जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन पर रोक के मामले में फैसला सुप्रीम कोर्ट आज आएगा फैसला
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जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन पर रोक के मामले में फैसला सुप्रीम कोर्ट आज आएगा फैसला

याची मजदूर किसान शक्ति संगठन और अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सेंट्रल दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने की इजाजत देने की मांग की है.

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना और प्रदर्शन पर रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार को अपना फैसला सुनाएगा. जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ सोमवार सुबह करीब 10:30 बजे फैसला सुनाएगी. दरअसल, याची मजदूर किसान शक्ति संगठन और अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सेंट्रल दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने की इजाजत देने की मांग की है. याचिकाकर्ता का कहना था कि साल 2017 अक्टूबर में NGT ने जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी, जबकि पूरी सेंट्रल दिल्ली में दिल्ली पुलिस की ओर से हमेशा के लिए धारा 144 लगाई गई है. ऐसे में लोगों के शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. याचिकाकर्ता का ये भी कहना था कि संविधान से मिले मौलिक अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता और दिल्ली पुलिस द्वारा लागू की गई धारा 144 मनमानी और गैरकानूनी है. याचिका में संगठन ने सुझाया है कि इंडिया गेट के पास बोट क्लब पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक तौर पर इजाजत दी जा सकती है. 

NGT ने धरने पर लगाई थी रोक
NGT ने साल 2017 में जंतर मंतर क्षेत्र में सभी तरह के प्रदर्शन और धरनों पर रोक लगा दी थी और कहा था कि गाय संरक्षण के नाम पर गौवंश और बैलगाड़ी लाना जंतर मंतर क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए मुश्किलों का सबब बनता है. प्रदर्शन स्थल प्रदर्शनकारियों के लिए जंग का मैदान बन गया है. NGT ने ये भी कहा था कि क्षेत्र प्रदर्शनकारियों द्वारा गंदगी फैलाने की स्थायी जगह बन गया है. नई दिल्ली नगर पालिका परिषद और पुलिस जैसी निकाय संस्थाएं जंतर-मंतर और इसके आस पास साफ सफाई रखने में नाकाम रही हैं. वे इलाके के लोगों के लिए शांतिपूर्ण और सहज जीवन सुनिश्चित करने में भी नाकाम रहे हैं और कुछ ऐसे प्रदर्शनकारी हैं, जो गाय संरक्षण के नाम पर जंतर-मंतर रोड पर बैलगाड़ियों के साथ गायों को लेकर आते हैं. जिससे बाशिंदों के लिए समस्या बढ़ जाती है. NGT ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों द्वारा इस क्षेत्र का लगातार इस्तेमाल वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1981 समेत पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन है.

क्या था पूरा मामला
NGT वरुण सेठ और अन्यों द्वारा दाखिल एक याचिका की सुनवाई कर रही थी. याचिका में आरोप लगाया गया था कि जंतर-मंतर पर सामाजिक समूहों, राजनीतिक पार्टियों, एनजीओ द्वारा किये जाने वाले आंदोलन और जुलूस क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत हैं. NGT ने अपने आदेश में कहा था कि इसके आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को शांतिपूर्ण और आरामदायक ढंग से रहने का अधिकार है और उनके आवासों पर प्रदूषण मुक्त वातावरण होना चाहिए. इस NGT के आदेश के खिलाफ मजदूर किसान शक्ति संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सेंट्रल दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने की इजाजत देने की मांग की थी.

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