विकास एवं पर्यावरण साथ-साथ चलते हैं : अनिल माधव दवे
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विकास एवं पर्यावरण साथ-साथ चलते हैं : अनिल माधव दवे

प्रकाश जावड़ेकर से प्रभार संभालने वाले नवनियुक्त पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने आज कहा कि विकास और पर्यावरण एक दूसरे के विरूद्ध नहीं हैं। जावड़ेकर के कार्यकाल के दौरान पर्यावरणवादी कार्यकर्ताओं ने हरित नियमों को शिथिल बनाने की आशंका प्रकट की थी। अब मानव संसाधन विकास मंत्री बने जावड़ेकर की मौजूदगी में दवे ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती द्वारा हाथ में ली गयी सभी परियोजनाएं जारी रहेंगी लेकिन उन्हें विभाग के कामकाज को समझने में एक हफ्ता लगेगा।

नई दिल्ली : प्रकाश जावड़ेकर से प्रभार संभालने वाले नवनियुक्त पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने आज कहा कि विकास और पर्यावरण एक दूसरे के विरूद्ध नहीं हैं। जावड़ेकर के कार्यकाल के दौरान पर्यावरणवादी कार्यकर्ताओं ने हरित नियमों को शिथिल बनाने की आशंका प्रकट की थी। अब मानव संसाधन विकास मंत्री बने जावड़ेकर की मौजूदगी में दवे ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती द्वारा हाथ में ली गयी सभी परियोजनाएं जारी रहेंगी लेकिन उन्हें विभाग के कामकाज को समझने में एक हफ्ता लगेगा।

जब उनसे पूछा गया कि वह पर्यावरण एवं विकास के बीच कैसे संतुलन कायम करेंगे, उन्होंने कहा, ‘विकास एवं पर्यावरण साथ-साथ चलते हैं। वे एक दूसरे के विरूद्ध नहीं हैं। हमें इस मुद्दे को इस तरह देखने की जरूरत है।’ गंगा के ऊपरी प्रवाह में पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण को लेकर पर्यावरण एवं जल संसाधन मंत्रालयों के बीच ठने रहने के बीच दवे ने कहा, ‘हर नदी को बहना चाहिए।’ 

अपने जन्मदिन पर मंत्रालय का प्रभार संभालने वाले दवे ने दिल्ली में वायु प्रदूषण पर अंकुश पाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा अपनायी गयी सम-विषम योजना पर कहा, ‘प्रयोगों से सीखने की जरूरत है लेकिन राजनीति एवं प्रयोग को अलग-अलग रखा जाना चाहिए।’

जब दवे से पूछा गया कि चूंकि उन्होंने नर्मदा संरक्षण पर काम किया है, ऐसे में नदियों की साफ सफाई एवं उनके पुनरूद्धार के लिए उनकी कोई खास योजनाएं हैं, उन्होंने कहा कि वह पहले शगल के तौर पर काम कर रहे थे, अब वह वही काम संविधान के ढांचे में करने की कोशिश करेंगे। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में एक बड़े विस्तार के तहत दवे को पर्यावरण मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शामिल किया गया है। हरित कार्यकर्ताओं द्वारा पर्यावरण मंत्रालय की आलोचना पर दवे ने कहा कि सराहना और आलोचना जारी रहेगी क्योंकि हजारों सालों से ऐसा होता रहा है।

जब उनसे पूछा गया कि कांग्रेस ने इस खबर के बाद आंदोलन करने की धमकी दी कि पर्यावरण मंत्रालय जनजातियों के वन अधिकारों को शिथिल बना रहा है, दवे ने कहा कि ऐसी नीतियां एक के बाद एक कर आयी सरकारों द्वारा शुरू की गयी निरंतर प्रक्रिया का हिस्सा हैं। सरकार में परिवर्तन के विषय पर उन्होंने कहा कि यह नियमित प्रक्रिया है।

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