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नई दिल्ली: राजधानी समेत पूरे एनसीआर के क्षेत्र में वायु प्रदूषण (Air Pollution) इस वक्त की सबसे बड़ी समस्या बन गया है. दिल्ली में तो प्रदूषण की वजह से स्कूल तक बंद करने पड़े और सरकारी कर्मियों को वर्क फ्रॉम होम (WFH) पर भेजा गया है. लेकिन ऐसा क्या है कि बीजिंग ने अपने प्रदूषण को कंट्रोल (Pollution Control Measures) कर लिया और दिल्ली इस मामले में पिछड़ रहा है?
अगर चीन की राजधानी बीजिंग (Beijing) का प्रदूषण कम हो सकता है तो भारत की राजधानी दिल्ली में ऐसा क्यों नहीं हो सकता. चीन ने ऐसा क्या किया कि वहां प्रदूषण के हालात पहले से बेहतर हुए हैं. साल 2012 तक चीन के 90 प्रतिशत शहर स्मॉग में लिपटे रहते थे, लेकिन चीन ने साल 2013 में नेशनल एक्शन प्लान ऑन एयर पॉल्यूशन लागू किया.
इस प्लान के तहत चीन ने अपने कारखानों को बड़े शहरों से शिफ्ट किया. देश में कोयले का इस्तेमाल काफी घटाने पर काम किया और खराब हो चुकी गाड़ियों को सड़कों से हटाया गया. साथ ही बड़े शहरों में कारों की संख्या भी कम की गई. चीन ने इसके अलावा वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कोयला आधारित नए प्लांट्स को मंजूरी देनी बंद कर दी.
एक्शन प्लान के तहत बड़े शहरों में एयर प्यूरीफायर (Air Purifier) लगाए गए और लो कार्बन सिटीज बनाई गईं. इन शहरों में प्रदूषण का स्तर 50 फीसदी तक घटाने के लक्ष्य के साथ काम किया गया. चीन का मकसद 2025 तक प्रदूषित शहरों के PM 2.5 को 10 प्रतिशत तक घटाने का है और कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emissions) को 2020 के मुकाबले 18 प्रतिशत कम करने का है.
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ऐसा नहीं है कि चीन में प्रदूषण बिल्कुल खत्म हो गया है. वहां अभी भी येलो अलर्ट जारी किया जाता है लेकिन पिछले सालों के मुकाबले अब वहां प्रदूषण काफी कम हो रहा है. दिसंबर 2015 में बीजिंग की एयर क्वालिटी 291 थी, तब वहां पहली बार प्रदूषण की वजह से रेड अलर्ट जारी किया गया था. इसके बाद से चीन ने प्रदूषण कम करने पर काम किया. नवंबर 2021 में चीन के बीजिंग में एयर क्वालिटी 90 से 150 के बीच है, सुधार की कोशिशें जारी हैं.
वहीं भारत की राजधानी दिल्ली में इस वक्त एयर क्वालिटी 400 से ऊपर है. साल 2015 में भी हालात इतने ही खराब थे. प्लान तो हमारे पास भी है जिसका नाम है नेशनल क्लीन एयर प्लान. इस योजना को 2019 लाया गया था जिसके तहत 122 प्रदूषित शहरों की हवा में सुधार लाने के लिए कदम उठाए जाने थे.
योजना का लक्ष्य था कि 2024 तक पार्टिकुलेट मैटर यानी PM 2.5 और PM 10 के कणों में 20 से 30 प्रतिशत का सुधार लाया जाएगा. साल 2017 के मुकाबले ये सुधार लाया जाना तय हुआ था. नवंबर 2017 में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 350 से 400 के बीच था और नवंबर 2021 में ये स्तर 400 के पार है. साल 2024 में तीन साल का ही वक्त बाकी है लेकिन लक्ष्य अब भी काफी दूर है.