प्रदूषण: परिवहन मंत्री बोले,'जरूरत पड़ने पर दिल्ली में लागू किया जाएगा ऑड-ईवन'
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प्रदूषण: परिवहन मंत्री बोले,'जरूरत पड़ने पर दिल्ली में लागू किया जाएगा ऑड-ईवन'

पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने में बढ़ोतरी के साथ ही दिल्ली में मंगलवार को इस मौसम में पहली बार वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ स्थिति में चली गई थी.

 

 

कैलाश गहलोत ने कहा कि निजी गाड़ियों को नियंत्रित करने के संबंध में उन्हें उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) से कोई सूचना नहीं मिली.   (फाइल फोटो- पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने बुधवार को कहा कि वह शहर की खराब होती वायु गुणवत्ता से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है. उसके पास आपात योजना है और जरुरत पड़ने पर ओड-ईवन (सम-विषम) लागू किया जाएगा.

पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने में बढ़ोतरी के साथ ही दिल्ली में मंगलवार को इस मौसम में पहली बार वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ स्थिति में चली गई थी.  इसके बाद अधिकारियों को निर्माण गतिविधियों तथा एक से 10 नवंबर तक कुछ उद्योगों को बंद करने जैसे उपाय करने पड़े. नवंबर के शुरुआती दिनों में वायु गुणवत्ता के खराब होने का अंदेशा है.

'जीआरपी के तहत उपाय करने के लिए तैयार है सरकार'
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा, ‘दिल्ली सरकार ग्रेडेड रिसपांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत उपाय करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं जिसमें ओड-ईवन को लागू करना भी शामिल है. उन्हें जरूरत पड़़ने पर लागू करेंगे.’ जीआरएपी एक आपात योजना है जिसमें प्रदूषण से निपटने के लिए 15 अक्टूबर से लागू किया गया है. योजना में शहर की वायु गुणवत्ता के अनुरूप उपाय हैं.

मंत्री ने कहा कि निजी गाड़ियों को नियंत्रित करने के संबंध में उन्हें उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) से कोई सूचना नहीं मिली.

सरकार ने 2016 में एक से 15 जनवरी और 15 से 30 अप्रैल के बीच दो बार ओड ईवन योजना को लागू किया था. इस योजना के तहत एक दिन सम नंबर वाली गाड़ियां चलती हैं जबकि दूसरे दिन विषम नंबर वाले वाहन सड़कों पर उतरते हैं.

निजी वाहनों के इस्तेमाल से बचें : EPCA
वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकार (ईपीसीए) ने दिल्लीवासियों से नवंबर के शुरूआती 10 दिनों तक सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने का अनुरोध किया है. दरअसल, इस अवधि के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में वायु की गुणवत्ता और अधिक खराब होने की संभावना है. दिल्ली - एनसीआर में निजी वाहनों से 40 प्रतिशत प्रदूषण होने का जिक्र करते हुए ईपीसीए ने लोगों से इस अवधि के दौरान निजी वाहनों का इस्तेमाल कम करने और सार्वजनिक वाहनों या परिवहन के अन्य साधनों का उपयोग करने का अनुरोध किया है. 

ईपीसीए ने लोगों से इस अवधि के दौरान निजी वाहनों का इस्तेमाल नहीं करने का अनुरोध किया है, ताकि प्रदूषण को और अधिक बढ़ने से रोका जा सके. इसने एक बयान में कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हम कूड़ा नहीं जलाएंगे और हम कूड़ा जलाए जाने और अन्य प्रकार के प्रदूषण की घटनाओं के बारे में सीपीसीबी के फेसबुक / ट्विटर अकाउंट पर सूचना देंगे. 

ईपीसीए ने एक बयान में कहा है कि यह जरूरी है कि हम इस वक्त हम प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों को नियंत्रित करें ताकि संकट का प्रबंधन हो सके. इसने एक से 10 नवंबर के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) नीत एक कार्यबल की सिफारिश स्वीकार की है.

ईपीसीए ने उठाए कई कदम
ईपीसीए ने कहा है कि एक से 10 नवंबर तक दिल्ली और एनसीआर के जिलों में सारे ‘स्टोन क्रशर’ संयंत्र बंद रहेंगे. कोयला एवं बायोमास का ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने वाले सभी उद्योग चार से 10 नवंबर तक बंद रहेंगे. 

इसने यह भी कहा कि डीजल से चलने वाले जेनरेटर सेट दिल्ली में 15 अक्टूबर से प्रतिबंधित कर दिए गए हैं. बदरपुर बिजली संयंत्र को भी 15 अक्टूबर से बंद कर दिया गया है. 

ईपीसीए ने हरियाणा, पंजाब और दिल्ली की सरकारों को पत्र लिख कर एनसीआर में ईंट भट्ठों को एक से 10 नवंबर तक बंद रखने को कहा है. मुंडका का औद्योगिक क्षेत्र एक से 10 नवंबर तक बंद रहेगा. 

(इनपुट - भाषा)

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