Sankashti Chaturthi 2022: सावन के महीने के बाद भाद्रपद महीने की शुरुआत होती है, ये महीना भगवान कृष्ण के पूजन के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. इस माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. आज के इस आर्टिकल में हम संकष्टी चतुर्थी व्रत की डेट और शुभ मुहुर्त के बारे में आपको बताएंगे. 


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संकष्टी चतुर्थी व्रत
पंचांग के अनुसार, 14 अगस्त रविवार को रात 10 बजकर 35 मिनट पर चतुर्थी तिथि शुरू होगी और15 अगस्त को रात 09 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी. हिंदू धर्म में सभी व्रत उदयातिथि में रखे जाते हैं, इसलिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी 15 अगस्त सोमवार को रखा जाएगा. 


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संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहुर्त
अभिजित मुहूर्त- 15 अगस्त को दिन में 11 बजकर 59 मिनट सेदोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक
धृति योग- 15 अगस्त की सुबह से रात 11 बजकर 24 मिनट तक


चंद्रोदय का समय
संकष्टी चतुर्थी के व्रत के दिन चंद्रमा के पूजन का विशेष महत्व माना जाता है, बिना चंद्रमा को जल चढ़ाए व्रत पूरा नहीं माना जाता. सोमवार को रात 9 बजकर 27 मिनट पर  चंद्रमा का उदय होगा, इस दिन व्रत रहने वाले लोग 9 बजकर 27 मिनट पर चंद्रमा के निकलने के बाद उन्हें जल चढ़ाने के बाद पारण कर सकते हैं.  


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संकष्टी चतुर्थी का महत्व 
संकष्टी चतुर्थी का अर्थ ही है संकटों को ​हरने वाली चतुर्थी. मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी को व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन बहुला चतुर्थी का व्रत भी रखा जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण के साथ गाय की पूजा की जाती है.