DNA Analysis: आपने एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर एयरलाइंस के क्रैश से जुड़ी सभी जानकारियों को देखा लेकिन अब एक चौंकाने वाला दावा सामने आया है. हम इसे अभी दावा ही मान रहे हैं. आकाश वत्स नाम के एक युवक ने X पर दावा किया है. सीट का टच स्क्रीन काम नहीं कर रहा है, AC नहीं चल रहा है.
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DNA Analysis: आपने एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर एयरलाइंस के क्रैश से जुड़ी सभी जानकारियों को देखा लेकिन अब एक चौंकाने वाला दावा सामने आया है. हम इसे अभी दावा ही मान रहे हैं आकाश वत्स नाम के एक युवक ने X पर दावा किया है कि लंदन जाने के दौरान जिस विमान का आज क्रैश हुआ वो विमान अहमदाबाद से लंदन जाने से पहले दिल्ली से अहमदाबाद आया था. दिल्ली से अहमदाबाद आने के दौरान आकाश वत्स इसी विमान में थे और इसका उन्होंने वीडियो बनाया. इस वीडियो में आकाश वत्स लगातार दावा कर रहे हैं कि सीट का टच स्क्रीन काम नहीं कर रहा है, AC नहीं चल रहा है.
आज जिस विमान का क्रैश हुआ है उस विमान के बारे में आज आपको हम कई एक्सक्लूसिव जानकारी बताने जा रहे हैं इसीलिए इस विश्लेषण को बेहद ध्यान से देखिए. इस क्रैश के साथ 3 सवाल खड़े होते हैं. पहला - प्लेन के टेक-ऑफ के साथ क्या बड़ी तकनीकी दिक्कत हुई ? दूसरा - तकनीकी दिक्कतों की क्या-क्या संभावनाएं हो सकती है ? तीसरा - क्या प्लेन के क्रैश होने की कोई और भी वजह थी.
इन सारे सवालों का जवाब जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन शुरू के दो सवाल क्या कोई बड़ी तकनीकी दिक्कत हुई और क्या-क्या दिक्कतें हो सकती है. इसका हम विश्लेषण करेंगे क्योंकि जिस विमान की आज दुर्घटना हुई उसकी तकनीकी दिक्कतों के लेकर पहले कई बार सवाल उठ चुके हैं. अहमदाबाद से लंदन जाने वाले जिस विमान का क्रैश हुआ उस विमान का नाम बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर है. जैसे किसी बाइक या कार को कोई कंपनी बनाती है और हर बाइक या कार का अलग-अलग मॉडल या नाम होता है.वैसे ही इस विमान को बोइंग नाम की अमेरिकी कंपनी ने बनाया था और इसका मॉडल नंबर 787-8 था.
दुनिया भर में उड़ने वाले सभी कर्मिशयल विमान को अमेरिकी कंपनी बोइंग या यूरोप की कंपनी एयरबस बनाती है. अभी दुनिया में हवाई जहाज बनाने में बोइंग कंपनी का मार्केट शेयर 40 फीसदी है. जबकि एयरबस कंपनी का मार्केट शेयर 60 फीसदी है.अब जो जानकारी हम आपके साथ साझा करने जा रहे उसे ध्यान से सुनिए. 2019 से पहले हवाई जहाज बनाने के कारोबार में बोइंग की हिस्सेदारी एयरबस से ज्यादा थी लेकिन बोइंग के अलग-अलग मॉडल के विमान में तकनीकी दिक्कतों आने लगी. अमेरिका सहित पूरी दुनिया में इसपर सवाल खड़े हुए और इसीलिए बोइंग कंपनी के हवाई जहाज की मांग धीरे-धीरे घटती चली गई और एयरबस कंपनी के हवाई जहाज की मांग बढ़ती गई.
अहमदाबाद में बोइंग के जिस विमान 787 का क्रैश हुआ इस विमान की तकनीकी दिक्कतों को लेकर काफी विवाद हुआ है. इस कंपनी के तकनीकी दिक्कतों को लेकर कब-क्या विवाद हुआ इसे जानने से पहले आपको ये समझना जरुरी है कि बोइंग 787 विमान क्या होता है. बोइंग 787-ड्रीमलाइनर विमान की अलग-अलग जेनरेशन होती है. जैसे 787 का 8 वां जेनरेशन, 787 का नौवां जेनरेशन 787 का 10वां जेनेरेशन. इन तीनों जेनरेशन के विमानों को सीट की संख्या लंबाई, तकनीकी बदलाव और उड़ान के समय के आधार पर बांटा जाता है.
अहमदाबाद में जिस विमान का क्रैश हुआ वो विमान बोइंग 787 का 8 वां जेनरेशन था. इस विमान की लंबाई 57 मीटर, ऊंचाई 17 मीटर होती है. इस विमान क्षमता 248 लोगों की होती है. इसमें बिजनेस, प्रीमियम और इकोनॉमी क्लास होता है. इस प्लेन की अधिकतम रफ्तार 903 किलोमीटर प्रति घंटे होती है. एक बार में इस प्लेन में अधिकतम 1 लाख 26 हजार 206 लीटर फ्यूल भरा जा सकता है. इसमें 2 इंजन होते हैं और एक बार फ्यूल पूरी तरह से भरने के बाद ये विमान 13 हजार 530 किलोमीटर तक नॉनस्टॉप उड़ान भर सकता है. बोइंग 787-8 विमान की कीमत 1700-2000 करोड़ रुपये होती है.
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— Zee News (@ZeeNews) June 12, 2025
बोइंग 787 विमान ने आज जब अहमदाबाद से उड़ान भरा उस समय उसमें प्यूल पूरी तरह से भरा था. क्योंकि उसे लंदन की करीब 7000 किलोमीटर की दूरी नॉन-स्टॉप तय करनी थी. इसीलिए उड़ते ही जब प्लेन क्रैश हुआ तो बड़ा धमाका होकर तुरंत आग लग गई. इस हादसे को लेकर एक्सपर्ट क्या कहते हैं अब आपको सुनाते हैं क्योंकि कुछ जानकारों का मानना है इस क्रैश के कई एंगेल हो सकते हैं.
जब बोइंग कंपनी ने 787 विमान को लॉन्च किया था तो इसे एविएशन इंडस्ट्री में एक बड़ी क्रांति के तौर पर बताया गया था. 2004 में इस विमान को बनाने की तैयारी शुरू हुई थी और लेकिन शुरुआत में कई तकनीकी मंजूरी में देरी की वजह से पहली बार ये विमान पहली 2011 कमर्शियल उड़ान शुरू कर पाया था. इस विमान को जिस सामान से बनाया था उससे इस विमान का वजन पहले के विमानों के मुकाबले घट गया था. वजन घटने की वजह से इस विमान में फ्यूल का खर्च 20 फीसदी कम हो गया कम वजन, कम फ्यूल खर्च की वजह से इस विमान के जरिए लंबी दूरी तक नॉन-स्टॉप उड़ना आसान हो गया. इस विमान की खिडकी पहले के विमानों के मुकाबले 30 फीसदी ज्यादा बड़े थे साथ ही ये विमान पहले के विमानों के मुकाबले 60 फीसदी तक कम शोर करता था. विमान का वजन कम हुआ, फ्यूल पर खर्च घटा यात्रियों के लिए सुविधा ज्यादा थी इसीलिए एविएशन कंपनियों में बोइंग 787-8 विमान तेजी से लोकप्रिय हुआ. यही से असली गड़बड़ी की शुरुआत होती है.
जैसे ही बोइंस 787 विमान दुनिया में लोकप्रिय हुई इसकी मांग बढ़नी शुरू हुई. कंपनी ने अपने प्रोडक्शन को तेजी से बढ़ाया बोइंग में काम करने वाले लोगों का दावा है कि ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कंपनी ने विमान में सेफ्टी और क्वालिटी से समझौता कर लिया था. अब हम जो जानकारी आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं उसे बेहद ध्यान से सुनिए. क्योंकि अब हम कुछ ऐसे व्हिसलब्लोअर की जानकारी देने वाले है जिसके बारे में आप जानकर चौंक जाएंगे. व्हिसलब्लोअर का मतलब एक ऐसे व्यक्ति से होता है जो किसी कंपनी में काम करता है और वहां किसी भ्रष्टाचार या गड़बडियों को दुनिया या देश के सामने उजागर करता है.
ऐसे ही एक व्हिसलब्लोअर जॉन बार्नेट थे जो बोइंग में कई वर्षों तक क्वालिटी कंट्रोल इंजीनियर के तौर पर काम कर चुके थे. जॉन बार्नेट ने 2017 में बोइंग के 787 मॉडल नंबर विमान को लेकर सवाल खड़े किए. उन्होंने सरकार से शिकायत की. उनका कहना था कि ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए बोइंग के 787 विमान में जो उपकरण लगाए जा रहे हैं वो सही नहीं हैं. इसके साथ ही उन्होंने इस विमान के ऑक्सीजन सिस्टम में खराबी के बारे में जानकारी दी थी. जिसमें दावा किया गया था कि उड़ान के दौरान हो सकता है ऑक्सीजन का इमरजेंसी मास्क काम नहीं करें. कई वर्षों तक ये जांच चली बार्नेट की कुछ चिंताओं को सही ठहराया गया था लेकिन बोइंग को क्लीन चिट दे दी गई. हालांकि मार्च 2024 में जॉन बार्नेट ने आत्महत्या कर ली और अमेरिका में काफी लोगों का दावा है कि उनकी हत्या की गई थी.
इसी तरह से बोइंग में लंबे समय तक काम करने वाले इंजीनियर सैम सालेहपुर ने आरोप लगाया था बोइंग ने 777 और 787 ड्रीमलाइनर जेट विमानों को बनाने में क्वालिटी और सुरक्षा से समझौता किया जा रहा था. सैम सालेहपुर का आरोप था कि 787 ड्रीमलाइनर विमानों के अलग-अलग हिस्से को सही तरीके से नहीं जोड़ा जा रहा है. सैम के मुताबिक विमानों को जोड़ने में जिस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है उससे प्लेन ज्यादा वर्षों तक नहीं उड़ पाएंगे और किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है. यानी अगर विमान को जोड़ने के दौरान उसमें सिर के बाल के बराबर भी जगह खाली रहती है तो एक समय के बाद किसी बड़े हादसा होने की संभावना हो सकती है.
सैम सालेहपुर के आरोपों की भी अमेरिका में फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने जांच की अभी आप सैम सालेहपुर की पिछले साल अप्रैल 2024 की तस्वीर देख रहे हैं जिसमें जांच में अपना बयान देने से पहले सैम अमेरिकी सीनेट के समक्ष शपथ ले रहे हैं. 2024 में रिचर्ड क्यूवास ने भी बोइंग के 787 ड्रीमलाइनर जेट विमानों को बनाने के दौरान गड़बड़ी का आरोप लगाया था. हालांकि रिचर्ड क्यूवास को भी बोइंग कंपनी से निकाल दिया गया यहां ध्यान देने वाली जो अहम बात है कि बोइंग 787 विमाने में क्वालिटी और सेफ्टी को लेकर अमेरिका में कई बार शिकायत की जा चुकी है.
बोइंग का 787 विमान शुरू से ही विवादों में रहा है. जब इस विमान को बनाया जा रहा था तो अलग-अलग तकनीकी दिक्कतों की वजह से इस विमान की कमर्शियल डिलीवरी में 3 वर्ष की देरी हुई थी. 2011 में जब बोइंग 787 ने पहली बार उड़ान भरी तो उसके 2 साल बाद ही 2013 में जापान एयरलाइंस 787 में फ्यूज लीकेज की समस्या हुई थी. जुलाई 2013 में लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर खाली इथियोपियन एयरलाइंस 787 में आग लग गई थी जांच में खुलासा हुआ की आग बैटरी के कारण लगी. जनवरी, 2014 में नॉर्वे में 787 में प्यूल लीकेज की समस्या हुई. मार्च 2024 में लैटम एयरलाइंस की बोइंग 787-9 ड्रीमलाइनर जब हवा में उड़ रही थी तो अचानक से 300 फीट नीचे आ गई. जिसकी वजह से करीब 50 यात्री घायल हो गए थे.
ड्रीमलाइनर को लेकर एक्सपर्ट कहते हैं कि इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि बोइंग का 787 विमान अपनी क्वालिटी और सेफ्टी को लेकर लगातार विवादों में रहा है. अभी आपने देखा कि कैसे विमान उड़ते ही गिर गया. जांच में खुलासा होगा कि आखिर ऐसा क्यों हुआ लेकिन कुछ संभावनाएं दिख रही है. पहला - टेक ऑफ के बाद प्लेन को हवा में और ऊंचाई तक उड़ने के लिए जितने ताकत की जरुरत है वो नहीं मिली और ये हादसा हो गया. दूसरा - टेक ऑफ के बाद प्लेन में कोई ऐसी दिक्कत आई जिससे प्लेन रनवे से उड़ा लेकिन टेक ऑफ करते ही गिर गया.
अभी पूरी दुनिया में 787 मॉडल की 1100 से ज्यादा प्लेन उड़ रहे हैं. भारत में एयर इंडिया के पास 787 के 8वें जेनरेशन की 27 प्लेन है. बोइंग 787-8 की पहली विमान एयर इंडिया को 2012 में दिया गया था. 2012 में 2 विमान डिलीवर किए गए थे यानी, अभी जिस विमान का हादसा हुआ है वो 11 से 12 साल पुराना हो सकता है. हालांकि बोइंग 787 ड्रीमलाइनर की डिजाइन की गई विमान को 44,000 बार उड़ाय़ा जा सकता है और 30 से लेकर 50 वर्षों तक इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन जैसा कि हमने पहले बताया था कि बोइंग में काम करने वाले सैम सालेहपुर ने आरोप लगाया था बोइंग 787 का इस्तेमाल करने पर कोई लंबी अवधि में कोई हादसा हो सकता है.