समिति ने यह सिफारिश भी की थी कि प्रशासन एवं सांसद या विधायक के बीच तालमेल का काम कर रहे अधिकारी से जुड़े निर्देशों या दिशानिर्देशों पर सभी सरकारी सेवकों को अक्षरश: पालन सुनिश्चित करना चाहिए.
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नई दिल्ली: केंद्र ने कहा है कि सभी राज्य सरकारों से कहा गया है कि वे सरकारी कार्यक्रमों को आयोजित या प्रायोजित करने में निजी कंपनियों को शामिल नहीं करें. इस बाबत एक संसदीय समिति की रिपोर्ट के बाद यह कदम उठाया गया है. लोकसभा सदस्यों से अपमानजनक व्यवहार व प्रोटोकॉल नियमों के उल्लंघन संबंधी समिति ने चार जनवरी को निचले सदन में रखी गई अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि राज्य सरकारों को ऐसे कार्यक्रमों को आयोजित या प्रायोजित करने में निजी कंपनियों या एजेंसियों को शामिल करने से हतोत्साहित करना चाहिए.
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समिति ने यह सिफारिश भी की थी कि प्रशासन एवं सांसद या विधायक के बीच तालमेल का काम कर रहे अधिकारी से जुड़े निर्देशों या दिशानिर्देशों पर सभी सरकारी सेवकों को अक्षरश: पालन सुनिश्चित करना चाहिए. कार्मिक मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को हाल में जारी निर्देश में कहा है, ‘‘सभी मंत्रालयों/विभागों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया जाता है कि उपरोक्त बुनियादी सिद्धांतों एवं निर्देशों का सभी संबंधित अधिकारी अक्षरश: पालन करें. इस विषय पर जारी दिशानिर्देशों के उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा.’’
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वहीं दूसरी ओर भाजपा ने वर्ष 2018-19 के केंद्रीय बजट को ऐतिहासिक और विकास को आगे ले जाने वाला बताते हुए 8 फरवरी को जोर दिया कि कांग्रेस ने वादे करके वोट लिए और फिर उन वादों को भूल गई, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावों से पहले किया गया हर वादा पूरा कर रहे हैं. वहीं, विपक्ष ने बजट को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास करते हुए कहा कि इसमें जुमलों के अलावा ठोस कुछ भी नहीं है. सरकार को सहकारी संघवाद की भावना का सही अर्थों में पालन करना चाहिए वरना सबका साथ, सबका विकास का सपना साकार नहीं होगा.