काशी विश्वनाथ मंदिर में हाथ से बनी कागज की चप्पल पहनेंगे श्रद्धालु, इतनी होगी कीमत
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काशी विश्वनाथ मंदिर में हाथ से बनी कागज की चप्पल पहनेंगे श्रद्धालु, इतनी होगी कीमत

काशी विश्‍वनाथ मंदिर में सर्दी हो या गर्मी, श्रद्धालुओं को नंगे पैर ही वहां जाना होता था. अब कॉरिडोर बनने के बाद श्रद्धालुओं को सबसे पहले खादी द्वारा बनाई गई यूज एंड थ्रो चप्पलें मुहैया कराने की पहल हो रही है. 

यूज एंड थ्रो चप्पलें.

नई दिल्‍ली: वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को सबसे पहले खादी द्वारा बनाई गई यूज एंड थ्रो चप्पलें मुहैया कराई जाएंगी ताकि उन्हें मंदिर परिसर में नंगे पैर न चलना पड़े. 

  1. काशी विश्‍वनाथ मंदिर में पहनने के लिए बन रहीं यूज एंड थ्रो वाली चप्‍पलें 
  2. बन रहीं खादी और हस्तनिर्मित कागज की चप्पलें
  3. हस्तनिर्मित कागज की चप्पलों की कीमत होगी 50 रुपये प्रति जोड़ी

भारत में पहली बार बनाई गई हैं ऐसी चप्‍पलें 

एजेंसी की खबर के अनुसार, 100 प्रतिशत पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी चप्पल भारत में पहली बार बनाई गई हैं. ये चप्पलें खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा 14 जनवरी से मंदिर के भक्तों और श्रमिकों के उपयोग के लिए बेची जाएंगी.

हस्तनिर्मित कागज की चप्पलों की कीमत 50 रुपये प्रति जोड़ी

इन चप्पलों की बिक्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की पार्किंग में स्थित खादी बिक्री केंद्र से होगी. हस्तनिर्मित कागज की चप्पलों की कीमत 50 रुपये प्रति जोड़ी की मामूली दर से होगी. मंदिर प्रशासन द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पता चला कि मंदिर में काम करने वाले अधिकांश लोग नंगे पैर अपना कर्तव्य निभाते हैं, तब उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर के कार्यकर्ताओं के लिए जूट की चप्पलें भेजीं. मंदिर परिसर में चमड़े या रबर से बने जूते पहनना मना है. 

कागज की चप्पलों के इस्तेमाल से मंदिर की पवित्रता बनी रहेगी

केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि हाथ से बनीं कागज की चप्पलों के इस्तेमाल से मंदिर की पवित्रता बनी रहेगी और साथ ही, भक्तों को गर्मी और ठंड से भी बचाया जा सकेगा. साथ ही ये चप्पलें किसी भी तरह के प्रदूषण को रोकेंगी, क्योंकि ये प्राकृतिक रेशों से बनी होती हैं. 

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खादी कारीगरों के लिए स्थायी रोजगार भी होगा पैदा

उन्होंने कहा, "ये हस्तनिर्मित कागज की चप्पलें मंदिर की पवित्रता को बनाए रखेंगी. चप्पलें 100 प्रतिशत पर्यावरण के अनुकूल सामग्री से बनी होती हैं. मंदिर परिसर में इन चप्पलों के उपयोग से खादी कारीगरों के लिए स्थायी रोजगार भी पैदा होगा."

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