DNA ANALYSIS: चीनी सेना में भ्रष्टाचार के सबूत और गलवान का सच
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DNA ANALYSIS: चीनी सेना में भ्रष्टाचार के सबूत और गलवान का सच

इस साल 15 जून की रात को गलवान में बड़ी संख्या में चीन के जो सैनिक मारे गए.उसके पीछे चीन की सेना में फैला भ्रष्टाचार था ?

DNA ANALYSIS: चीनी सेना में भ्रष्टाचार के सबूत और गलवान का सच

नई दिल्ली : इस साल 15 जून की रात को गलवान (Galwan) में बड़ी संख्या में चीन के जो सैनिक मारे गए.क्या उसके पीछे चीन की सेना में फैला भ्रष्टाचार था ? चीन (China) में जब एक व्यक्ति ने चीन के सैनिकों को दी गई बख्तरबंद गाडियों की खराब क्वालिटी पर सवाल उठाए और दावा किया कि गलवान में चीन के सैनिकों की मौत के पीछे सेना में फैला भ्रष्टाचार था तो चीन की पुलिस ने ना सिर्फ उसे गिरफ्तार कर लिया बल्कि उससे माफी भी मंगवाई. 

  1. DONGFENG कंपनी ने चीन की सेना को धोखा दिया
  2. चीन की सेना को घटिया क्वालिटी की 500 गाड़ियां सप्लाई की
  3. युद्ध क्षेत्र में धोखा दे गई कंपनियां की गाड़ियां, PLA ने वापस लौटाई
  4.  

चीन की सेना पर भ्रष्टाचार के आरोपों का ये था आधार 
लद्दाख सीमा पर गलवान घाटी में 15 जून की रात को जो लड़ाई हुई थी. उसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे और चीन के 40-  50 सैनिक मारे गए. भारत ने तो अपने शहीद सैनिकों को पूरा सम्मान दिया. चीन अपने मारे गए सैनिकों का आंकड़ा अब तक न सिर्फ दुनिया से छुपाता रहा है बल्कि उसने अपने नागरिकों को भी इसका सच कभी नहीं बताया. चीन में Zhou Liying (झाऊ लियिंग) नाम के एक व्यक्ति ने चीन के सोशल मीडिया में गलवान घाटी की घटना से जुड़े कुछ Post किए. इसकी जानकारी मिलते ही वहां की पुलिस ने अफवाह फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

चीन के इस व्यक्ति ने अपनी सोशल मीडिया Post में गलवान घाटी में चीन की सेना को हुए नुकसान की असली वजह बता दी थी. उसने लिखा था कि चीन की सेना को Dongfeng (डॉन्गफेंग) नाम की एक कंपनी ने जो सैन्य गाड़ियां Supply की थी. इनकी क्वालिटी खराब क्वॉलिटी और इसी भ्रष्टाचार की वजह से सीमा पर चीन- भारत के टकराव में चीन के सैनिकों की मौत हुई थी. इस घटना के चीन की सेना ने कंपनी की ऐसी 500 गाड़ियां वापस कर दी थीं.  जैसे ही इस व्यक्ति ने गलवान घाटी का ये सच बताया. चीन की सेना को गाड़ियां सप्लाई करने वाली कंपनी ने पुलिस को शिकायत कर दी. इसी शिकायत के आधार पर चीन की पुलिस ने पिछले हफ्ते उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद उस व्यक्ति से माफीनामा भी लिखवाया गया. 

PLA की वेबसाइट पर प्रकाशित हुई माफीनामे की खबर
ये ख़बर CHINA MAIL.COM नाम की Website पर प्रकाशित हुई. कहा जाता है कि इसका संचालन चीन की People’s Liberation Army यानी PLA द्वारा ही किया जाता है. इसमें अफवाह फैलाने के आरोप में पकड़े गए चीन के इस व्यक्ति का माफीनामा भी छपा है. इसमें इस व्यक्ति से कहलाया गया कि उसकी ख़बर मनगढ़ंत थी और ये कहानी उसने नशे की हालत में बनाई थी.  इस ख़बर से स्पष्ट तौर पर पता चलता कि भले ही गलवान घाटी में चीन अपने नुकसान को ना बताए, लेकिन चीन के लोग ये बात अच्छी तरह से जान चुके हैं कि गलवान घाटी की झड़प में भारत के सैनिकों ने चीन के काफी सैनिकों को मार गिराया. 

DONGFENG कंपनी ने चीन की सेना को धोखा दिया 
चीन की ही मीडिया में छपी कुछ Reports का दावा है कि इन गाड़ियों का निर्माण करने वाली कंपनी DONGFENG ने चीन की सेना को धोखा दिया है. ये करप्शन रोकने का दावा करने वाले चीन जैसे देश के लिए एक गंभीर सवाल है. आरोप लगाया जा रहा है कि इसके पीछे रक्षा सौदों में हुआ भ्रष्टाचार है. DONGFENG कंपनी के दो अधिकारियों के खिलाफ चल रही भ्रष्टाचार की जांच की खबर Sohu नामक वेबसाइट पर भी प्रकाशित हुई है. इसमें भी भारत और चीन के सीमा विवाद का जिक्र नहीं हैं..लेकिन ये दोनों खबरें जून में प्रकाशित हुई थी. जब LAC पर विवाद अपने चरम पर था. 

सच्चाई लिखने पर अखबार का मालिक गिरफ्तार 
चीन के एक अखबार की वेबसाइट Apply Daily में DONGFENG पर लगे आरोप और LAC पर चल रहे विवाद के बीच कनेक्शन की बात कही गई थी. ये अखबार Hong Kong से प्रकाशित होता है और इस रिपोर्ट में लिखा गया था कि इन गाड़ियों के निर्माण में खराब क्वालिटी के स्टील का इस्तेमाल हुआ था. बाद में  इस अखबार के मालिक को राष्ट्र द्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. 

अमेरिकी हमर गाड़ी की नकल हैं चीन की फौजी गाड़ियां
चीन की DONGFENG HUMVEE गाड़ी दरअसल अमेरिकी सेना में इस्तेमाल होने वाली गाड़ी Hummer की Copy है.  लेकिन चीन इसे नकल नहीं मानता. उसका कहना है कि ये कानूनी रूप से चीन में बनी गाड़ियां हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन में  DONGFENG MOTOR GROUP की मालिक खुद चीन की सरकार है. कहा जाता है कि चीन के पास Hummer के Remake का लाइसेंस भी है. DONGFENG Motor पर पहली बार करप्शन के आरोप नहीं लगे हैं  बल्कि 2015 में भी इस कंपनी के एक अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच हुई थी. 

भ्रष्टाचार खत्म करने की आड़ में विरोधियों का सफाया 
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब सत्ता में आए थे तो उन्होंने देश से भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा किया था. वे भ्रष्टाचार के आरोप में देश में 10 लाख से ज़्यादा कर्मचारियों और अधिकारियों को बर्खास्त कर चुके हैं. इससे चीन में भ्रष्टाचार तो खत्म नहीं हुआ. बल्कि पुराने लोगों को हटाकर शी जिनपिंग ने अपने लोग बैठा दिए और सत्ता में अपनी पकड़ मजबूत कर ली . आज चीन में शी जिनपिंग को चुनौती देने वाला कोई नहीं है. चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की सर्वोच्च संस्था पोलित ब्यूरो के 25 सदस्यों में 60 प्रतिशत शी जिनपिंग से सीधे जुड़े हैं. इनमें से कई लोग तो शी जिनपिंग के पारिवारिक सदस्य हैं तो कई लोग शी जिनपिंग के बचपन के दोस्त हैं. सत्ता पर अपने पकड़ मजबूत करने के लिए शी जिनपिंग ने भ्रष्टाचार हटाने के बहाने 170 से ज़्यादा पुराने सीनियर और जूनियर मंत्रियों को बर्खास्त करके जेल में डाल दिया और उनकी जगह अपने करीबियों को बैठा दिया. चीन में शी जिनपिंग की कथित भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को अब 8 वर्ष हो चुके हैं और चीन आज भी भ्रष्टाचार के मामले में 198 देशों में 80वें नंबर पर है. 

दोस्त नेपाल से भी कर डाली ठगी  
शी जिनपिंग की सत्ता और शक्ति में जिस तरह से चीन के लोग फंसे हैं, वैसे ही चीन अपने कर्ज़ के जाल में दूसरे देशों को फंसाता है. पड़ोसी नेपाल का उदाहरण सामने है. चीन ने 2012 में उसके सात छह विमानों का एक सौदा किया था.  इस सौदे के मुताबिक नेपाल को चीन के 6 विमान खरीदने थे और इसके साथ चीन अतिरिक्त दो विमान नेपाल को गिफ्ट के तौर पर देता. लेकिन चीन के ये विमान खराब गुणवत्ता के निकले और नेपाल को सभी 6 विमान अपनी सेवा से हटाने पड़े. नेपाल ने चीन से 6 विमान लेने के लिए करीब 660 करोड़ नेपाली रुपये का सौदा किया था. जिसमें 60 प्रतिशत रकम चीन के EXIM BANK से लोन के तौर पर ली थी. ये 20 वर्ष का लोन था, जिसमें डेढ़ प्रतिशत ब्याज़ दर से नेपाल को लोन दिया गया था। अब जब नेपाल के चाइनीज़ विमान किसी काम के नहीं रहे, तो नेपाल चीन के इस कर्ज़ में फंस गया है.

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