Delhi News: लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार देश की जनता को लगातार नई सौगात देने में लगी हुई है. हाल ही में केंद्र ने दिल्ली के दो नए मेट्रो कॉरिडोर के चौथे फेज को मंजूरी दी थी. इसके बाद से लाजपत नगर से लेकर साकेत और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ तक के लोगों में काफी खुशी का माहौल है. दूसरी तरफ इस फेज के रिठाला-बवाना-नरेला से होते हुए कुंडली (हरियाणा) तक विस्तार होने वाले लंबित कॉरिडोर को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है, जिसकी वजह से दिल्ली के आसपास के गावों में रहने वाले लोगों में नाराजगी बढ़ गई है.


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इस बीच लोगों ने अपनी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं. इतना ही नहीं, ग्रामीणवासी इस बार होने वाले लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का भी मन बना रहे हैं. बता दें कि उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक गांव के लोग इस परियोजना को मंजूरी न मिलने से आहत हैं. लोगों का कहना है कि लंबे वक्त से सरकार और संबंधित विभाग DMRC की तरफ से सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा था कि जल्द ही इस रूट पर सरकारी मंजूरी मिल जाएगी, लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली है.


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क्योंकि, मेट्रो ने बनने की वजह से यहां रहने वाले लोगों को ट्रांसपोर्टेशन के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है. लोगों का कहना है कि 'नरेला में मेट्रो नहीं तो लोकसभा चुनाव में वोट भी नहीं देंगे'. दिल्ली के ग्रामीण पंचायत महासंघ के अध्यक्ष और रिठाला-बवाना-नरेला मेट्रो रूट संघर्ष समिति की कमिटी के सदस्य दयानंद वत्स ने एक अन्य मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि इस मेट्रो कॉरिडोर को केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी नहीं मिलने से उत्तर-पश्चिमी लोकसभा क्षेत्र के लाखों लोग अपनेआप को ठगा महसूस कर रहे हैं.


उन्होंने आगे कहा कि करीब 20 साल से यहां के लोग इस मेट्रो लाइन का इंतजार कर रहे हैं. तो वहीं, मेट्रो रूट संघर्ष के संयोजक हेमराज बंसल ने बताया कि पहले यह मेट्रो नरेला तक ही आनी थी. बाद में इसका कुंडली, हरियाणा तक विस्तार किया गया. हम लगातार प्रोजेक्ट से संबंधित अधिकारी और मंत्रियों से मिल रहे हैं, उनके द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद बुधवार को दिल्ली के दो कॉरिडोर को मंजूरी मिली, लेकिन हम आनेवाले दिनों में संघर्ष समिति की कोर कमिटी की बैठक में इस संबंध में विरोध-प्रदर्शन और मांग को लेकर के आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे.