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नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के खिलाफ राजधानी दिल्ली की तमाम सीमाओं पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) के बीच बैरिकेडिंग अब हटने लगी है और बॉर्डर खाली कराया जा रहा है. टीकरी बॉर्डर के बाद गाजीपुर बॉर्डर भी खाली कराया जा रहा है और दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की मौजूदगी में एनएच-24 से बैरिकेटिंग हटाई जा रही हैं. वहीं इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया है कि किसान अपनी फसल बेचने के लिए संसद जाएंगे.
किसान आंदोलन (Farmers Protest) की वजह से दिल्ली के बॉर्डर्स पर लगी बैरिकेडिंग अब हटने लगी है. कल (28 अक्टूबर) शाम किसानों की सहमति से दिल्ली के टीकरी बॉर्डर (Tikri Border) के एक हिस्से को खाली करा दिया गया, जिसके बाद ये उम्मीद है कि दिल्ली से हरियाणा के बहादुरगढ़ की तरह जाने वाली सड़क जल्द खुल सकती है. इसके बाद दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर भी बैरिकेडिंग हटाई जा रही है, जिसके बाद दिल्ली से गाजियाबाद जाने का रास्ता भी खुल सकता है.
नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के चलते दिल्ली को हरियाणा से जोड़ने वाला रास्ता बंद था और 11 महीने बाद टीकरी बॉर्डर (Tikri Border) खुलने जा रहा है. किसानों को रोकने के लिए बॉर्डर पर लगाई गईं कीलें और कांटे गुरुवार को उखाड़ दिए गए और सड़क पर डाले गए बड़े-बड़े बैरिकेड्स हट गए हैं. दिल्ली-रोहतक नेशनल हाईवे-9 (NH) का एक तरफ का रास्ता साफ हो चुका है और जल्द ही वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (BKU Leader Rakesh Tikait) ने कहा, 'पीएम मोदी ने कहा था कि किसान कहीं भी फसल बेच सकते हैं. अगर सड़कें खुली रहीं तो हम अपनी फसल बेचने के लिए संसद भी जाएंगे. पहले हमारे ट्रैक्टर दिल्ली जाएंगे. हमने रास्ता नहीं रोका है. सड़क जाम करना हमारे विरोध का हिस्सा नहीं है.'
- 6 महीने में किसान आंदोलन हिंसक हुआ.
- 26 जनवरी को आंदोलन के नाम पर हिंसा हुई.
- लखीमपुर में भी हिंसक झड़प हुई.
- धरना स्थल पर लखबीर सिंह की हत्या हुई.
- 'किसान संयुक्त मोर्चा' का हर हिंसा से किनारा.
- हर बार हिंसा करने वालों को बाहरी बताया गया.
- 8 महीने से लोगों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
- जाम और बॉर्डर बंद होने से अरबों का नुकसान हो रहा है.
- कोर्ट ने सड़क जाम करने को गलत ठहराया था.
- किसान नेताओं का अब चुनावों पर ज्यादा फोकस है.
देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की तमाम सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी तीन कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जिसको लेकर उन्हें डर है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को खत्म कर दिया जाएगा और उन्हें बड़े कॉर्पोरेट की दया पर छोड़ दिया जाएगा. हालांकि, सरकार तीन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है. सरकार और किसान संगठनों के बीच 10 दौर से अधिक की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है.
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