Delhi सरकार लगभग दिवालिया हो चुकी है और...आयुष्मान भारत योजना लागू न करने पर हाईकोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी
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Delhi सरकार लगभग दिवालिया हो चुकी है और...आयुष्मान भारत योजना लागू न करने पर हाईकोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी

Delhi High Court: चीफ जस्टिस ने कहा कि आपकी कोई भी मशीन काम नहीं कर रही है. मशीनों को काम करना है, लेकिन वास्तव में आपके पास पैसा नहीं है. यह स्थिति नागरिकों की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर डाल सकती है.

Delhi सरकार लगभग दिवालिया हो चुकी है और...आयुष्मान भारत योजना लागू न करने पर हाईकोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी

Delhi High Court Comment: आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) अब तक दिल्ली में लागू नहीं हो पाई है. बुधवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि दिल्ली की आप सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में केंद्र सरकार की मदद स्वीकार नहीं कर रही है. चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए आप सरकार के रवैये को ‘अजीब’ बताया. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख निर्धारित की, ताकि दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता याचिका का अध्ययन कर सकें.  

बीजेपी सांसदों की याचिका पर हुई सुनवाई 
बीजेपी के सात सांसदों ने आम आदमी पार्टी की सरकार को AB-PMJAY लागू करने का निर्देश देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका डाली है. इस जनहित याचिका में उनका कहना है कि दिल्ली एकमात्र केंद्रशासित प्रदेश है, जहां यह लाभकारी स्वास्थ्य सेवा योजना अब तक लागू नहीं की गई है, जिसकी वजह से लोग 5 लाख रुपये की आवश्यक स्वास्थ्य कवरेज से वंचित हैं. दिल्ली सरकार के वकील ने याचिका को गलत धारणा पर आधारित बताया. 

सरकार के रवैये को बताया अजीब 
याचिका पर सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि ये अजीब बात है कि दिल्ली सरकार के पास स्वास्थ्य सेवा के लिए पर्याप्त धन नहीं है, फिर भी वह केंद्र से सहायता लेने से इनकार कर रही है. चीफ जस्टिस ने कहा कि आपकी कोई भी मशीन काम नहीं कर रही है. मशीनों को काम करना है, लेकिन वास्तव में आपके पास पैसा नहीं है. यह स्थिति नागरिकों की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर डाल सकती है.

हाईकोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी 
चीफ जस्टिस मनमोहन ने गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा, “मैं खुलेआम अदालत में कह रहा हूं कि आप (दिल्ली सरकार) लगभग दिवालिया हो चुके हैं. आपके स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य सचिव एक-दूसरे से बात नहीं कर रहे हैं और ऐसी स्थिति में आप केंद्रीय सहायता स्वीकार नहीं कर रहे हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्रीय योजना नागरिकों के एक विशेष वर्ग को दी जा रही सहायता मात्र है और दिल्ली प्रशासन के भीतर मतभेदों को दूर करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.

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