Marital Rape पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित, केंद्र को और समय देने से इनकार
Advertisement
trendingNow11104619

Marital Rape पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित, केंद्र को और समय देने से इनकार

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) के मुद्दे पर चल रही सुनवाई में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 2 मार्च की तय की है. 

प्रतीकात्मक तस्वीर

Marital Rape: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) को अपराध घोषित करने के मुद्दे पर केंद्र सरकार के रवैये पर अपनी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने सोमवार को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए और समय देने से इनकार कर दिया. साथ ही इस संबंध में दायर विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. 

  1. रेप के मामलों में नाबालिग आरोपियों की संख्या बढ़ी
  2. मुंबई में क्राइम का दिख रहा नया ट्रेंड
  3. रेप केस में कहीं ये वजह तो नहीं

कोर्ट ने केंद्र के रवैये पर जताई नाराजगी

सोमवार को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने दलील दी कि उसने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस मुद्दे पर उनकी राय के लिए पत्र भेजा है. इसलिए जब तक उनकी राय नहीं मिल जाती, तब तक कार्यवाही स्थगित कर दी जाए. जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी. हरि शंकर की पीठ ने कहा कि जारी सुनवाई को स्थगित करना संभव नहीं है. केंद्र की परामर्श प्रक्रिया कब पूरी होगी, इस संबंध में कोई निश्चित तारीख नहीं है. 

मैरिटल रेप पर फैसला रखा सुरक्षित

अदालत (Delhi High Court) ने कहा कि वह विषय पर बहस को बंद रही है. पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रखा जाता है. कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 2 मार्च की तारीख तय की है. कोर्ट ने कहा कि इस अवधि के बीच में विभिन्न पक्षों के वकील अपनी लिखित दलीलें जमा कर सकते हैं. 

मामले को लटके नहीं रहने देना चाहते- कोर्ट

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले का सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा. इसलिए केंद्र सरकार का रुख राज्यों और अन्य हितधारकों से विचार-विमर्श के बाद ही सामने आ सकता है. पीठ ने कहा, ‘अदालत इस मामले को इस तरह लटके नहीं रहने दे सकती. आप अपनी विमर्श प्रक्रिया जारी रखें. हम सुनेंगे और अपना फैसला सुरक्षित रखेंगे. लेकिन यदि आप यह कहते हैं कि अदालत को मामले को अंतहीन अवस्था के लिए स्थगित कर देना चाहिए तो ऐसा नहीं होगा.’

किसी को निर्णय लेने की जरूरत- दिल्ली हाई कोर्ट

पीठ (Delhi High Court) ने आगे कहा कि जब शीर्ष अदालत में आईपीसी की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) और व्यभिचार के मामले आए तो अदालत ने सुनवाई जारी रखी. जस्टिस शकधर ने कहा, 'जितना अधिक मैं इसके बारे में सोचता हूं, उतना ही मुझे विश्वास होता जाता है कि आपको एक रुख अपनाना होगा और इसे बंद करना होगा. हम ज्ञान के अंतिम भंडार नहीं हैं. किसी को इस बारे में निर्णय लेने की जरूरत है.’ 

ये भी पढ़ें- मुंबई: कम उम्र में रेप जैसी घिनौनी वारदातों को अंजाम दे रहे नाबालिग, 3 साल के आंकड़ों ने डराया

केंद्र ने किया था सुनवाई टालने का आग्रह

बताते चलें कि हाई कोर्ट भारत में बलात्कार कानून (Marital Rape) के तहत पतियों को दी गई छूट को खत्म करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने 7 फरवरी को हुई सुनवाई में केंद्र को अपना पक्ष रखने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था. वहीं केंद्र ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट से याचिकाओं पर सुनवाई टालने का आग्रह किया था. 

LIVE TV

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news