DNA: सोशल मीडिया पर लाइक, कमेंट....मातम मनाने नहीं पहुंचे 4 लोग, खूब शेयर होते थे 4 लाख फॉलोअर्स वाली के वीडियो
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DNA: सोशल मीडिया पर लाइक, कमेंट....मातम मनाने नहीं पहुंचे 4 लोग, खूब शेयर होते थे 4 लाख फॉलोअर्स वाली के वीडियो

DNA Analysis: कंचन कुमारी उर्फ कमल कौर भाभी नाम की सोशल मीडिया स्टार का अंतिम संस्कार हो रहा था. सोशल मीडिया पर इनके 4 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स थे. इनके वीडियो हजारों-लाखों यहां तक कि करोड़ों लोग देखते थे लेकिन इनके अंतिम संस्कार के समय, उन 4 लाख फॉलोअर्स में से 4 लोग भी नहीं आए.

DNA: सोशल मीडिया पर लाइक, कमेंट....मातम मनाने नहीं पहुंचे 4 लोग, खूब शेयर होते थे 4 लाख फॉलोअर्स वाली के वीडियो

DNA Analysis: जिस कहानी से आज हम DNA की शुरुआत कर रहे हैं, इसकी किसी ने कल्पना नहीं की होगी, किसी ने सोचा नहीं होगा, कि जब न्यूज चैनल्स के बड़े-बड़े संपादक और प्राइम टाइम के बड़े-बड़े एंकर-प्रोड्यूसर्स के लिए इस समय ईरान और इजरायल WAR स्टोरी लिस्ट में सबसे ऊपर है. हम, DNA में विश्लेषण की शुरुआत इस वीडियो से करेंगे लेकिन जैसा कि हमने कहा, इस वीडियो में जो कहानी है, वो सीधे तौर पर आपसे तो नहीं जुड़ी है लेकिन इसके असर से आप बच नहीं सकते. हमारी नजर में ये कहानी इजरायल और ईरान वॉर से कहीं ज्यादा बड़ी है. 

कंचन कुमारी उर्फ कमल कौर भाभी नाम की सोशल मीडिया स्टार का अंतिम संस्कार हो रहा था. सोशल मीडिया पर इनके 4 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स थे. इनके वीडियो हजारों-लाखों यहां तक कि करोड़ों लोग देखते थे लेकिन इनके अंतिम संस्कार के समय, उन 4 लाख फॉलोअर्स में से 4 लोग भी नहीं आए. सही सुना आपने- 4 लोग भी नहीं आए. इनके अंतिम संस्कार में तीन इनके रिश्तेदार हैं. मां-बहन और एक भाई है. दो-तीन लोग दिखे वो, कमल कौर को शायद जानते भी नहीं थे. सिर्फ गाड़ी से शव उतारकर श्मशान स्थल पर रखने आए थे.

ये कोई छोटी सी बात नहीं है सोचकर देखिए, बहुत बड़ी बात लगेगी, सोचकर देखिए, अगर ये ट्रेंड बन गया तो हमारे समाज के लिए कितना खतरनाक साबित होगा. आपको नहीं लगता, कि इंसानों की दुनिया में हमने एक अलग दुनिया बना ली है? जिसे हम इंसानों ने ही सोशल मीडिया
का नाम दिया है. जहां हम रिश्तेदार नहीं बनाते, फॉलोअर्स बनाते हैं. जहां हमारी भावना LIKE से व्यक्त होती है और हमारा जुड़ाव SUBSCRIBE से तय होता है. इस दुनिया में हजारों-लाखों फ्रेंड्स तो हम बना लेते हैं लेकिन सोशल मीडिया की दुनिया में रहने वाले वो फ्रेंड्स वहां से धरती वाली दुनिया में नहीं आते. सोशल मीडिया की असामाजिक दुनिया का यही सच है.

हमारे देश के 49 करोड़ लोगों की जिंदगी को भ्रमजाल से बचाने के लिए है. इस खबर से हमारे देश के 18 साल से लेकर 24 साल के 22 करोड़ युवाओं का भी भविष्य जुड़ा है. पंजाब की सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कंचन कुमारी उर्फ कमल कौर की 9 जून को बठिंडा में हत्या कर दी गई थी. इस हत्या के बाद जब उनका अंतिम संस्कार किया गया तो इस अंतिम संस्कार में उनकी मां बहन और एक भाई शामिल हुआ. इस अंतिम संस्कार में कुल मिलाकर 4 दोस्त या रिश्तेदार भी नहीं आए जबकि कंचन के इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर कितने फॉलोअर्स थे 4 लाख 33 हजार, सोचिए जरा 4 लाख 33 हजार फॉलोअर्स लेकिन अंतिम संस्कार में कंधा देने के लिए कंचन कुमारी के जान-पहचान के 4 लोग भी नहीं थे. उनके 4 फॉलोअर्स भी नहीं थे, उनके 4 फैन भी नहीं थे जबकि लुधियाना की रहने वाली कंचन कुमारी के हजारों फैन पंजाब में भी होंगे लेकिन कोई नहीं आया सबने दूरी बना ली.

आज आपको भी सोचना चाहिए कंचन कुमारी जिसका कमल कौर भाभी के नाम से इंस्टाग्राम प्रोफाइल था. इनके वीडियो पर 45 लाख, 3 करोड़ 41 लाख, 33 लाख. 30 लाख, 40 लाख 1 करोड़ जैसे Views है. यानी लाखों-करोड़ों लोग इनकी वीडियो को देख रहे थे. 51 हजार,17 हजार. 22 हजार लोग कंचन कुमारी के वीडियो को लाइक कर रहे थे. पसंद कर रहे थे लेकिन लुधियाना की रहने वाली कंचन कुमारी की बठिंडा में मौत हुई तो अंतिम संस्कार में 4 रिश्तेदार या दोस्त भी शामिल नहीं हुए.

ये कड़वा सच है कि सोशल मीडिया हमें भ्रम में जीने की आदत डाल देता है. आज हमारे देश में करोड़ों लोगों को like, share, subscribe, followers की जानलेवा लत लग चुकी है. आज like, subscribe, followers की रेस की रेस में हमारे देश की सामाजिक और पारिवारिक संरचना टूट रही है. आज हमारे जीने का तरीका बदल गया है. like, share, subscribe, followers ने करोड़ों लोगों के जीवन पर कैसे असर डाला है. 

उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक महिला ने इंस्टाग्राम पर 2 फॉलोअर्स घटने पर पति के खिलाफ शिकायत कर दी. पत्नी का आरोप था कि वो, बर्तन धोने में व्यस्त होने की वजह से वीडियो पोस्ट नहीं कर पाई और उसके 2 फॉलोअर्स घट गए. पति-पत्नी के बीच तलाक की नौबत आ गई थी
इसी तरह 24 अप्रैल को सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर मिशा अग्रवाल ने अपने 25वें बर्थडे से दो दिन पहले आत्महत्या कर ली. मिशा अग्रवाल ने केवल फॉलोअर्स घटने की वजह से आत्महत्या कर ली. सोचिए जरा हमारे देश के युवाओं की मानसिकता कैसे बदल रही है? फॉलोअर्स घटने की वजह से लोग आत्महत्या करने लगे हैं. घरेलू झगड़े बढ़ने लगे हैं, ये सब क्या है..हमारा समाज किस दिशा में बढ़ रहा है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में करीब 22 करोड़ ((21.70)) सोशल मीडिया यूजर्स की उम्र 18 साल लेकर 24 साल के बीच है और मिशा अग्रवाल भी इसी age group में थी. हमारे देश में करीब 18 करोड़ लोगों की उम्र 25-34 वर्ष के बीच की है जबकि करीब 6 करोड़ ((5.88 करोड़)) सोशल मीडिया यूजर्स की उम्र 35 से 44 साल के बीच है. 3 करोड़ से ((3.33 करोड़)) ज्यादा सोशल मीडिया यूजर्स की उम्र 45 साल से ऊपर है. यानी हमारे देश में सोशल मीडिया यूजर्स की सबसे बड़ी जनसंख्या 18 से लेकर 24 साल के बीच की है जबकि हमारे देश में कुल सोशल मीडिया यूजर्स के 81 फीसदी लोगों की उम्र 18-44 ((80.8)) साल के बीच है, इसीलिए आज हमने इस विश्लेषण के साथ DNA की शुरुआत की.

अक्सर आप सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर कई आंकड़े देखते और सुनते हैं लेकिन अब हम जो आंकड़ा आपको दिखाने जा रहे हैं उसे ध्यान से देखिए. अभी आप एक आंकडा देख रहे हैं हमारे देश में फोन पर लोग प्रतिदिन औसतन साढ़े 5 घंटे से लेकर साढ़े 7 घंटे का समय बिताते हैं. जबकि परिवार के साथ 2 घंटे प्रतिदिन समय गुजारते हैं. अमेरिका में फोन पर लोग प्रतिदिन औसतन साढ़े 6 घंटे से लेकर 7 घंटे का समय बिताते हैं. जबकि जबकि परिवार के साथ ढ़ाई घंटे से लेकर 3 घंटे प्रतिदिन समय गुजारते हैं. ब्रिटेन में लोग मोबाइल पर समय कम गुजारते हैं. लेकिन दिलचस्प आंकड़ा आप चीन का देखिए मोबाइल यूजर्स के लिहाज से चीन पूरी दुनिया में सबसे ऊपर है चीन में मोबाइल यूजर्स की संख्या 97 करोड़ से ज्यादा है जबकि हमारे देश मोबाइल यूजर्स की संख्या करीब 66 करोड़ है लेकिन चीन में लोग साढ़े तीन से 4 घंटे फोन पर गुजारते हैं.

मतलब साफ है कि जिसे मोबाइल देखना है उसके लिए भी कंटेंट है. जिसे कंटेंट बनाना है उसके लिए भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है और अब तो रील्स कमाई का जरिया भी बन चुका है...जब कोई युवा परिवार को छोड़कर सोशल मीडिया में घंटों खो जाता हैं तो फिर अपने आसपास एक ऐसी दुनिया बना लेता हैं जिसमें माता-पिता का प्यार, दादा-दादी का दुलार नहीं है बल्कि like, share, subscribe, followers का एक ऐसा चक्रव्यूह है जिसमें सच छिप जाता है और भ्रम ही सच बन जाता है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 80 फीसदी जी हां ध्यान से सुनिए इसे 80 फीसदी लोग सुबह उठते ही सबसे पहले मोबाइल देखते हैं. AIIMS की एक रिपोर्ट के मुताबिक 33 फीसदी किशोर में मोबाइल की लत देखी गई है. ये प्रतिशत हर महीने हर साल बढ़ रही है. आज संयुक्त परिवार का ढांचा टूट चुका है. मोबाइल ही आजकल ज्ञान का स्त्रोत बन चुका है. युवाओं के लिए दादा-दादी और नाना-नानी बन चुका है इसीलिए बच्चे को खाना खिलाने से लेकर रोने के दौरान चुप कराने में मोबाइल इस्तेमाल होता है. एक और रिपोर्ट के मुताबिक 81% बच्चे खाने के दौरान मोबाइल इस्तेमाल करते हैं जबकि 91% माता-पिता मानते हैं कि फोन से बच्चों को दूर रखने पर वो गुस्सैल, चिड़चिड़े हो जाते हैं.

अभी तक हमने जितनी देर में आपको सारी जानकारी बताई इतने वक्त में यानी 5 मिनट में हमारे देश में इंस्टाग्राम पर करीब 21 हजार रील्स अपलोड हो चुके हैं क्योंकि हमारे देश में एक अनुमान के मुताबिक हर रोज करीब 60 लाख रील्स यानी वीडियो अपलोड होते हैं. इस विश्लेषण के आखिर में आपको 13 जनवरी 2019 यानी आज से 6 साल पहले की एक तस्वीर दिखाते हैं. जिसे मशहूर गायिका आशा भोंसले ने पोस्ट किया था. इसमें आशा भोंसले सहित कई मशहूर गायक है लेकिन सब आपस बातचीत नहीं कर रहे हैं अंताक्षरी नहीं खेल रहे हैं बल्कि अपने-अपने मोबाइल में खोए हैं. आज ऐसी तस्वीर आपके घर की होगी इसे तुरंत बदलिए क्योंकि देश का युवा सोशल मीडिया के तिलिस्म में खो रहा है. वैसे भी, हाथ में मोबाइल लेकर चाहे आप हजारों-लाखों रिश्ते बना लीजिए लेकिन याद रखिए, ये रिश्ते सोशल मीडिया की दुनिया में बनाए गए हैं जो असली दुनिया में काम नहीं आने वाले. इसलिए मोबाइल रूपी ब्रह्मांड में बनी सोशल मीडिया वाली दुनिया से बाहर निकलिए और असली दुनिया में फिर से जीना सीखिए. असली रिश्तों को सहेजना सीखिए.

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