DNA: खत्म हुई जवानी, आ गया बुढ़ापा; 104 साल की उम्र में हुआ बाइज्जत बरी, दशकों तक लड़ा केस
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DNA: खत्म हुई जवानी, आ गया बुढ़ापा; 104 साल की उम्र में हुआ बाइज्जत बरी, दशकों तक लड़ा केस

DNA Analysis: हम आपको बताने जा रहे हैं इंसाफ की ऐसी कहानी के बारे में. जिसमें 48 साल बाद पता चला कि जिसने सजा भुगती उसने खता की ही नहीं थी और इसके बाद 104 साल की उम्र में उस व्यक्ति को कत्ल के केस से बाइज्जत बरी कर दिया गया.

 DNA: खत्म हुई जवानी, आ गया बुढ़ापा; 104 साल की उम्र में हुआ बाइज्जत बरी, दशकों तक लड़ा केस

DNA Analysis: गैंगरेप के आरोपियों का विजय जुलूस देखकर आपका मन भी व्यथित होगा, आप चाहते होंगे गैंग रेप के आरोपियों को फौरन कड़ी से कड़ी सजा मिले. ऐसा इंसाफ हो जो एक नज़ीर बने. क्योंकि देर से मिला इंसाफ खुशी कम और दर्द ज्यादा देता है. आपने आज से पहले कई बार सुना होगा, लम्हों ने ख़ता की, सदियों ने सज़ा पाई, लेकिन आज आपको इंसाफ की ऐसी कहानी के बारे में जरूर जानना चाहिए जिसमें 48 साल बाद पता चला कि जिसने सजा भुगती उसने खता की ही नहीं थी और इसके बाद 104 साल की उम्र में उस व्यक्ति को कत्ल के केस से बाइज्जत बरी कर दिया गया.

दशकों बाद धुला दाग
लखन सरोज उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के रहने वाले हैं. जेल से बाहर निकलते वक्त उनके चेहरे पर खुशी है. क्यों​कि उन पर लगा कातिल होने का दाग धुल चुका है. आज आपको उस केस के बारे में भी जानना चाहिए. जिसकी वजह से कई दशकों तक लखन को जेल में रहना पड़ा.

क्या था मामला
दरअसल, 1977 में गांव के आपसी विवाद में लाठी लगने से एक शख्स की जान चली गई. कत्ल के केस में लखन को भी आरोपी बनाया गया, पुलिस ने केस में चार्टशीट दाखिल की जिसके बाद लखन को ज़मानत मिल गई, 1982 में सेशन कोर्ट ने इस मामले में लखन को उम्रकैद की सज़ा सुनाई. इस सज़ा के ख़िलाफ़ लखन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की. सेशन कोर्ट से फैसला होने के बाद दूसरे पक्ष ने मुकदमा छोड़ दिया था.

 

बीच- बचाव करने गए थे
जिसके बाद पूरा मामला लखन बनाम स्टेट का हो गया, कई दशक बीत गए, लखन के खिलाफ एफआईआर करवाने वालों की भी मौत हो गई. आखिरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 104 साल की उम्र में लखन को बाइज्जत बरी कर दिया. कोर्ट से बरी होने के बाद भी करीब 20 दिन लखन को जेल में रहना पड़ा. क्योंकि कोर्ट से कागज़ जेल तक नहीं पहुंचा था, 104 की उम्र में जेल से रिहाई के बाद लखन ने बताया वो एक विवाद में बीच बचाव करवाने पहुंचे थे. लेकिन उनको आरोपी बना दिया गया.

लखन को 104 साल की उम्र में इंसाफ मिला है, देर से मिले इंसाफ का दर्द क्या होता है. ये लखन और उनका परिवार ही बता सकता है. इसीलिए हम मांग कर रहे हैं गैंगरेप की पीड़ित लड़की को जल्द इंसाफ मिले नहीं तो विजय जुलूस निकालने वालों की तस्वीर देखकर वो रोज सजा भुगतेगी.

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