो रही है, अगर पुलिस इन रास्तों को खोल दे तो ट्रैफिक सामान्य हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि स्कूल वैन और एम्बुलेंस को पुलिस द्वारा चेकिंग के बाद जाने दिया जा रहा है.हलफ़नामे में कहा है कि सरकार को विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों से बात करनी चाहिए.

दरअसल, याचिका में कहा गया है कि इस विरोध प्रदर्शन की वजह से दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाली सड़क को बंद कर दिया गया है, जिससे लोगों को काफी मुश्किल हो रही है.याचिका में धरनों या विरोध प्रदर्शनों की वजह से लगने वाले पूर्ण प्रतिबंधों के संबंध में व्यापक और संपूर्ण दिशानिर्देश तय करने की मांग की गई है.

दिल्ली के पूर्व विधायक नंद किशोर गर्ग की ओर से अधिवक्ता शशांक देव सुधि के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों की जिद की वजह से प्रशासनिक मशीनरी को बंधक बनाया जा रहा है जिन्होंने दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली सड़क पर वाहनों और पैदल लोगों की आवाजाही बंद कर दी है.

याचिका में कहा गया है कि यह बेहद निराशाजनक है कि प्रदर्शनकारियों की गुंडागर्दी और उपद्रव के प्रति सरकारी मशीनरी चुप है और मूकदर्शक बनी हुई है जो लोकतंत्र के अस्तित्व व कानून के शासन को खतरा पैदा कर रहे हैं और कानून-व्यवस्था की स्थिति को पहले ही अपने हाथ में ले चुके हैं और शाहीन बाग का विरोध प्रदर्शन निश्चित तौर पर संवैधानिक मानकों के दायरे में है, लेकिन इस पूरे विरोध प्रदर्शन ने उस वक्त अपनी कानून वैधता खो दी जब परोक्ष उद्देश्य के लिए संविधान प्रदत्त संरक्षण का गंभीर रूप से उल्लंघन किया गया.

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