एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने वाले पहले भारतीय सैन्य अफसर नरेंद्र कुमार नहीं रहे
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एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने वाले पहले भारतीय सैन्य अफसर नरेंद्र कुमार नहीं रहे

कर्नल नरेंद्र कुमार बढ़ती उम्र के कारण कई बीमारियों से ग्रस्त थे. गुरुवार को उन्होंने दिल्ली के आर्मी अस्पताल में अंतिम सांस ली. बता दें कि 1984 में भारत को सियाचिन ग्लेशियर दिलाने में जिस नायक की सबसे अहम भूमिका थी वो कर्नल नरेंद्र कुमार ही थे. उन्हें भारतीय सेना में बुल के नाम से पहचाना जाता है.

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: भारतीय सेना (Indian Army) में 'बुल' के नाम से पहचाने जाने वाले रिटायर्ड कर्नल नरेंद्र कुमार (Narendra Kumar) का 87 वर्ष की उम्र में दिल्ली (Delhi) स्थित आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया. बढ़ती उम्र के चलते वे कई बीमारियों से ग्रस्त थे. 

सियाचिन कब्जे में निभाई थी सबसे बड़ी भूमिका

1984 में भारत को सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) दिलाने में जिस नायक की सबसे अहम भूमिका थी वो कर्नल नरेंद्र कुमार ही थे. उस वक्त उन्होंने भारतीय सेना की मदद करते हुए पाकिस्तानी सेना को वहां से खदेड़ दिया था. और ग्लेशियर पर तिरंगा लहराया था. इसके बाद उन्होंने भारत की तरफ से सिचायिन ग्लेशियर पर एक पर्वतरोही दल का नेतृत्व भी किया था. 

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नंदा पर्वत से लेकर एवरेस्ट पर की थी चढ़ाई

इसके अलावा वर्ष 1953 में कर्नल ने कुमाऊं रेजीमेंट से IMA देहरादून से पास आउट नंदा देवी पर्वत पर चढ़ाई की थी, और ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय थे. इसके बाद 1961 में इस पर्वतारोही सैन्य अफसर ने अपने पैर की 4 उंगलियां फ्रॉस्ट बाइट में खो दीं थीं. इसके बावजूद वह 1964 में वे नंदा देवी पर चढ़ने वाले पहले भारतीय थे , 1965 में एवरेस्ट में भारत का झंडा फहराने वाले पहले भारतीय और 1976 में कांचनजंगा को उत्तर पूर्व दिशा, जो सबसे विकट है, से चढ़नेवाले पहले भारतीय थे.

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