पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘दिल्ली के कचरा भराव वाले स्थानों की सफाई और भलस्वा, गाजीपुर तथा ओखला में बडे कचरे को हटाने के लिये व्यापक समर्थन है. हालांकि ऐसा लगता है कि इस संबंध में कदम उठाने के प्रति प्राधिकारियों में इच्छा नहीं है.’’
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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार (12 दिसंबर) को दिल्ली में प्राधिकारियों को आड़े हाथ लेते हुये कहा कि ठोस कचरे के प्रबंधन के मसले के प्रति वे गंभीर नहीं है जो पूरे देश के लिए एक बड़ी समस्या है. न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन से ठोस कचरे के प्रबंधन के मसले पर समिति की अविलंब बैठक बुलाने का निर्देश देते हुये कहा कि इस बारे में राजधानी के लिये एक निश्चित कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए. पीठ ने कहा कि दिल्ली में ठोस कचरे के प्रबंधन के लिये कार्ययोजना और रणनीति देश के दूसरे राज्यों में भी अपनाई जा सकती है.
पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘दिल्ली के कचरा भराव वाले स्थानों की सफाई और भलस्वा, गाजीपुर तथा ओखला में बडे कचरे को हटाने के लिये व्यापक समर्थन है. हालांकि ऐसा लगता है कि इस संबंध में कदम उठाने के प्रति प्राधिकारियों में इच्छा नहीं है.’’ न्यायालय ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री से अनुरोध किया कि इस मामले में चार सप्ताह के भीतर बैठक बुलायी जाये.
पीठ ने कहा, ‘‘हम अपेक्षा करते हैं कि दिल्ली में ठोस कचरे के प्रबंधन के बारे में एक निश्चित कार्य योजना और रणनीति तैयार की जायेगी ताकि इसे देश के अन्य हिस्सों में भी अपनाया जा सके.’’ न्यायालय ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से कहा कि ठोस कचरा प्रबंधन का मसला दूसरे राज्यों के साथ भी उठाया जाये. न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई छह फरवरी के लिये स्थगित कर दी.
पीठ ने इस मामले में न्याय मित्र के रूप में न्यायालय की मदद कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गान्साल्विज और अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ए एन एस नादकर्णी के इस कथन का भी संज्ञान लिया कि ठोस कचरे के प्रबंधन का मसला सिर्फ दिल्ली का ही नहीं बल्कि देश के दूसरे हिस्सो का भी है.