ये 3 लोग आज भी भुगत रहे हैं माता सीता का दिया हुआ श्राप

Deepak Yadav
Sep 29, 2024

वनवास के दौरान जब राम जी को अपने पिता राजा दशरथ की मौत का पता चला तो वहां उनके पिंडदान करने की तैयारी करने लगे.

भगवान राम और लक्ष्मण जी पिंडदान करने के लिए जरूरी सामग्री को इकट्ठा करने चले दिए, जिसके बाद माता सीता को राजा दशरथ की आत्मा ने कहा कि पिंडदान का समय निकला जा रहा है.

भगवान राम उस दौरान उपस्थित नहीं थे. इसलिए माता सीता ने स्वयं अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान करने का निर्णय लिया.

उसके बाद माता सीता ने फाल्गु नदी के किनारे बैठकर राजा दशरथ का पिंडदान किया. उन्होंने केतकी के फूल, गाय, वटवृक्ष और फाल्गु नदी को साक्षी बनाया.

माता सीता के पिंडदान करने के बाद राजा दशरथ की आत्मा को शांति मिली और वह मुक्त होकर अपने लोक चले गए. जिसके बाद जब श्री राम और लक्ष्मण वापस लौटे तो सीता जी ने उन्हें पूरी घटना सुनाई.

जिसके बाद प्रभु राम और लक्ष्मण जी को यह सुनकर आश्चर्य हुआ तो उन्होंने सीता जी ने चारों साक्षियों को गवाही के लिए बुलाया. लेकिन इनमें से तीन ने झूठ बोल दिया था कि उन्हें नहीं पता.

केतकी के फूल, गाय और फाल्गु नदी ने यह झूठ बोल दिया था कि उनको राजा दशरथ और उनके पिंडदान के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है.

जिसके बाद माता सीता ने क्रोधित होकर फाल्गु नदी को श्राप दिया कि उसका जल सूख जाएगा.

माता सीता ने गाय को श्राप दिया कि वह पूजनीय होकर भी भोजन के लिए दर-दर भटकेगी.

माता सीता ने केतकी के फूल को श्राप दिया कि इस फूल को किसी भी पूजा में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. यह तीनों आज माता सीता का श्राप भुगत रहे हैं.

Disclaimer

इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों और धार्मिक ग्रंथों पर आधारित है जी मीडिया इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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