Vaishno Devi Yatra: माता रानी के एक भक्त ने कुछ ऐसा काम किया है जिसकी वजह से वो चर्चाओं में आ गया है. बता दें कि पश्चिमी बंगाल के शंभू सिंह पिछले 50 दिन से स्केटिंग करते हुए हरियाणा के अंबाला पहुंच चुके हैं और उनका लक्ष्य जम्मू-कश्मीर के कटरा स्थित माता वैष्णो देवी के मंदिर तक पहुंचना है.
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Vaishno Devi Yatra: कहते हैं कि अगर कुछ ठान लो तो वो ही जाता है. बस उस काम को करने की जिज्ञासा होनी चाहिए. ऐसा ही काम माता रानी के भक्त ने किया जो चर्चाओं में है. ट्रेन, बस, कार और साइकिल से आपने लोगों को यात्रा करते हुए जरूर देखा होगा, लेकिन क्या आपने स्केट्स पर किसी को हजारों किलोमीटर की यात्रा करते देखा है? दरअसल, पश्चिमी बंगाल के शंभू सिंह पिछले 50 दिन से स्केटिंग करते हुए हरियाणा के अंबाला पहुंच चुके हैं और उनका लक्ष्य जम्मू-कश्मीर के कटरा स्थित माता वैष्णो देवी के मंदिर तक पहुंचना है.
कब शुरू हुआ है सफर
शंभू सिंह ने 3 फरवरी को पश्चिमी बंगाल से वैष्णो देवी के लिए अपनी यात्रा शुरू की थी और अब वह 50 दिन बाद अंबाला पहुंचे हैं. अंबाला के नेशनल हाइवे पर स्केट्स के माध्यम से तेजी से यात्रा करते हुए शंभू एक उदाहरण पेश कर रहे हैं. वह बताते हैं कि स्केटिंग करना उनका शौक है, इसी वजह से स्केट्स के माध्यम से उन्होंने वैष्णो देवी जाने का निर्णय लिया. इसके अलावा बताया, "इस यात्रा के दौरान मैं हर दिन मंदिरों और पेट्रोल पंपों पर रुकता हूं. जहां भी मुझे रात बिताने का समय मिलता है, मैं वहीं रुक जाता हूं. साथ ही बताया कि मुझे यात्रा के दौरान खाना बनाने का सामान भी अपने साथ होता है, तो कभी-कभी मैं खुद खाना बनाता हूं या फिर कभी-कभी किसी होटल में भी खाना खा लेता हूं.
मीडिया से क्या बोले शंभू सिंह
अपनी इस यात्रा के बारे में गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए शंभू सिंह ने कहा कि 3 फरवरी को वह घर से निकले थे और आज 50 दिन से ज्यादा हो चुके हैं. उन्होंने कहा, मैं वैष्णो देवी की यात्रा पर जा रहा हूं. मैं पहले से ही स्केटिंग करता था और मुझे यह बहुत अच्छा लगता है. लोग यात्रा कई माध्यमों से करते हैं, लेकिन मुझे यात्रा के लिए स्केटिंग सबसे अच्छा तरीका लगा. इसलिए मैं स्केटिंग के जरिए यह यात्रा कर रहा हूं. यह मेरी पहली ऐसी यात्रा है. इस यात्रा के जरिए मैं लोगों को एक संदेश देना चाहता हूं कि आज सोशल मीडिया का दौर है और लोग कुछ भी देख रहे हैं. मैं यह कहना चाहता हूं कि कुछ भी देखने की बजाय अपने देश की धार्मिक और सांस्कृतिक चीजों को देखें और उनके बारे में जानने की कोशिश करें. हमारे यहां जो अलग-अलग संस्कृतियां हैं, उन्हें समझें. (आईएएनएस)