Devendra Fadnavis ने शिवसेना को लेकर एक ऐसा रहस्योद्घाटन किया है जो यदि एक दशक पहले संभव हो जाता तो आज महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर कुछ अलग होती.
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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना को लेकर एक ऐसा रहस्योद्घाटन किया है जो यदि एक दशक पहले संभव हो जाता तो आज महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर कुछ अलग होती. फडणवीस की बात से समझा जा सकता है कि 2014 में शिवसेना ने यदि सियासी भूल नहीं की होती तो आज उद्धव ठाकरे को अपनी ही पार्टी से बेदखल नहीं होना पड़ता. सोमवार को मुंबई में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देवेंद्र फडणवीस ने 2014 के विधानसभा चुनावों से जुड़े कुछ गहरे राज खोले. उन्होंने सिक्किम के राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर के अभिनंदन समारोह में फडणवीस ने पहली बार गठबंधन टूटने के कारणों के बारे में खुलकर बात की.
उन्होंने बताया कि उस वक्त के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के साथ इसलिए डील नहीं हो सकी क्योंकि उद्धव की पार्टी 151 सीटों पर चुनाव लड़ने के डिमांड पर अटक गई. फडणवीस ने कहा कि हम लोग ये प्रस्ताव लेकर शिवसेना के पास गए कि बीजेपी 127 और शिवसेना 147 सीटों पर चुनाव लड़ेगी एवं बाकी सीटें अपने सहयोगी गठबंधन को दे देंगे. फडणवीस ने कहा कि शिवसेना ने इस पेशकश को ये कहकर ठुकरा दिया कि वो 151 सीटों से कम पर चुनाव नहीं लड़ेंगे.
4 सीटों का चक्कर
जब बीजेपी को लगा कि शिवसेना अड़ रही है तो गठबंधन के लिए उसने शिवसेना को ज्यादा सीटें ऑफर करने के साथ ही मुख्यमंत्री की कुर्सी भी देने की बात कही. फडणवीस ने शिवसेना को समझाया कि आपको सर्वाधिक 147 सीटें मिल रही हैं और बीजेपी आपसे कम 127 सीटों पर लड़ेगी. इस लिहाज से आप गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में होंगे. आप सीएम की कुर्सी भी अपने पास रखिए और बीजेपी को डिप्टी सीएम की कुर्सी दे दीजिए. अगर दोनों दल गठबंधन कर लेंगे तो हम कांग्रेस-एनसीपी के एक दशक के शासन को उखाड़ फेकेंगे.
देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "मैं पार्टी अध्यक्ष था. उन्होंने (ओमप्रकाश माथुर) कहा कि हम मिलकर सरकार लाएंगे और यह वो समय था जब हमारे प्रिय मित्र उस समय की तत्कालीन शिवसेना के साथ हमारी बातचीत चल रही थी." उन्होंने ओम प्रकाश माथुर के महत्वपूर्ण हस्तक्षेप के बारे में विस्तार से बताया, जिन्होंने भाजपा नेता अमित शाह से बात की, जिन्होंने फिर इस मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाया. "गृह मंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री से बात की, और यह तय हुआ कि अगर भाजपा के लिए 127 और शिवसेना के लिए 147 का फॉर्मूला होगा, तभी गठबंधन जारी रहेगा. अन्यथा, गठबंधन काम नहीं करेगा".
इसके बाद मुख्यमंत्री ने उस महत्वपूर्ण क्षण का खुलासा किया, जिसके कारण अंतिम रूप से गठबंधन टूट गया. उन्होंने कहा: "मुझे अमित शाह और ओम प्रकाश माथुर पर भरोसा था. हमें विश्वास था कि हम जीत सकते हैं लेकिन पार्टी के बाकी लोग उतने आशावादी नहीं थे." अंततः माथुर और अमित शाह के समर्थन से फडणवीस ने शिवसेना को अल्टीमेटम दिया, जिसमें शिवसेना के लिए 147 और भाजपा के लिए 127 के प्रस्तावित फॉर्मूले पर शिवसेना के साथ चुनाव लड़ने की पेशकश की गई.
फडणवीस ने याद करते हुए कहा, "हमने उनसे कहा कि अगर आप 147 सीटों पर लड़ने के लिए तैयार हैं, तो हम आपके साथ खड़े होंगे और हम 127 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. दोनों पार्टियों को बेहतरीन नतीजे मिलेंगे और दोनों 200 से ज़्यादा सीटें जीतेंगे." हालांकि, उद्धव ठाकरे ने 151 सीटों पर अड़े रहने के कारण प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. फडणवीस के अनुसार, इस हठ के कारण गठबंधन टूट गया. फडणवीस ने कहा: "लेकिन ऐसा लगता है कि नियति के नियम में कुछ और ही लिखा था - मुझे मुख्यमंत्री बनना था."
फडणवीस ने चुनाव रणनीति के बारे में भी जानकारी साझा की. सीट बंटवारे की बातचीत में असफलता के बावजूद, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि कैसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने रिकॉर्ड संख्या में निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ा.
उन्होंने कहा, "हमने 260 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था, जो अभूतपूर्व था. इससे पहले, हमने कभी 117 से ज़्यादा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ा था." फडणवीस के अनुसार, 260 सीटों पर लड़ने के इस साहसिक निर्णय ने महाराष्ट्र में भाजपा की सफलता की नींव रखी. उस चुनाव में बीजेपी को सर्वाधिक 122 सीटें मिलीं. चुनाव बाद शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया और देवेंद्र फडणवीस पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. शिवसेना भी सरकार में शामिल हुई. इसके साथ ही महाराष्ट्र में पहली बार बीजेपी सबसे बड़ा दल बन सकी और उसकी पार्टी का नेता मुख्यमंत्री बना.
उसके बाद 2019 के चुनाव की पिक्चर सबको पता है. बीजेपी-शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा लेकिन नतीजे आने के बाद सीएम की कुर्सी को लेकर बात नहीं बनी. उद्धव ठाकरे ने विचारधारा के स्तर पर धुर विरोधी कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की सरकार बनाई. ढाई साल बाद ये सरकार गिर गई. शिवसेना और उसके बाद एनसीपी में विभाजन हो गया. विभाजित धड़ों ने बीजेपी के साथ मिलकर महायुति सरकार बनाई और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने. 2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की 288 सीटों में से सर्वाधिक 134 सीटें जीतीं. महायुति की सरकार बनी और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर मुख्यमंत्री बने.
(इनपुट: एजेंसियां)