JNU में 'आलोचनात्मक सोच पर हमलों' पर वैज्ञानिक समुदाय ने जताई चिंता
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JNU में 'आलोचनात्मक सोच पर हमलों' पर वैज्ञानिक समुदाय ने जताई चिंता

जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार की मौजूदगी में ‘भारत में विज्ञान आंदोलन’ विषय पर चर्चा के दौरान रघुनंदन ने कहा कि समीक्षात्मक सोच पर हमले हो रहे हैं जो वैज्ञानिक स्वभाव के विचार का मूल है.

जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय की फाइल फोटो.

नई दिल्ली: ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क के डॉ रघुनंदन ने जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) जैसे शैक्षणिक संस्थानों में आलोचनात्मक सोच पर हो रहे हमलों पर चिंता जाहिर की और कहा कि पिछले चार साल में छद्म विज्ञान एवं विज्ञान विरोधी धारणाओं के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत सक्रियता से प्रयास किए जा रहे हैं. 

जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार की मौजूदगी में ‘भारत में विज्ञान आंदोलन’ विषय पर चर्चा के दौरान रघुनंदन ने कहा कि समीक्षात्मक सोच पर हमले हो रहे हैं जो वैज्ञानिक स्वभाव के विचार का मूल है. ये जेएनयू, आईआईटी मद्रास एवं आईआईटी बॉम्बे जैसे उच्च शिक्षण संस्थनों में हो रहा है. इससे न तो वैज्ञानिक स्वभाव को न ही विवेचनात्मक सोच को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कुमार ने की. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक एवं विज्ञान कुछ हद तक अलग-थलग पड़ गए हैं. वर्गीकृत शक्ति का ढांचा बनाया जा रहा है जिसमें जो वैज्ञानिक नहीं हैं उनका ‘अन्य’ के तौर पर वर्गीकरण किया जा रहा है. इन अन्य को अव्यवसायी, साधारण व्यक्ति भी कहा जाता है. 

उन्होंने कहा कि ज्ञान के हस्तांतरण का एकमात्र रास्ता चीजों को विकसित करना है और बाद में लोगों को बताना कि उनका विकास कैसे हुआ हालांकि कुछ वैज्ञानिक इस विचार से इत्तेफाक नहीं रखते. हाल ही में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान हुए विवाद का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि छद्म विज्ञान एवं विज्ञान विरोधी धारणाओं के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत सक्रियता से प्रयास किए जा रहे हैं और पिछले चार साल में यह अक्सर होते देखा गया.

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