दिल्ली में पिछले साल हुए दंगों पर पुलिस ने कोर्ट में एनिमेशन प्रेजेंटेंशन देकर हिंसा की असल साजिश के बारे में बताया. पुलिस ने कहा कि दंगों से पहले साजिशन आसपास के सीसीटीवी कैमरे खराब कर दिए गए थे.
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नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के स्पेशल सेल ने दिल्ली दंगों (Delhi Riot) की साजिश पर अपनी तीसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की. शुक्रवार को दाखिल की गई चार्जशीट में पुलिस ने दिल्ली दंगों पर एनीमेशन प्रजेंटेशन (Animation Presentation) बताया कि दंगाईयों ने दंगों से पहले कैसे पूरी तैयारी की थी.
स्पेशल सेल ने पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन (Animation Presentation) के जरिए कोर्ट को बताया कि दिल्ली के नार्थ ईस्ट के चांद बाग इलाके में उपद्रवियो ने कैसे कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई? कैसे हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या करके डीसीपी अमित शर्मा पर हमला किया? पुलिस ने कहा कि मौके पर लगे दर्जनों सीसीटीवी (CCTV) कैमरों को जानबूझकर प्लानिंग के तहत पहले तोड़ा गया ताकि सबूत छुपाए जा सकें.
पुलिस (Delhi Police) की ओर से बनाए गए एनिमेशन के मुताबिक यह एक बड़ी सुनियोजित साजिश थी. जिसमें 15 उपद्रवियों को UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने कहा कि यह चार्जशीट फोरेंसिक और टेक्नीकल सबूतों के आधार पर तैयार की गई है. उसी के आधार पर ये एनिमेशन बनाया गया है.
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज को शामिल कर बनाए एनीमेशन में विस्तृत तरीके से दिखाया कि चांद बाग (Chand Bagh) इलाके में कैसे मुस्तफाबाद की तरफ से भीड़ निकल कर आई. हिंसा (Delhi Riot) करने से पहले विभिन्न जगहों से सीसीटीवी (CCTV) या तो तोड़ दिए गए या खराब कर दिए गए. वहीं कई सीसीटीवी का मुंह दूसरी दिशा में मोड़ दिया गया.
पुलिस ने कोर्ट को बताया कि यह सब एक प्लानिंग के तहत हुआ. चांद बाग हिंसा वाली जगह के आसपास करीब 35 सीसीटीवी (CCTV) कैमरे खराब पाए गए. उन्हीं सीसीटीवी की जद में दंगा हुआ था, जिसमें हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल को घेरकर उनकी हत्या कर दी गई. वहीं डीसीपी अमित शर्मा और एसीपी अनुज को बुरी तरह घायल कर दिया गया था. उनके साथ साथ कई पुलिसकर्मी भी बुरी तरह घायल हुए.
पुलिस ने अदालत को बताया कि उसने आरोपियों को पहचानने के लिए घटना स्थल के आसपास लगे FRS यानी चेहरा पहचानने वाले कैमरों और मोबाइल फोन लोकेशन के आधार पर दंगाइयों को पकड़ा. पुलिस को अपनी जांच में पता चला कि दंगा (Delhi Riot) अचानक नही हुआ था बल्कि सब कुछ सुनियोजित था. पुलिस ने एनिमेशन के जरिए बताया कि उपद्रवियो के पास हथियार पहले से थे.
पुलिस ने यह भी दावा किया कि एक वर्ग विशेष के लोग पहले से प्लानिंग कर दूसरे वर्ग के लोगों के इलाके में बढ़ रहे थे. उनके रास्ते में आने वाले सीसीटीवी पहले से खराब कर दिए गए थे. जांच में पता चला कि चांद बाग- मुस्तफाबाद इलाके में 33 और आसपास के इलाके में 43 सीसीटीवी (CCTV) कैमरे खराब पाए गए.
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उपद्रवियों ने 26 कैमरों पर कपड़ा रख दिया ताकि दंगे के सबूत मिटाए जाए. कुछ कैमरे 25 मिनट के करीब डिसकनेक्ट भी किए गए थे. एक नाबालिग यह सब काम करता नजर आया था. इसके बाद आरोपियों ने पुलिस के साथ ही दूसरे वर्ग पर भी हमला (Delhi Riot) किया. पुलिस ने कहा कि नार्थ ईस्ट में हुए दंगे कोई अचानक से नहीं हुए थे बल्कि एक सोची समझी साज़िश का हिस्सा थे.
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