जज बनने के लिए तीन साल वकालत की शर्त को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, पुनर्विचार की मांग
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जज बनने के लिए तीन साल वकालत की शर्त को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल, पुनर्विचार की मांग

न्यायिक सेवाओं के लिए 3 साल तक वकालत के अनुभव की शर्त को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. शीर्ष अदालत से फैसला वापस लेने का अनुरोध याचिका में किया गया है.

supreme court
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न्यायिक सेवाओं में एंट्री के लिए तीन साल के वक़ालत के अनुभव को ज़रूरी करार देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर रिव्यू पिटीशन दाखिल हुई है।वकील चंद्रसेन यादव ने अर्जी दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले पर फिर से विचार से मांग की है।

पिछले दिनों दिये अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निचली अदालत के जजों यानी जूनियर डिविजन सिविल जज की नियुक्ति के पदों पर परीक्षा के लिए उम्मीदवार को कम से कम तीन साल की वक़ालत की प्रैक्टिस करना जरूरी है। कोर्ट ने लॉ ग्रेजुएट की सीधी भर्ती पर रोक लगा दी थी। इस आदेश के मुताबिक वो परीक्षा तभी दे सकेंगे, जब वो लॉ से ग्रेजुएट होने के बाद कम से कम तीन साल वकील के तौर पर काम करें।

कोर्ट में दाखिल पुर्नविचार याचिका में कहा गया है कि यह शर्त आर्टिकल 14 और आर्टिकल 16 के तहत मिले मूल अधिकार का हनन करती है।

अर्जी में मांग की गई है कि तीन साल वक़ालत की प्रैक्टिश का नियम 2027 से लागू होना चाहिए ताकि 2023-25 में पास होने वाले लॉ ग्रेजुएट इसके दायरे में न आए जिन्होंने इससे पहले की योग्यता मापदंड (eligibility criteria)के हिसाब से न्यायिक सेवाओं के लिए अपनी तैयारी की थी।

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