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Coal in Open Wagon: जब से आपने होश संभाला होगा तब से कोयले को ट्रेनों के खुले वैगन में ही ले जाते देखा होगा. लेकिन कोयले को ओपेन वैगन में ले जाने के पीछे की वजह बहुत कम ही लोग जानते हैं. भारत में ही नहीं, दुनिया के लगभग सभी देशों में कोयला ओपेन वैगन में ही ढोया जाता है. रेलवे की तकनीकी भाषा में जिस वैगन में कोयले को ढोया जाता हुए उसे बॉक्स एन वैगन (BOXN Wagon) कहते हैं. आइये आपको बताते हैं कोयले को ओपेन वैगन में ही क्यों ढोया जाता है.
कोयला चाहे देश के कोयला खदानों का हो या फिर दूसरे देश से इंपोर्ट किया गया, भारत में इसका ट्रांसपोर्टेशन ट्रेन से ही होता है. कोयले को खदानों और बंदरगाहों से बिजली घर या कारखानों तक मालगाड़ी से ही लाया जाता है.
कोयले की ओपेन वैगन में ढुलाई के बहुत सारे नुकसान हैं. उनमें से सबसे बड़ा डर यह है कि इसके चोरी होने की संभावना बढ़ जाती है. कोयले से लदी मालगाड़ी जहां भी रूकती है, वहां चोर नजगर गड़ाए रहते हैं और कोयले के बड़े-बड़े टुकड़े चुरा लेते हैं. बरसात के समय में ओपेन वैगन कोयला भीग जाता है, इसके बावजूद भी कोयले की ढुलाई ओपेन वैगन में ही की जाती है.
खदान से निकालने के बाद कोयला सीधे पिट हेड पर पहुंचता है. फिर स्टॉक यार्ड से कोयले को मालगाड़ी में लोड किया जाता है. मालगाड़ी में बुलडोजर या मशीन से कोयले की लोडिंग की जाती है. खुले वैगन में कोयले की लोडिंग आसानी से हो जाती है. वहीं अगर वैगन बंद होता तो उसमें लोडिंग में वक्त लगता और खर्च भी ज्यादा आता.
बिजली घर, बंदरगाह या फिर किसी भी जगह जब कोयले से लदी मालगाड़ी पहुंच जाती है तो ओपेन वैगन से बड़ी ही आसानी से अनलोड कर लिया जाता है. ज्यादातर जगहों पर टैक पर खड़ी मालगाड़ी से ही कोयला अनलोड कर लिया जाता है. ये सारी प्रक्रिया ओपेन वैगन की वजह से मिनटों में पूरी हो जाती है.
कोयला बेहद ज्वलनशील पदार्थों की श्रेणी में आता है. कोयले को ओपेन वैगन में ढोये जाने का मुख्य कारण आग से बचाव भी है. यात्रा के दौरान अगर मालगाड़ी में आग लग जाए तो, यह आसानी से दिख जाएगी और ओपेन वैगन की वजह से इसे बुझाने में वक्त भी नहीं लगता.
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