Delhi HC on Vande Mataram: 'वंदे मातरम को मिले राष्ट्रगान जैसा दर्जा', दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को भेजा नोटिस
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Delhi HC on Vande Mataram: 'वंदे मातरम को मिले राष्ट्रगान जैसा दर्जा', दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को भेजा नोटिस

Delhi High Court Order: मामले में नोटिस जारी करते हुए कार्यवाहक चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस सचिन दत्ता की अगुआई वाली बेंच ने केंद्र सरकार को 6 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है. दलीलें सुनने के बाद बेंच ने मामले की सुनवाई के लिए 9 नवंबर की तारीख तय की.

दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस

Delhi HC on Vande Mataram: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभाने वाली कविता 'वंदे मातरम' को 'जन गण मन' के साथ 'समान' दर्जा देने वाली याचिका पर केंद्र को अपना रुख बताने को कहा है. बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से यह जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की गई है. इसमें केंद्र, दिल्ली सरकार समेत अन्य उत्तरदाताओं यह निर्देश देने को कहा गया है कि 'जन गण मन' और 'वंदे मातरम' हर वर्किंग डे पर एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स और स्कूलों में बजाए और गाए जाएं.

मामले में नोटिस जारी करते हुए कार्यवाहक चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस सचिन दत्ता की अगुआई वाली बेंच ने केंद्र सरकार को 6 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है. उपाध्याय की दलीलें सुनने के बाद बेंच ने मामले की सुनवाई के लिए 9 नवंबर की तारीख तय की.

'विकृत तरीके से बजाया जा रहा वंदे मातरम'

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि कोई दिशा-निर्देश नहीं हैं और 'वंदे मातरम' विकृत तरीके से बजाया जा रहा है जो संविधान सभा में डॉ राजेंद्र प्रसाद की ओर से दिए गए बयान के विपरीत है. जनहित याचिका में कहा गया कि 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा था, "एक मामला है जो चर्चा के लिए लंबित है, वह है राष्ट्रगान का सवाल. एक समय यह सोचा गया था कि इस मामले को सदन के सामने लाया जा सकता है और सदन की ओर से एक संकल्प के रूप में फैसला लिया जा सकता है, लेकिन यह महसूस किया गया है कि संकल्प के जरिए औपचारिक फैसला लेने के बजाय, राष्ट्रगान के संबंध में एक बयान देना बेहतर है."

1896 में टैगोर ने गाया था वंदे मातरम

याचिका में कहा गया कि रबींद्रनाथ टैगोर ने कलकत्ता कांग्रेस के सत्र में 1896 में वंदे मातरम गाया था. दक्षिणाचरण सेन ने पांच साल बाद 1901 में कलकत्ता में हुए कांग्रेस के अन्य सत्र में इसे गाया. 1905 में सरला देवी चौधरानी ने कांग्रेस के बनारस सत्र में वंदे मातरम गाया था. लाला लाजपत राय ने लाहौर में 'वंदे मातरम' नाम से अखबार शुरू किया था.

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