आज दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने मानसिक रूप से बीमार बेघर लोगों के कोरोना टेस्ट की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की.
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नई दिल्ली: आज दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने मानसिक रूप से बीमार बेघर लोगों के कोरोना टेस्ट की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि मानसिक रूप से बीमार बेघर लोगों का कोविड-19 (COVID-19) टेस्ट स्वास्थ्य मंत्रालय कराए. इन बेघर बीमार लोगों के पास कोई पहचान पत्र नहीं है. इसके बाद भी स्वास्थ्य मंत्रालय हर वो कदम उठाए जिससे इन लोगों का कोविड-19 टेस्ट हो सके.
याचिकाकर्ता गौरव बंसल ने कोर्ट को जानकारी दी कि आईसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक, कोविड-19 टेस्ट कराने वाले शख्स के पास आइडेंटिटी यानी पहचान पत्र होना बहुत आवश्यक है. बिना पहचान पत्र के कोविड-19 टेस्ट नहीं हो सकता जिसके बाद कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा कि हर वो कदम उठाए जिससे कि इन बेघर लोगों का कोविड टेस्ट हो सके.
कोर्ट ने आईसीएमआर द्वारा कोरोना टेस्ट के लिए पहचान पत्र को अनिवार्य बनाने की शर्त पर चिंता जाहिर की.
याचिका में कहा गया है कि इन बेघर लोगों के पास पासपोर्ट फोटो तक नहीं है तो पहचान साबित करने के लिए अन्य दस्तावेज कहां से लाएंगे? ऐसी सूरत में तुरंत एक ऐसा तंत्र बनाने की जरूरत है जिससे इनका टेस्ट हो सके.
सुनवाई के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को मामले पर 2 हफ्ते के भीतर एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट अब मामले में अगली सुनवाई 7 अगस्त को करेगी.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और वकील गौरव बंसल ने कोर्ट से कहा कि ICMR का हलफनामा साफ दर्शाता है कि बेघर मानसिक बीमार लोगों के कोरोना टेस्ट कैसे हो इसका अंदाजा ICMR को है ही नहीं.
बंसल ने आगे कहा कि ICMR की 19 जून 2020 को जारी गाइडलाइंस कोविड सेंटर पर टेस्ट के लिए आने वाले लोगों के पहचान पत्र जरूरी होने पर जोर देती है, लेकिन ऐसे दस्तावेज इन लोगों के पास होना संभव ही नहीं है क्योंकि उनकी कोई पहचान ही नहीं है.
बंसल ने कोर्ट को बताया कि ऐसे लोगों का इलाज करने वाले दिल्ली के सरकारी अस्पताल IHBAS ने भी एक हलफनामा दाखिल कर कहा है कि ICMR की मौजूदा गाइडलाइंस की वजह से उन्हें भी मानसिक रूप से बीमार बेघर मरीजों की कोरोना टेस्टिंग करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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