दिल्ली में ज़हरीली हवा पर कब जागेगी सरकार? जी हां, ये सवाल इसलिए क्योंकि दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सरकारें और नेता सुस्त है लेकिन सुप्रीम कोर्ट सख्त है.
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नई दिल्ली: दिल्ली में ज़हरीली हवा (Delhi air Pollution) पर सरकारें कब जागेंगी? जी हां, ये सवाल इसलिए क्योंकि दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सरकारें और नेता सुस्त है लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सख्त है. सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर बढ़ते प्रदूषण पर दिल्ली सरकार
(Delhi Govt) को फटकार लगाई और पूछा कि जब प्रदूषण स्तर अपने चरम पर है और आपने ऑड-ईवन (ODD-EVEN) लागू किया है तो इसका क्या असर हुआ है? और जब दिल्ली सरकार ने आंकड़े पेश किए तो उनके फॉर्मूले की हवा निकल गई. सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए एक बार फिर हरियाणा, पंजाब, यूपी और दिल्ली के मुख्य सचिवों को 29 नवंबर को बुलाया है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर वायु प्रदूषण का डेटा दिया. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल पूछे.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा:
1. दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सरकार सुस्त क्यों है ?
2. एयर क्लीनिंग डिवाइस लगाने में कितना समय लगेगा?
3. कारखानों को शहरों से दूर ले जाया गया या बंद किया ?
4. चीन से क्यों नहीं सीखती सरकार ?
5. पराली जलाने से रोकने के लिए क्या कदम उठाया?
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वायु प्रदूषण को लेकर एक साल की स्टडी की जरूरत पड़ेगी. कोर्ट ने कहा कि इतना समय? केंद्र ने कहा वो कोर्ट में जवाब दाखिल करेंगे. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को समय दिया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि ये बताइए कि ऑड-ईवन से वायु प्रदूषण को लेकर कोई फायदा हुआ है या नहीं?
दिल्ली सरकार ने कहा कि ऑड-ईवन ने 5 से 15 % तक प्रदूषण कम हुआ है. वहीं सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने कहा कि ऑड-ईवन से प्रदूषण में सिर्फ 4 फीसदी की कमी आई है. आंकड़ा देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि ऑड-ईवन से प्रदूषण पर कोई असर नहीं पड़ा. वहीं सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का कहना था कि कार से 3 फीसदी, ट्रक से 8 फीसदी, दो पहिया वाहनों से 7 फीसदी प्रदूषण फैलाते है. आज दिल्ली में ऑड-ईवन का आखिरी दिन है लेकिन सरकार सोमवार से दोबारा ऑड-ईवन लागू करने के लिए विचार करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है सिर्फ ऑड-ईवन के नाम पर प्रदूषण खत्म नहीं किया जा सकता. वहीं आज प्रदूषण पर संसदीय कमेटी की मीटिंग में कई अफसर पहुंचे ही नहीं. ये बताता है कि सरकारें हमारी सांसों के लिए कितनी गंभीर हैं.