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नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की स्पेशल सेल ने दिल्ली-एनसीआर में नकली नोटों की तस्करी करने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है. इस गैंग के तार पंजाब से जुड़े हैं. पुलिस ने गैंग में शामिल तीन आरोपियों को दिल्ली और दो आरोपियों को पंजाब में छापामारी के बाद गिरफ्तार किया.
दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए नकली नोटों की तस्करी करने वाले गैंग के आरोपियों की पहचान हर्ष गिरधर (31), करन सिंह (26) और करमपुर सतीश ग्रोवर (42) के तौर पर हुई है. पूछताछ के बाद पंजाब के अमृतसर से हर्षदीप सिंह (27) और गुरदासपुर से विक्रमजीत सिंह (33) को पुलिस ने गिरफ्तार किया. इनकी निशानेदही पर पुलिस ने 100-100 रुपये के छह लाख रुपये के जाली नोट जब्त किए हैं. इसके साथ ही कच्चा माल और नोट की छपाई में इस्तेमाल होने वाले अन्य सामान और मशीनें भी जब्त की हैं.
पूछताछ में पता चला कि आरोपी दिल्ली-एनसीआर में 50 रुपये के बदले 100 रुपये के नोट को बाजारों में खपा रहे थे. हर्षदीप सिंह इस गिरोह का सरगना है. स्पेशल सेल के डीसीपी राजीव रंजन ने बताया कि टीम को सूचना मिली थी कि आरोपी बीते दस नवंबर को नरायणा फ्लाईओवर के पास जाली नोट की खेप लेकर आने वाला है. सूचना के आधार पर पुलिस की एक टीम देर रात को मौके पर पहुंची और वहां से तस्कर हर्ष गिरधर को एक लाख 80 हजार रुपये के जाली नोट के साथ दबोच लिया. वह करन सिंह को फेक नोट सप्लाई करने जा रहा था जो दिल्ली-एनसीआर में नोटों को खपाने का काम करता था. टीम ने उसे भी दबोच लिया. इनसे की गई पूछताछ के बाद तीसरे आरोपी सतीश ग्रोवर को करमपुर से दबोचा गया.
पूछताछ में पता चला कि आरोपियों को पंजाब से विक्रमजीत सिंह नामक शख्स नोटों की खेप देता था. टीम ने गुरुदासपुर में छापामारी कर विक्रम को दबोच लिया. उससे की गई पूछताछ में पता चला कि इस गिरोह का मुख्य सरगना हर्षदीप सिंह है. बाद में पुलिस ने उसे अमृतसर से दबोच लिया. उसकी निशानेदही पर टीम को तीन लाख रुपये के नकली नोट मिले. कुल मिलाकर पुलिस ने सभी आरोपियों की निशानेदही पर करीब छह लाख रुपये के नकली नोट जब्त किए. इसके साथ ही नोटों की छपाई में इस्तेमाल होने वाली प्रिंटिंग मशीन के अलावा अन्य सामान भी बरामद किया है.
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पूछताछ में पता चला कि हर्ष गिरधर 100 रुपये के नोट को 50 रुपये में लेता था और 60 रुपये में नकली नोटों को बाजारों में खपाता था. करन, हर्ष गिरधर के संपर्क में आ गया था. उसके बाद वह भी इस गिरोह से जुड़ गया था. वह कमीशन लेकर नोट खपाता था. सतीश ग्रोवर का संपर्क विक्रम से था. वह भी कमीशन के बदलने नोट खपाने का काम करता था. करन सीधे तौर पर हर्षदीप सिंह से संपर्क में था. हर्षदीप सिंह पेशे से इंजीनियर है पर नौकरी जाने के बाद जल्दी अमीर बनने की चाहत में जाली नोट छापने लगा था.
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