सुप्रीम कोर्ट ने इसे अजीब और कोर्ट का वक्त बर्बाद करने वाली याचिका बताया. साथ ही ये भी कहा कि आप ऐसे विज्ञापन स्किप भी कर सकते थे. कोर्ट का वक्त बर्बाद करने के लिए आप पर उल्टा जुर्माना लगाया जाता है. इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 1 लाख का जुर्माना लगाया. मिन्नतें करने पर जुर्माना 25 हजार हो गया.
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक दिलचस्प याचिका पर सुनवाई हुई. हालांकि याचिका का कोई तुक नहीं रहा. अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने यूट्यूब से 75 लाख के मुआवजे की मांग की. उसका कहना था कि यूटयूब पर अश्लील विज्ञापन के चलते उसका ध्यान भंग हुआ और वो मध्यप्रदेश पुलिस भर्ती का एग्जाम पास नहीं कर पाया. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ये सबसे खराब याचिकाओं में एक है. इसके साथ ही कोर्ट ने अदालत का वक़्त बर्बाद करने के लिए 25 हज़ार का जुर्माना भी याचिकाकर्ता पर लगा दिया.
आपको विज्ञापन नहीं देखना तो ना देखें
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय ओक की बेंच ने मध्यप्रदेश निवासी आनंद किशोर चौधरी से कहा कि आपको किस बात का मुआवजा चाहिए. आप इंटरनेट देखते हो, इसलिए या फिर इंटरनेट देखने की वजह से एग्जाम नहीं पास कर पाए. इसलिए मुआवजा चाहिए? चूंकि विज्ञापन में सेक्सुअल कंटेंट था, इसलिये आप अदालत से मुआवजा लेने पहुंच गए. ये तो आपकी मर्जी है कि आप विज्ञापन देखें या नहीं. आपको नहीं देखना तो ना देखें. इस तरह की याचिका अदालत के क़ीमती वक़्त की बर्बादी है. अब आपको जुर्माना भरना होगा. कोर्ट ने इसके साथ ही याचिकायकर्ता पर 1 लाख का जुर्माना लगा दिया.
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जज साहब, मुझे माफ कर दीजिए
हालांकि बेंच ने याचिकाकर्ता से हिंदी में बात की, लेकिन जब कोर्ट ने 'Cost' लगाने की बात की तो याचिकाकर्ता समझ नहीं पाया, उसे लगा कि शायद जज साहब उसे यूट्यूब से ये पैसा दिलवाने को कह रहे हैं. बाद में कोर्ट में मौजूद दूसरे लोगों ने समझाया कि उस पर जुर्माना लगा है तो उसने जज से माफ कर देने की गुहार लगाई. लड़के ने कहा- 'न्यायधीश महोदय मेरे माता-पिता मजदूरी करते हैं, मुझे माफ़ कर दीजिए.'
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कोर्ट ने जुर्माना राशि घटाकर 25 हज़ार की
नाराज जस्टिस कौल ने कहा कि आपको लगता है कि पब्लिसिटी के लिए आप कभी भी कोर्ट आ सकते हो. मैं जुर्माना कम कर देता हूं पर माफ नहीं करूंगा. इसके साथ ही कोर्ट ने जुर्माना 1 लाख से घटाकर 25 हजार कर दिया. इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके पास रोजगार नहीं है, वो जुर्माना नहीं दे पाएगा. लेकिन कोर्ट ने जुर्माना पूरी तरह माफ करने से इंकार करते हुए कहा कि आपके पास रोजगार नहीं है, तो हम रिकवरी करेंगे.