केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को उनकी खुद की सरकार के तहत आने वाली सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की स्थिति को देखना चाहिए जिसमें 7,000 बसों की कमी है.
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नई दिल्ली: दिल्ली मेट्रो के आम आदमी की पहुंच से दूर होने पर अरविंद केजरीवाल के दुख जताए जाने के एक दिन बाद केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को इसके बजाय, उनकी खुद की सरकार के तहत आने वाली सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की स्थिति को देखना चाहिए जिसमें 7,000 बसों की कमी है.
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री पुरी ने कहा कि दुनिया में दिल्ली आज सबसे बड़ी चौथी मेट्रो प्रणाली है और यह दुनिया में कहीं भी पहली श्रेणी की संपत्ति और सबसे किफायती मेट्रो है.
उन्होंने कहा,‘मेरे अच्छे मित्र- दिल्ली के मुख्यमंत्री दुख व्यक्त कर रहे हैं कि कितने सारे लोग मेट्रो से दूर चले गये है. रिपोर्ट उन लोगों द्वारा बनाई गई है जो भरोसेमंद तो हैं लेकिन उनका एक एजेंडा है जहां वे एक रंग के साथ उसी रंग की तुलना नहीं कर रहे है. उन्होंने जो किया वे तथ्यों को पूरी तरह से गलत साबित कर रहे थे.’
पुरी ने कहा,‘‘अगर कोई दुखी होना चाहते हैं, तो उन्हें इस तथ्य को लेकर दुखी होना चाहिए कि दिल्ली में अन्य सार्वजनिक परिवहन में लगभग 7,000 बसों की कमी है जबकि वह सरकार के अंतर्गत आती है और उसे 11,000 बसों की मंजूरी है.
सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरनमेंट (सीएसई) के हाल के एक अध्ययन में कहा गया है कि पिछले साल किराया बढ़ाए जाने के बाद दिल्ली मेट्रो दुनिया भर के शहरों में दूसरी सबसे महंगी सेवा हो गई है, जो एक ट्रिप के लिए आधा डॉलर से कम किराया लेती है.
इस अध्ययन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केजरीवाल ने बुधवार को कहा था कि यह ‘‘बेहद दुखद’’ है कि परिवहन का एक महत्वपूर्ण साधन आम लोगों की पहुंच से दूर हो गया है.
हालांकि डीएमआरसी ने सीएसई की रिपोर्ट बुधवार को खारिज कर दी थी जिसमें यह भी दावा किया गया है कि दिल्ली मेट्रो में इस साल उम्मीद से करीब 32 प्रतिशत कम यात्रियों ने यात्रा की है. दिल्ली मेट्रो ने कहा है कि इसके शुरूआती अनुमान में फेज - 3 भी शामिल है जिसका अभी परिचालन शुरू नहीं हुआ है.
(इनपुट - भाषा)