PVC wire: वायर इंडस्ट्री नहीं कर रही BIS का पालन, आखिर कब बंद होंगे PVC वाले जलाउ वायर?
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PVC wire: वायर इंडस्ट्री नहीं कर रही BIS का पालन, आखिर कब बंद होंगे PVC वाले जलाउ वायर?

Disadvantages of pvc wire: पीवीसी वायर में बदलाव की मांग की जा रही है क्‍योंकि आजकल हर जगह शॉर्ट सर्किट की घटना आम हो गई है. ऐसे में PVC वायर पर सवाल उठने लगे हैं.   

फाइल फोटो

Wire and Cable Industry: आप कितने भी महंगी वायरिंग करा लें लेकिन शॉर्ट सर्किट हर जगह हो रहा है. कहीं मॉल में ऐसी घटना हो जाती है तो कभी कोचिंग सेंटर पर. ऐसे में इन इमारतों में इलेक्ट्रिक सेफ्टी पर जोर दिया जाना जरूरी है. विशेषज्ञों का भी कहना है कि इसमें इंटरनेशनल स्‍टैंडर्ड का पालन होना चाहिए. ज्‍यादातर लोगों को लगता है कि PVC वाले वायर अच्‍छे होते हैं लेकिन इनमें भी शॉर्ट सर्किट का डर बना हुआ रहता है क्‍योंकि ये ज्‍यादा से ज्‍यादा 70 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान को ही सह पाते हैं. ऐसे में इन वायरों में बदलाव की मांग की जा रही है.         
 
क्‍या PVC है फायदेमंद? 

भारत में बिजली के लिए जो वायर इस्तेमाल किया जा रहा है, उससे कई खतरे हैं. इस वजह से कई बार शॉर्ट सर्किट के मामले देखे जा चुके हैं. ऐसी स्थिति में 'वायर नो फायर' का दावा नहीं किया जा सकता है और पीवीसी वायर पूरी तरह से सुरक्षित भी नहीं है क्‍योंकि ये केवल 70 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान का ही सह सकता है. उसके बाद इसमें भी शॉर्ट सर्किट होने की आशंका होती है. ऐसे में जब आग लगती है तो इसमें से जहरीला घना धुआं निकालता है और इसकी वजह से विजबिलिटी भी जिरो होने की आशंका होती है. आग लगने पर वहां के लोगों को सांस लेने पर भी नुकसान होता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन समस्‍याओं की वजह से इस तरह के वायर को बनाने पर रोक लगानी चाहिए. 

नहीं कर रहे हैं 'BIS स्टैन्डर्ड' का पालन! 

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि हाल फिलहाल में जो वायर बनाए जा रहे हैं. उनमें बीआईएस स्टैन्डर्ड का पालन नहीं हो रहा है. इस इंडस्ट्री के विशेषज्ञ और एईओएन कंसल्टेंट्स के मैनिजिंग पार्टनर आशीष राखेजा बताते हैं कि नए कोड और मानकों को अपनाने की जरूरत है. इससे जोखिम को कम किया जा सकेगा. साथ ही लोकल लेवल के निर्माताओं को भी सुधार लाना चाहिए. 

'वायर नो फायर' के बारे में जान लीजिए 

शॉर्ट सर्किट का होना बहुत आम हो गया है. ऐसे में इससे बचने के लिए 'वायर नो फायर' के कॉन्सेप्ट को विकसित किया गया था. इसके मुताबिक ऐसे वायर को बनाने की बात की जाती है, जिसमें आग लगने की गुंजाइश कम से कम हो और इसके अलावा उससे होने वाला नुकसान न के बराबर हो. 

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