दिव्यांग दोस्त के लिए इस छात्र ने वेस्ट मटेरियल से बना दिया कृत्रिम रोबोटिक हाथ
अंकित के अविष्कार के चर्चे हिसार से लेकर दिल्ली तक और दिल्ली से लेकर जापान तक हुए है.
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हिसार: कहा जाता है कि आवश्यकता अविष्कार की जननी है. इसे सच कर दिखाया है हरियाणा के हिसार के 12वीं कक्षा एक छात्र अंकित चावला ने. वहीं, अंकित ने इसे अपनी नहीं, बल्कि अपने दोस्त की आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक अविष्कार कर दिया. दरअसल, अंकित ने अपने दोस्त रवि का 4 साल की उम्र में एक हादसे के दौरान हाथ कट गया था. अंकित ने अपने दोस्त की मदद करने की दृढ़ इच्छा से एक रोबोटिक हाथ तैयार किया और अपने दोस्त का सपना पूरा कर दिया.
दरअसल, अंकित के दोस्त रवि ने 4 साल की उम्र में चारा काटने की मशीन में हाथ आ जाने से उसने अपना बायां हाथ खो दिया था. अंकित अपने दोस्त को बाजार से मिलने वाले कृत्रिम अंग लेने की सलाह देता था. लेकिन, रवि के पिता की आर्थिक हालात ठीक नहीं थी. बाजार से मिलने वाले रोबेटिक हाथ की कीमत करीब 2 लाख तक की होती है. इसी बीच 10वीं में उसे साइंस के एक प्रोजेक्ट पर काम करना था. अंकित चावला ने अपने टीचर से सलाह की और एक ऐसे टॉरगेट को चुन लिया, जिसमें ना सिर्फ वो अपना प्रोजेक्ट पूरा कर पाएं बल्कि रवि की मदद भी कर पाएं. अंकित का टॉरगेट था सस्ता रोबोट हैंड बनाने का.
वेस्ट मटेरियल से बनाया हाथ
अंकित ने जो टॉरगेट अपने दोस्त के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए रखा था, उसे उसने हासिल कर लिया है. अंकित ने यह हाथ वेस्ट मटेरियल से बनाया है. एक अनुमान के मुताबिक देश में 97 फीसद दिव्यांग ऐसे हैं, जो रोबोटिक हाथ जैसे महंगे उपकरण खरीदने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में अंकित के द्वारा बनाए गए इस हाथ की कीमत उन सभी के लिए वरदान से कम नहीं है, जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण कृत्रिम अंग नहीं खरीद पाते हो. अंकित ने बताया कि इसे बनाने में मैटल की रॉड, बाजार से मिलने वाले सस्ते तीन गीयर्ड मोटर, सर्जिकल दस्ताने, दरवाजे में लगने वाले कब्जे सहित वेस्ट माना जाने वाले सामान को ही इस्तेमाल किया गया है. इसकी कीमत बाजार में 1500 से 2000 रुपये के बीच है.
चम्मच पकड़ना हो या मोबाइल का टच चलाना हो नो टेंशन
अंकित कहते है कि रोबोटिक हाथ की ग्रिप अच्छी है. वो इसे टाइम टू टाइम मॉडिफाई करते रहे हैं. शुरू में यह साधारण तौर पर बना था लेकिन, अब इसकी अंगुलियां हिलती है. यह मुड़ता भी है. इससे होने वाले कामकाज के बारे में अंकित चावला ने बताया कि अगर आपको टचस्क्रीन मोबाइल चलाना है, तो यह आसानी से काम करता है. इतना ही नहीं, लिखना-खाना खाने के लिए चम्मच उठाने से लेकर जूते के फीते बांधने जैसे कामकाज की अब मानों नो टेंशन.
दिल्ली से जापान तक हुए चर्चे
अंकित के अविष्कार के चर्चे हिसार से लेकर दिल्ली तक और दिल्ली से लेकर जापान तक हुए है. अंकित ने हाल ही में हिसार के गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में आयोजित साइंस एन्कलेव में अपने इस मॉडल का प्रदर्शन किया और पहला स्थान हासिल किया. अंकित के इस मॉडल को मई में जापान के साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग की ओर से आयोजित होने वाले सकुरा साइंस एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए आमंत्रित किया गया है. इससे पहले 14-15 फरवरी को आईआईटी में राष्ट्रीय इंस्पायर अवार्ड के लिए भी इस मॉडल को प्रदर्शित कर चुका है.
बीटेक करके देश के लिए अविष्कार करने का टॉरगेट
अंकित के पिता हिसार में किचन वेयर का बिजनेस करते हैं. माता गृहणी हैं. जबकि, एक बहन सरकारी कॉलेज में पढ़ाई करती है. अंकित का लक्ष्य बीटेक करके ऐसे और भी अविष्कार कर देश के लोगों का सहारा बनने का है. आपको बता दें कि देश में लेबर तबके के लोग विभिन्न घटनाओं में अपने अंग खो देते हैं. ये लोग बाजार में उपलब्ध महंगे उपकरणों को नहीं खरीद पाते. ऐसे में अंकित की यह खोज उन लोगों के लिए वरदान ही है.