महाराष्ट्र : सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा- 'मराठा आरक्षण की मांग पर काम कर रही है सरकार'
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महाराष्ट्र : सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा- 'मराठा आरक्षण की मांग पर काम कर रही है सरकार'

मुख्यमंत्री ने पिछले कुछ दिनों में मराठा संगठनों की ओर से आरक्षण की मांग को लेकर किए जा रहे आंदोलन के दौरान हिंसक घटनाओं और कथित तौर पर खुदकुशी किए जाने के मामले को निराशाजनक करार दिया.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस  (फाइल फोटो)

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग पर काम कर रही है लेकिन कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी नहीं की जा सकती है. महाराजा शिवाजी के वंशज छत्रपति राजाराम पर आधारित एक किताब के विमोचन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में फडणवीस ने कहा कि केवल भावनाओं के आधार पर फैसला नहीं किया जा सकता है.

मुख्यमंत्री ने पिछले कुछ दिनों में मराठा संगठनों की ओर से आरक्षण की मांग को लेकर किए जा रहे आंदोलन के दौरान हिंसक घटनाओं और कथित तौर पर खुदकुशी किए जाने के मामले को निराशाजनक करार दिया.

फडणवीस ने कहा, 'अगर भावनाएं उत्तेजित होती हैं तो समुदाय में अशांति पैदा होगी. कानूनी प्रक्रिया को पूरा किए जाने की जरूरत है और हमारी सरकार समयबद्ध तरीके से ऐसा करेगी.' उन्होंने कहा कि राज्य की भाजपा नीत सरकार ने सत्ता में आने के एक साल के भीतर नौकरियों और शिक्षा में समुदाय को आरक्षण देने के लिए कानून बना दिया था.

फडणवीस ने कहा, 'लेकिन उच्च न्यायलय ने इस निर्णय पर स्थगन लगा दिया और उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा. उच्चतम न्यायालय के 1992 के फैसले के अनुसार 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है.' 

उन्होंने कहा, 'असाधारण परिस्थितियों में ही सीमा को बढ़ाया जा सकता है और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के जरिए (अदालत के समक्ष) ऐसी परिस्थितियां पैदा की जा सकती हैं.' फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार ने एक समिति का गठन किया था और सर्वेक्षण और जन सुनवाई का काम प्रारंभ भी हो गया था.  उन्होंने कहा, 'लेकिन अध्यक्ष का निधन हो गया था. अब नये अध्यक्ष की नियुक्ति की गई है और प्रक्रिया को फिर से शुरू किया गया है. समिति के रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद हम आरक्षण की मांग को उसकी तार्किक परिणति तक पहुंचाने के लिए विधानसभा का सत्र बुलाएंगे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को यह समझने की जरूरत है कि आरक्षण की कानूनी समीक्षा हो सकती है और वह उच्चतम न्यायालय के 1992 के फैसले के अनुरूप होना चाहिए.

(इनपुट - भाषा)

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