100 साल पूरे होने का जश्न मना रही दिल्ली यूनिवर्सिटी, कार्यक्रम में पहुंचकर अमित शाह ने कही ये बात
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100 साल पूरे होने का जश्न मना रही दिल्ली यूनिवर्सिटी, कार्यक्रम में पहुंचकर अमित शाह ने कही ये बात

Amit Shah attends DU 100 year program: DU के राजनीति विभाग की तरफ से आज से तीन द‍िवसीय इंटरनेशनल सेम‍िनार का शानदार आयोजन क‍िया जा रहा है. आयोजित हो रहे इस सेम‍िनार में केंद्रीय गृहमंत्री अम‍ित शाह बतौर मुख्‍य अत‍िथ‍ि और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शामिल हुए.

100 साल पूरे होने का जश्न मना रही दिल्ली यूनिवर्सिटी, कार्यक्रम में पहुंचकर अमित शाह ने कही ये बात

Amit Shah attends DU 100 year program: विश्व प्रसिद्ध द‍िल्‍ली यून‍िवर्स‍िटी (Delhi University) की स्‍थापना के 100 वर्ष पूरे हो चुके हैं. जिसे लेकर लगातार शताब्‍दी वर्ष का जश्न मनाया जा रहा है. आपको बता दें कि DU के राजनीति विभाग की तरफ से आज से तीन द‍िवसीय इंटरनेशनल सेम‍िनार का शानदार आयोजन क‍िया जा रहा है. आयोजित हो रहे इस सेम‍िनार में केंद्रीय गृहमंत्री अम‍ित शाह (Amit Shah) बतौर मुख्‍य अत‍िथ‍ि और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) शामिल हुए. तीन दिवसीय सेमिनार का शीर्षक 'स्वराज से नवभारत तक भारत के विचारों का पुनरावलोकन' रखा गया है. कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली यून‍िवर्स‍िटी के स्पोर्ट्स कॉम्‍प्लेक्स में शुरू क‍िया गया है. कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति योगेश स‍िंह ने की.

DU के 100 साल पूरे

कार्यक्रम के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय की तमाम उपलब्धियों पर चर्चा हुई. आजादी से लेकर अब तक इस यूनिवर्सिटी से निकले छात्र, देश और दुनिया की महत्वपूर्ण स्थानों पर बैठे हैं. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए DU वीसी योगेश सिंह ने कहा कि शिक्षा और सेवा के 100 वर्ष पूरे हुए हैं. इन 100 सालों में यूनिवर्सिटी ने काफी कुछ हासिल किया है. क्वालिटी और रिसर्च में डीयू ने देश विदेश में प्रसिद्धि हासिल की है. यूनिवर्सिटी के शताब्दी अवसर पर प्रशासन ने महत्वपूर्ण फैसला लिया. जिसमें डिग्री न पूरी कर पाने वाले छात्रों को एक बार फिर से मौका दिया गया. अब तक 1560 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. रजिस्ट्रेशन करवाने वाले सबसे पुराना कैंडिडेट 1989 बैच का है.

'स्वराज पर चर्चा जरूरी'

आइडिया ऑफ इंडिया को लेकर गृहमंत्री ने तमाम परिपेक्ष्य पर बात की. गृहमंत्री ने कहा कि परिवर्तन के विचार और कल्पना का वाहक विश्वविद्यालय ही होता है. 100 साल में इस विश्वविद्यालय ने अपनी गौरव परंपरा हमेशा बढ़ाई है, प्रासंगिकता बनाए रखी है. यहां से शिक्षा हासिल किए लोगों ने देश के लिए महान कार्य किए, बड़े पदों पर बैठे, यहां से तमाम आंदोलनकारी निकले. देश के आंदोलन का साक्षी रहा है. सेमिनार का थीम स्वराज से न्यू इंडिया एक महत्वपूर्ण विषय है, एक मणि कंचन योग है. एक तरफ देश के आजादी का 75वां अमृत महोत्सव और दूसरी तरफ डीयू का शताब्दी वर्ष. अमृत काल के 75 से 100 साल की यात्रा हमारे लिए महत्वपूर्ण है. ये संकल्प का वर्ष है और संकल्प सिद्धि की यात्रा है. गृहमंत्री के मुताबिक सेमिनार में तमाम ऐसे विषयों पर चर्चा होगी जो देश को दिशा देने वाले हैं.

गलत तरीके से की गई स्वराज की व्याख्या

गृहमंत्री ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि स्वराज शब्द की व्याख्या आजादी के बाद अलग-अलग तरीके से की गई, इसकी व्याख्या सिर्फ शासन व्यवस्था तक की गई. मगर ये यहीं तक सीमित नहीं. हमारे स्वराज की कल्पना, व्याख्या कुछ और है. इस पर पुनर्विचार जरूरी है. स्वराज की व्याख्या में स्वधर्म, स्वधर्म और देश का हित अपने आप ही आता है. हमें इसकी गलत व्याख्या की दिशा बदलने की जरूरत है. स्वराज से नवभारत का संपूर्ण अर्थ राष्ट्र की उन्नति है. सभी अर्थों को समाहित करने की आवश्यकता है. कुछ लोगों को भारत पर चर्चा करने से पहले भारत का अर्थ जानना जरूरी है.

'भारत एक जियो कल्चरल कंट्री'

भारत को जियो पॉलिटिकल कंट्री के तौर पर देखेंगे तो हम भारत को कभी समझ नही पाएंगे. भारत एक जियो कल्चरल कंट्री है. भारत किसी युद्ध के परिणाम का जन्म नहीं है. देश की किसी कोने में जाएंगे, गंगा आपको मिल ही जाएंगी. हमें नए भारत की कल्पना उचित तरीके से करनी है.

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'वसुधैव कुटुम्बकम् के मंत्र को जीता है भारत'

गृहमंत्री ने कार्यक्रम में कहा कि हम वसुधैव कुटुम्बकम् पर चलने वाले लोग हैं. आइडिया ऑफ इंडिया सत्यमेव जयते, वसुधैव कुटुंबकम्, नारी तू नारायणी, पिछड़ों की सेवा, वैष्णव जन में है. अगर ये समझ लिया तो हमें भारत को समझने में कभी कोई दिक्कत नहीं आएगी. पहले देश की 80 करोड़ लोग भारत व्यवस्था का हिस्सा ही नहीं थे, मगर अब पूरे देश की जनता की सरकार व्यवस्था में हिस्सेदारी है. कोरोना महामारी के बाद पूरा विश्व हमारी ओर आश्चर्य से देख रहा है. विकसित देश भी वैक्सीनेशन की भारत जैसी व्यवस्था नहीं कर पाए. अब विकास समाज के किसी एक वर्ग के लिए नहीं है, बल्कि अब सर्वस्पर्शी है. पुरानी सरकारों पर गृहमंत्री ने निशाना साधते हुए कहा कि 8 साल पहले देश की कोई रक्षा नीति नहीं थी, पहले विदेश नीति को ही रक्षा नीति मानते थे. मगर देश की सुरक्षा के लिए सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक हुई तब विश्व को समझ आया कि अब के भारत की सुरक्षा नीति क्या है. भारत की सीमा का अपमान अब बर्दाश्त नहीं. हम शांति के पुजारी भी मगर भारत की सुरक्षा में बाधा पर हम मुंह तोड़ जवाब देते हैं. अनुच्छेद 370 हटने पर खून की नदियां बहाने की धमकी दी गई, मगर मोदी जी के नेतृत्व में एक कंकड़ तक नहीं चला.

विश्वविद्यालय को ना बनने दें हिंसा और विचारधारा का अखाड़ा

गृहमंत्री अमित शाह ने शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों और टीचर्स को नसीहत भी दी. कुछ लोग इस देश को समस्याओं का देश कहते हैं. उनके विचार का स्वागत है. मगर इसी देश में लाखों समस्याओं का समाधान भी है. गृहमंत्री ने कहा कि यूनिवर्सिटी को हिंसा और वैचारिक लड़ाई का अखाड़ा न बनाएं. लड़ाई की जगह यहां विमर्श को स्थान दें, श्रेष्ठ खुद बाहर आएगा. समय की कसौटी पर श्रेष्ठ उभरकर बाहर आता है. उन्होंने कहा कि देश में नए प्रकार का विचार चल रहा है. अधिकारों की लड़ाई चल रही है. स्वागत योग्य है. अधिकारों के नाम पर असंतोष पैदा करना, उन्हें संगठित करना और एक नई व्यवस्था खड़ा करना लक्ष्य बन चुका है. अधिकारों के नाम पर हिंसा फैलाना हमारी विचारधारा नहीं है. यही वक्त है जब नए भारत पर विचार विमर्श होने चाहिए, बिना वक्त गवाएं हम इस पर काम करना चाहिए. अधिकारों के मांग का रास्ता छोड़कर दायित्व पर विचार करने देश को आगे बढ़ाना चाहिए.

क्या कहा शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने?

गृहमंत्री यहां स्वागत समारोह के दौरान भावुक हुए. क्योंकि जब मोरार जी देसाई का स्वागत अपने गांव में किया था, उसी तरह से आज एनसीसी कैडेट के द्वारा स्वागत पर अपने दिनों को याद कर भावुक हुए. शिक्षा मंत्री के मुताबिक विश्वविद्यालय, भारत की व्यवस्था का एक इंस्टिट्यूशन है. ये गुरु की परंपरा वाला देश है, इसे पराजित कर पाना नामुकिन है. हमारे युवा रोजाना आश्चर्यजनक सृजन कर रहे हैं. शिक्षा मंत्री ने आज की पारदर्शी शासन व्यवस्था की तारीफ करते हुए कहा कि पहले के पीएम 1 रुपया भेजते थे तो 15 पैसे किसानों तक पहुंचते थे, मगर अब एक रुपया भेजे जाता है तो 1 रुपया पूरा ही पहुंचता है. ऐसी पारदर्शी तस्वीर लाने की ही हमें कोशिश जारी रखनी चाहिए.

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