मूल्यों, परंपराओं और दर्शन की सकारात्मकता समाज को प्रदान करें शिक्षक: सुरेश सोनी
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मूल्यों, परंपराओं और दर्शन की सकारात्मकता समाज को प्रदान करें शिक्षक: सुरेश सोनी

 राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सह-सरकार्यवाह सुरेश सोनी ने शनिवार को कहा कि शिक्षकों को भारतीय संस्कृति के मूल्यों, परंपरा और दर्शन के सकारात्मक पक्ष को समाज के बीच ले जाना चाहिए.

दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज में मकर संक्रान्ति और लोहड़ी मिलन समारोह आयोजित.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सह-सरकार्यवाह सुरेश सोनी ने शनिवार को कहा कि शिक्षकों को भारतीय संस्कृति के मूल्यों, परंपरा और दर्शन के सकारात्मक पक्ष को समाज के बीच ले जाना चाहिए. भारतीय संस्कृति में शिक्षकों की भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि शिक्षकों ने हमेशा समाज को नई दिशा देने का काम किया है. उन्होंने कहा कि कई विद्वान विदेशी नजरिए से भारत को मूल्यांकन करते है जो कि ठीक नहीं है. भारत का मूल्यांकन भारतीय दृष्टि से किया जाना चाहिए. दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह-सरकार्यवाह सुरेश सोनी ने
 मकर संक्रान्ति और लोहड़ी मिलन समारोह में शनिवार को हिस्सा लिया.

  1. गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज में मकर संक्रान्ति और लोहड़ी मिलन समारोह
  2. कार्यक्रम को RSS सह-सरकार्यवाह सुरेश सोनी ने किया संबोधित
  3. कहा, सकारात्मक पक्ष को समाज के बीच ले जाना चाहिए

नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) की ओर से मकर सक्रांति और लोहड़ी के वार्षिक मिलनोत्सव का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में 'वर्तमान परिदृश्य में शिक्षकों की भूमिका' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह-सरकार्यवाह सुरेश सोनी ने अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि कई विद्वान विदेशी नजरिए से भारत को मूल्यांकन करते हैं, जो कि ठीक नहीं है. भारत का मूल्यांकन भारतीय दृष्टि से किया जाना चाहिए. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि इतिहास को भारतीय दृष्टि से परखने की जरूरत है.

सुरेश सोनी ने मकर सक्रांति को प्रकाश से जोड़ते हुए बताया कि सभी कुछ काल में घटित होता है. मकर सक्रांति में अन्धकार कम होता है और प्रकाश बढ़ता है. उन्होंने कहा कि यह द्वंद्व का समय है. यह द्वंद्व भारत और विश्व दोनों के स्तर पर है. आज विभिन्न अवधारणाओं, मूल्यों और व्यवस्थाओं का संघर्ष विश्व में चल रहा है. भारत की एकता, सांस्कृतिक जड़ें और राष्ट्रवाद मजबूत होने लगा है. इस मजबूती को उत्तर-भारत से लेकर दक्षिण भारत तक हर जगह महसूस किया जा रहा है. 

'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद देश की धारा का संवाहक है'
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य इंद्रमोहन कपाही ने मकर संक्रांति को  वैज्ञानिक आधार से जोड़ते हुए इस पर्व को प्रकाश का प्रतीक बताया. एनडीटीएफ के अध्यक्ष डॉ. अजय भागी ने इस अवसर पर  विश्वविद्यालय प्रशासन से स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया को तीव्र करने, पेंशन और प्रमोशन की समस्याओं को जल्द सुलझाने का आह्वान किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ.वी एस नेगी ने किया. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षकों ने भागीदारी की.

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