Diwali 2022: भारत के इस गांव में सदियों से नहीं मनाई जाती दिवाली, इस अनहोनी से डरते हैं लोग
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Diwali 2022: भारत के इस गांव में सदियों से नहीं मनाई जाती दिवाली, इस अनहोनी से डरते हैं लोग

Why We Celebrate Diwali: दिवाली (Diwali) के दिन गोंडा (Gonda) के एक गांव में खुशी नहीं मनाई जाती है और न ही एक भी दीपक जलाया जाता है. आइए इसके पीछे का कारण जानते हैं.

गोंडा के यादवपुरवा में नहीं मनाई जाती है दिवाली

No Diwali Celebration: भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद जब अयोध्या (Ayodhya) वापस लौटे थे, तब उनके आने की खुशी और स्वागत में दीपक जलाकर लोगों ने दिवाली (Diwali) मनाई थी. तब से लेकर अब तक पूरे देश में दीपावली के दिन दीपक जलाकर धूमधाम से ये पर्व मनाया जाता है. लेकिन उत्तर प्रदेश के गोंडा में एक गांव ऐसा भी है जहां सदियों से दीवाली नहीं मनाई जाती है. दिवाली के दिन एक भी दीप नहीं जलाया जाता है. लगभग 250 की आबादी वाले इस गांव में एक अनहोनी दीवाली के मौके पर बहुत पहले हो गई थी. दिवाली के दिन एक युवा की मौत हो गई थी. तभी से गोंडा के इस गांव में दीवाली के मौके पर मातम छाया रहता है.

यादवपुरवा में क्यों नहीं मनाई जाती दिवाली?

बता दें कि उत्तर प्रदेश में गोंडा के यादवपुरवा गांव में दीवाली का त्यौहार नहीं मनाया जाता है. गांव के लोग दीपावली का कोई भी उत्सव नहीं मनाते हैं. यादवपुरवा गांव के लोगों का कहना है कि दीपावली के दिन एक युवा की मौत हो गई थी, उसी के बाद से हम लोग दिवाली नहीं मना रहे हैं. अगर दिवाली मनाने की कोशिश करते हैं तो कोई अनहोनी हो जाती है. उस डर का प्रभाव आज भी है.

पीढ़ियों से चल रही है यह परंपरा

यादवपुरवा गांव के राजकुमार यादव के मुताबिक, कई साल पहले दिवाली वाले दिन एक नौजवान का निधन हो गया था. उसी के बाद यहां पर परंपरा बन गई. वही परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. इस गांव में 20 घर हैं, जिसमें करीब 250 लोग रहते हैं. दिवाली के दिन ये सभी लोग घर में ही रहते हैं. दिवाली पर कोई पकवान नहीं बनता है.

परंपरा तोड़ने पर खामियाजा भुगतने का डर

राजकुमार यादव ने बताया कि एक-दो बार नई बहुएं आईं और उन्होंने इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश की, जिसका खमियाजा भी हमें भुगतना पड़ा. कई लोग बीमार हो गए. बच्चे भी काफी परेशानी में पड़ गए. कई लोग अस्पताल के चक्कर लगाते रहे. इसके बाद से एक बात ठानी गई कि भले कुछ हो जाए, लेकिन दीवाली नहीं मनाई जाएगी. भले ही उसके दूसरे दिन बच्चे पटाखे आदि जला लें. लेकिन दिवाली वाले दिन पटाखे नहीं जलाने हैं.

गांव के लोग कब मना पाएंगे दिवाली?

वहीं, बुजुर्ग द्रौपदी देवी कहती हैं कि दीवाली न मनाने की परिपाटी यहां सैकड़ों वर्ष पुरानी है. इस गांव के लोगों को इंतजार है कि दीवाली वाले दिन गांव में कोई बेटा पैदा हो जाये या फिर गाय के बछड़ा पैदा हो जाये तभी इस पर्व की शुरुआत हो सकती है. वरना ऐसे ही दीवाली के दिन यहां सन्नाटा पसरा रहेगा. जो पीढ़ियों से चला आ रहा है.

(इनपुट- आईएएनएस)

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