भारत की श्रापित नदी, इसका पानी तक छूने से डरते हैं लोग

Deepak Yadav
Nov 08, 2024

भारत में नदियों का विशेष महत्व है. यहां नदियों को मां का दर्जा दिया जाता है और इन्हें पूजा का स्थान मिलता है.

गंगा और यमुना जैसी नदियां धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र मानी जाती हैं. लेकिन, इस देश में एक ऐसी नदी भी है जिसे लोग हमेशा दूर रहने की कोशिश करते हैं. यह नदी अपने श्रापित होने के कारण जानी जाती है.

श्रापित नदी का रहस्य

भारत की इस श्रापित नदी का नाम ताप्ती है. ताप्ती नदी के बारे में मान्यता है कि यह राजा हरिशचंद्र के श्राप के कारण श्रापित हो गई है.

राजा हरिशचंद्र के पिता सत्यव्रत ने स्वर्ग में जाने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन उनके गुरु वशिष्ठ ने इसे अस्वीकार कर दिया. इसके बाद, राजा ने गुरु विश्वामित्र से सहायता मांगी. इस घटना ने एक अनोखा मोड़ ले लिया.

राजा का उल्टा लटकना

गुरु विश्वामित्र ने राजा सत्यव्रत को स्वर्ग में भेज दिया, लेकिन इंद्रदेव को यह पसंद नहीं आया. उन्होंने राजा को उल्टा लटका दिया जिससे वह धरती पर गिर गए

इस स्थिति में राजा सत्यव्रत का लार गिरने लगा, और यह लार नदी का रूप धारण कर गई.

श्राप का प्रभाव

जब गुरु वशिष्ठ ने देखा कि राजा उल्टे लटके हुए हैं, तो उन्होंने उन्हें चांडाल होने का श्राप दे दिया. यह श्राप अब ताप्ती नदी पर भी लागू होता है.

लोगों का मानना है कि इस श्राप के कारण ही लोग इस नदी से दूर रहते हैं. ताप्ती नदी का पानी भी पवित्र नहीं माना जाता और इसे छूने से बचा जाता है.

सांस्कृतिक दृष्टिकोण

भारत में नदियों का महत्व केवल जल स्रोत तक सीमित नहीं है. नदियों को देवी-देवताओं का रूप मानकर पूजा की जाती है.

ताप्ती नदी की स्थिति एक चेतावनी के रूप में देखी जाती है. यह हमें यह सिखाती है कि श्राप और पाप का असर हमारे जीवन पर पड़ता है.

Disclaimer

इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों और धार्मिक ग्रंथों पर आधारित है जी मीडिया इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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