Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने बिना प्रभावित पक्ष को अपील करने का मौका दिए बिना 2018 में लाइब्रेरी को गिरा देने पर एमसीडी को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा, हम केवल मामले की जांच का आदेश नहीं देंगे, बल्कि अगर कुछ गलत पाया गया तो हम भवन की पुनर्स्थापना का भी आदेश देंगे.
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Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली नगर निगम (MCD) पर कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि MCD ने एक पब्लिक लाइब्रेरी में स्थित भवन को ध्वस्त किया, जबकि प्रभावित पक्ष को राहत मांगने का मौका नहीं दिया. न्यायालय ने कहा, आपको जगाने के लिए कोई दिव्य शक्ति नहीं है.
दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी का इतिहास
दिल्ली का पहली पब्लिक पुस्तकालय (DPL) 1951 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास स्थापित की गई थी. यह लाइब्रेरी 1954 से इस भवन में स्थित था.
न्यायालय की नाराजगी
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने MCD से सवाल किया कि कैसे बिना किसी को शीर्ष कोर्ट में जाने का मौका दिए, उन्होंने भवन को ध्वस्त कर दिया. कोर्ट ने कहा, लोगों ने वर्षों से आपको जगाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. कोर्ट ने बताया कि 18 सितंबर 2018 को MCD ने सुबह 8:30 बजे भवन को ध्वस्त किया, जबकि दिल्ली हाईकोर्ट ने 10 सितंबर 2018 को इस मामले में आदेश जारी किया था. MCD ने इस ध्वस्तीकरण के लिए किसी भी प्रकार की प्रक्रिया का पालन नहीं किया.
MCD पर कार्रवाई की आवश्यकता
कोर्ट ने MCD को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है और Dimple Enterprise नामक निजी कंपनी से भी स्पष्टीकरण मांगा है. न्यायालय ने कहा कि उसे यह जानने की आवश्यकता है कि MCD ने प्रभावित पक्ष को शीर्ष कोर्ट में जाने का अधिकार क्यों नहीं दिया.
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दिल्ली हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने 18 सितंबर 2018 को एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि करोल बाग स्थित संपत्ति का कोई हिस्सा ध्वस्त नहीं किया जाएगा. यह आदेश तब दिया गया जब दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड ने हाईकोर्ट के 10 सितंबर 2018 के आदेश को चुनौती दी थी.
दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय
उच्च न्यायालय ने दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी (DPL) को छह महीने का समय दिया था ताकि वह अपनी शाखा को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित कर सके. यह आदेश मुख्य रूप से DPL के करोल बाग शाखा में पुस्तकों के संरक्षण से संबंधित था. न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि वह उस विवाद में हस्तक्षेप नहीं करेगा जिसमें पुस्तकालय का भवन शामिल है, जो 1954 से संचालित हो रहा है.
दिल्ली नगर निगम को नोटिस
उच्च न्यायालय का यह आदेश उत्तर दिल्ली नगर निगम द्वारा पुस्तकालय को परिसर खाली करने के लिए जारी की गई नोटिस के खिलाफ आया था. निगम ने दावा किया था कि भवन संरचनात्मक रूप से असुरक्षित और खतरनाक है.
संस्कृति मंत्रालय का समर्थन
दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी, जो संस्कृति मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित एक स्वायत्त निकाय है, राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 45 शाखाएं और मोबाइल पुस्तकालय संचालित करती है. इस पुस्तकालय को निगम द्वारा दो नोटिस जारी किए गए थे, जिसमें उसे भवन को खाली करने के लिए कहा गया था ताकि उसे ध्वस्त किया जा सके.
आगे की कार्रवाई
न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि 18 सितंबर 2018 का अंतरिम आदेश तब तक प्रभावी रहेगा जब तक कि कोई आगे का आदेश नहीं दिया जाता. यह आदेश पुस्तकालय के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.