Mohan Bhagwat News: संघ प्रमुख ने अपनी बात बढ़ाते हुए कहा, 'अहिंसा हमारा मूल स्वभाव है. लेकिन कुछ लोग बिगड़े हुए है. हम कभी पड़ोसियों को कोई कष्ट नहीं पहुंचाते, लेकिन वो अपने धर्म का पालन न करे, तो राजा का धर्म है कि अपनी प्रजा की रक्षा करना. तो राजा अपने प्रजा की रक्षा करने के लिए कदम उठाएगा.'
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Pahalgam Terrorist Attack: दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में आरएसएस (RSS) प्रमुख मोहन भागवत और अन्य लोगों ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष लोगों की याद में दो मिनट का मौन रखा. इस कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख ने देश की वर्तमान और ज्वलंत चुनौतियों पर अपने दृष्णिकोण से दुनिया को रूबरू कराया.
इस आयोजन में हिंदू मेनिफेस्टो का विषय दिखा. संघ प्रमुख ने कहा, 'ये एक ऐसा प्रपोजल है जिसकी सबके बीच चर्चा हो और जिस पर सबकी सहमति हो. ऐसा प्रपोजल है.. ऐसी सहमति क्यों चाहिए? वो इसलिए ताकि दुनिया को नया रास्ता चाहिए. विश्व की भलाई के लिए मानवता की रक्षा के लिए मनुष्यता के लिए जो तीसरा रास्ता चाहिए, वो भारत के पास है. वो भारत को देना चाहिए. ये रास्ता भारत के पास है जो उसे अपनी परंपरा से देना चाहिए.
#WATCH | At an event in Delhi, a two-minute silence was observed by RSS chief Mohan Bhagwat and others to honour the innocent lives lost in the Pahalgam terror attack#PahalgamTerroristAttack pic.twitter.com/k9ZBqyzBXC
— ANI (@ANI) April 26, 2025
गुंडागर्दी से मार न खाना भी हमारा धर्म: भागवत
संघ प्रमुख ने अपनी बात बढ़ाते हुए कहा, 'अहिंसा हमारा मूल स्वभाव है. लेकिन कुछ लोग बिगड़े हुए है. मैने मुंबई में रावण का जिक्र किया. वो इसलिए कि रावण में सबकुछ था लेकिन उसका मन अहिंसा के खिलाफ था. जिससे भगवान ने उसका वध किया. ऐसे ही गुंडागर्दी से मार न खाना भी हमारा धर्म है. उनको सबक सिखाना हमारा धर्म है. हम कभी भी पड़ोसियों को कोई कष्ट नहीं पहुंचाते लेकिन वो अपने धर्म का पालन नहीं करे, तो राजा का धर्म है कि अपनी प्रजा की रक्षा करना. तो राजा अपने प्रजा की रक्षा करने के लिए जो कदम उठाएगा, उसे लोग याद रखेंगे.'
'सिर्फ कर्मकांड ही धर्म नहीं'
अपने संबोधन में भागवत ने आगे ये भी कहा, 'हमने धर्म को सिर्फ कर्मकांड समझ लिया. धर्म को पूजा घर और खान पान की पद्धति से जोड़ दिया. यानी पूजापाठ और क्या खाना है उसी में धर्म मान लिया. सबके रास्ते अपने अपने लिए ठीक होते हैं. मेरा रास्ता मेरे लिए ठीक है लेकिन और सबके रास्ते का भी सम्मान है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि मेरा ठीक है और औरों का खराब. आज हिंदू समाज को हिंदू धर्म समझने की आवश्यकता है.