हरियाणा विधानसभा चुनाव में BJP को नुकसान क्यों हुआ? 5 पॉइंट्स में आसानी से समझें
हरियाणा में कैप्टन अभिमन्यु और रामविलास शर्मा समेत कई मंत्री चुनाव हार गए हैं. स्टार का जादू भी नहीं चला.
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नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly election 2019) की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है. बीजेपी 40 सीट पर सिमट गई है. यानी बहुमत से 6 सीट दूर रह गई है. कैप्टन अभिमन्यु (Captain Abhimanyu) और रामविलास शर्मा (Ram vilas Sharma) समेत कई कैबिनेट मंत्री चुनाव हार गए हैं. प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला (Subhash Barala) को भी हार का मुंह देखना पड़ा. उन्होंने आनन-फानन में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. स्टार का जादू भी नहीं चला. योगेश्वर दत्त (बरौदा), बबीता फोगाट (दादरी) और सोनाली फोगाट (आदमपुर) को भी जनता का आशीर्वाद नहीं मिला. हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों और रुझान में जनता ने बीजेपी को संदेश दिया है कि सिर्फ मोदी के भरोसे नहीं बल्कि राज्य सरकारों को भी काम करना पड़ेगा. वहीं, विपक्ष को इस चुनाव में संजीवनी मिल गई है.
सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर बीजेपी इतना नुकसान क्यों हुआ? आइए बीजेपी को हुए नुकसान के कारणों पर एक नजर डाल लेते हैं.
1. जाटों की नाराज़गी महंगी पड़ी
हरियाणा चुनाव में जाट फैक्टर अहम है. प्रदेश में करीब 25% जाट वोटर हैं. 30 से ज्यादा सीटों पर उनका असर है. सरकार बनाने में अहम योगदान देते हैं. बीजेपी को हरियाणा में जाटों की नाराजगी भारी पड़ी. मनोहर लाल खट्टर पंजाबी हैं, उन्हें मुख्यमंत्री बनाने से जाटों में नाराज़गी दिखी. यह नाराजगी चुनाव में देखने को मिली. रही सही कसर, टिकट बंटवारे में जाटों की अनदेखी ने पूरी कर दी. विधानसभा के लिए टिकट बंटवारे में 80% टिकट गैर-जाटों को दिए गए. इससे जाट समुदाय का गुस्सा वोट में निकला. उसकी कीमत बीजेपी को चुकानी पड़ी.
2. सीएम मनोहर लाल को लेकर लोगों में नाराजगी
हरियाणा में सीएम मनोहरलाल खट्टर के प्रति लोगों में नाराजगी का खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा है. बतौर मुख्यमंत्री मनोहर लाल जनता को स्वीकार नहीं. मनोहर के नेतृत्व में बीजेपी की ताकत घटी. यह भी बीजेपी के कमजोर प्रदर्शन की एक वजह बनी. मनोहर पर विपक्ष के आरोपों पर लोगों ने भरोसा जताया है.
3. बागियों की वजह से पार्टी को नुकसान
हरियाणा चुनाव में बागियों ने ही बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया. 5 से ज्यादा सीटों पर बीजेपी के बागियों को जीत मिली है. पृथला, दादरी, महम, पुंडरी और बादशाहपुर में बीजेपी के बागियों ने निर्दलीय चुनाव लड़कर बीजेपी को बहुमत से दूर कर दिया. फरीदाबाद की पृथला सीट से नयन पाल रावत, दादरी से सोमबीर सांगवान, महम से बलराज कुंडू, पुंडरी से रणधीर सिंह गोलन और बादशाहपुर से राकेश दौलताबाद ने जीत हासिल की. टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी कैडर में असंतोष रहा.
4. सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस की वापसी
सोनिया गांधी ने विधानसभा चुनाव के कुछ समय पहले ही हरियाणा में नेतृत्व परिवर्तन किया. अशोक तंवर से प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से उतारकर कुमारी शैलजा को जिम्मेदारी सौंपी. भूपेंदर सिंह हुड्डा को चुनाव प्रचार की कमान सौंपी. हुड्डा ने जाट राजनीति का ताना-बाना बुनते हुए कमजोर कांग्रेस में जान फूंक दी और पार्टी को उम्मीद से ज्यादा सीटें दिला दीं.
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5. नई पार्टी JJP की अनदेखी बीजेपी को भारी पड़ी
बीजेपी को नई नवेली पार्टी जननायक जनता पार्टी की अनदेखी की. बीजेपी को अति आत्मविश्वास का नुकसान उठाना पड़ा. हरियाणा में 'जननायक जनता पार्टी' ने सभी को चौंकाते हुए 10 सीटें हासिल की हैं. इस तरह से सत्ता की चाबी उसके पास है. दुष्यंत चौटाला किंगमेकर बनकर उभरे हैं. सूत्रों के मुताबिक, जेजेपी ने बीजेपी को समर्थन देने का फैसला किया है.
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