महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर दो गुटों में बंटा भारतीय किसान यूनियन, सामने आई बिखराव की बड़ी वजह
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महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर दो गुटों में बंटा भारतीय किसान यूनियन, सामने आई बिखराव की बड़ी वजह

लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में एक नए किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) बनाने की घोषणा की गई. राजेश सिंह चौहान को इसका अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा की गई.  

राकेश टिकैत और राजेश सिंह चौहान

नई दिल्ली : कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर 13 महीने तक चले किसान आंदोलन में भारतीय किसान यूनियन (BKU) के दो फाड़ हो ही गए. रविवार को लखनऊ में डालीबाग स्थित गन्ना संस्थान में चौ. महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर किसान आंदोलन की दशा और दिशा पर गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से किसान शामिल हुए. 

इस दौरान भाकियू में राष्ट्रीय सचिव के पद पर लंबे समय से कार्यरत अनिल तालान ने देश में एक नए किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) बनाने और इसके अध्यक्ष पद के लिए राजेश सिंह चौहान के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका सभी किसानों ने हाथ उठाकर समर्थन किया. इसके बाद राजेश सिंह चौहान को भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा कर दी गई. इसके अलावा राजेंद्र सिंह मलिक को सर्वसम्मति से नए संगठन का चैयरमैन व संरक्षक नियुक्त किया गया. नए संगठन में शामिल हुए कुछ लोग BKU से 35 साल से जुड़े थे. 

मजबूर होकर बनाना पड़ा नया संगठन

राजेश सिंह चौहान ने कहा कि भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में किसानों के साथ एक जैसी समस्या है. इसलिए देश में एक ऐसे किसान संगठन की आवश्यकता है, जो देश व विश्वव्यापी किसान समस्याओं को लेकर चिंतन, मंथन और आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर सके और साथ ही किसानों की समस्याओं को हल करने में अपनी सकारात्मक भूमिका भी सुनिश्चित कर सके. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के भटकाव के कारण मजबूरी में अलग संगठन बनाने का निर्णय लिया गया.

इससे पहले अनिल तालान ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि आज हम किसान आंदोलन की दशा व दिशा पर चिंतन करने और एक नए किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) की आवश्यकता क्यों पड़ी, इस पर विचार करने के लिए इकट्ठा हुए हैं. किसान चिंतक हरिनाम सिंह वर्मा ने कहा कि किसान नेता स्व. चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने भारतीय किसान यूनियन का गठन इसलिए किया था कि यह संगठन किसानों की वास्तविक समस्याओं को सरकार के सामने उठाएगा. संगठन में लोकतंत्र रहेगा और हमेशा अराजनैतिक स्वरूप में रहेगा, लेकिन आज उनके बनाए संगठन में न तो किसानों की वास्तविक समस्याओं को सरकार के सामने उठाया जा रहा है और न संगठन में लोकतंत्र है और न ही यह संगठन अराजनैतिक रहा.

एक अच्छा संगठन की थी जरूरत 

राजेश चौहान ने कहा कि देश में कृषि उत्पाद बाजार या फिर कारखानों के माध्यम से उपभोक्ता तक पहुंचता है तो उसका मूल्य खेत उत्पाद मूल्य की तुलना में तीन गुना तक बढ़ जाता है. कृषि और कृषक समस्याओं को लेकर आए दिन आंदोलन होते रहते हैं, इसके समाधान के लिए किसानों का एक अच्छा संगठन होना चाहिए, जो तथ्यों के साथ सरकार से संवाद कर सके और साथ ही एक वैश्विक मंच होना चाहिए जो बिना किसी पूर्वाग्रह के दुनिया के किसानों के कल्याण की चिंता करे.

किसान नेताओं ने गुमराह किया

किसान नेता राजवीर सिंह ने कहा कि देश में कृषि कानूनों की वापसी से महत्वपूर्ण विषय न्यूनतम समर्थन को गारंटी कानून बनाना है. संयुक्त मोर्चा में इस मांग की अनदेखी की गई है, जिससे देश का किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है. किसान आंदोलन को सफल बनाने हेतु तन,मन और धन से हर सहयोग किया, लेकिन किसान नेताओं ने इसे वर्चस्व की लड़ाई बनाकर असल मुद्दों से गुमराह किया, जो किसान हित में नहीं हो सकता।

आंदोलन के नाम पर उपद्रव का समर्थन नहीं

गठवाला मलिक खाप के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह मलिक ने कहा कि विश्व में जब मंदी का दौर आता है तो यही किसान अपने खून पसीने से अर्थव्यवस्था को संभालता है. कोरोना काल में देश का एक नागरिक भी भूखा नहीं सोया और न ही देश की अर्थव्यवस्था डगमगाई, इसका श्रेय भी किसान को जाता है.हम किसान नेता नहीं बल्कि किसान के बेटे और किसान होने के नाते आंदोलन के नाम पर उपद्रव का समर्थन नहीं करते. केंद्र व राज्य सरकारों के सहयोग के बिना किसानों का जीवन कहीं अधिक संकटों से भर जाएगा. हां, किसान आंदोलन का दबाव हमेशा रहना चाहिए, ताकि किसान सरकार की योजनाओं के केंद्र में हमेशा रहे.

किसान चिंतक धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि कृषि में बदलाव समय की मांग है, इसलिए किसानों से वार्ता कर सरकारों को नई कृषि नीति व कुछ कानूनों में सुधार करना चाहिए. अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय कृषि मांग के अनुरूप उत्पादन को बढ़ावा दिया जाना अनिवार्य है. 

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सरकार से संवाद करेगा संगठन 

किसान नेता मांगेराम त्यागी ने कहा कि देश में एक ऐसे किसान संगठन की आवश्यकता है, जो किसानों के हित में कार्य करे. हमारा नया किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) देश व् विश्वव्यापी किसान समस्याओं को लेकर चिंतन, मंथन और आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगा और तथ्यों के साथ किसान हित में सरकार से संवाद करेगा.

संगठन में शामिल होने की शर्तें 

इस दौरान तय किया गया कि यह संगठन  परिवारवाद से मुक्त लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हमेशा पालन करेगा. इस संगठन में गांव के अध्यक्ष को कार्य व योग्यता के आधार राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का अवसर मिलेगा. संगठन में उसकी योजनाओं, सेवाओं और क्रियाकलापों की मॉनिटरिंग होगी. संगठन में सभी का स्वागत है लेकिन यह संगठन कोई राजनीतिक तिक अखाड़ा नहीं होगा. संगठन में पद कार्य और स्क्रीनिंग के आधार पर ही दिए जाएंगे. सभी ऐसे ईमानदार व्यक्ति जो किसान-हित चिंतक हों, खेतीबाड़ी करना जानता हो. गोबर उठाया हो, चारा काटा हो, ऐसे लोगों को ही संगठन में प्रवेश दिया जाएगा. 

राकेश टिकैत को नहीं निकाला 

भाकियू (अ) के प्रवक्ता बनाए गए धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि मीडिया में एक गलत खबर चलाई गई है कि राकेश टिकैत व नरेश टिकैत को संगठन से निकाला गया है. यह सच नहीं है. बस राजेश सिंह चौहान व राजेंद्र मलिक के नेतृत्व में नए संगठन बनाने की घोषणा की गई है.

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