ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी कट्टरपंथी पूरी तरह से बेलगाम हो गए हैं. इन्हें कानून का कोई खौफ नहीं है. ये लोग ना सिर्फ मंदिरों को तोड़ रहे है, बल्कि मंदिरों पर खालिस्तान जिंदाबाद लिखकर ऑस्ट्रेलिया की एंथोनी अल्बानीज सरकार को भी खुली चुनौती दे रहे है.
भारत सरकार पहले भी इस मामले को ऑस्ट्रेलिया के सामने उठा चुकी है लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को उठाया है. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज भारत दौरे पर है जहां शुक्रवार को पीएम मोदी और एंथोनी अल्बानीज के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई.
इस वार्ता में पीएम मोदी ने ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में हुए हिंदू मंदिरों पर हमले का मुद्दा उठाया. पीएम मोदी ने इसपर चिंता जाहिर की जिस पर एंथोनी अल्बानीज ने भारतीय समुदाय और हिंदू मंदिरों की सुरक्षा का आश्वासन दिया.
भारत साथ इतने अच्छे रिश्ते होने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया में लगातार भारत विरोधी गतिविधियां देखने को मिली हैं. ऑस्ट्रेलिया सरकार ने भारत की एक्शन की मांग के बावजूद ऐसे तत्वों पर कम से कम अभी तक तो कोई कार्रवाई नहीं की है.
दरअसल खालिस्तान का समर्थन करने वाले और खालिस्तान मूवमेंट से जुड़े कई नेता ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं. जहां ये खुलेआम घुमते है. खालिस्तानी कट्टरपंथी ऑस्ट्रेलिया में भारत के खिलाफ अपनी गतिविधियां चलाते हैं लेकिन उनपर कोई एक्शन नहीं होता. हिंदू मंदिरों पर हमले की एक बड़ी वजह इन पर कोई सख्त एक्शन नहीं होना भी है. इसलिए ऑस्ट्रेलिया में मंदिरों पर हमलों में इजाफा हुआ है.
ऑस्ट्रेलिया में पिछले दो महीनों के दौरान चार बार हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई है. 4 मार्च को ब्रिस्बेन के लक्ष्मी नारायण मंदिर पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमला किया और जमकर तोड़फोड़ की थी. इससे पहले 23 जनवरी को मेलबर्न के अल्बर्ट पार्क में स्थित इस्कॉन मंदिर की दीवारों पर खालिस्तानी समर्थकों ने भारत विरोधी नारे लिख दिए थे और वहां बनी आकृतियों को तोड़ दिया था.
16 जनवरी को कैरम डाउन्स, विक्टोरिया में ऐतिहासिक श्री शिव विष्णु मंदिर में भी इसी तरह की तोड़फोड़ की गई थी. इसी तरह की एक घटना 12 जनवरी को मेलबर्न में हुई, जहां स्वामीनारायण मंदिर में असामाजिक तत्वों ने भारत विरोधी नारों लगाए और मंदिर में तोड़फोड़ की थी.
पिछले कुछ सालों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच दोस्ती गहरी हुई है. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों का एक साथ एक जगह पर आना, दोनों देशों की दोस्ती के भविष्य के संकेत भी हैं लेकिन ऑस्ट्रेलियाई सरकार को ये बात समझनी होगी कि ऑस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीयों की सुरक्षा का जिम्मा भी उन्हीं का है.
ऑस्ट्रेलिया में हिंदुओ की कुल आबादी 6.84 लाख है. यहां हिंदू तीसरा सबसे बड़ा धर्म है. ये ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी का 2.7% हिस्सा है. चीन के बाद विदेशी छात्रों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या भारतीय छात्रों की है.
ऑस्ट्रेलिया वो चौथा देश है, जहां पर सिख फॉर जस्टिस ने सामाजिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की है. ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी रेफरेंडम करवाकर, यहां के सिखों और हिंदू समुदाय के बीच नफरत के बीज बोने की कोशिश की है. जिसका असर हिंदू मंदिरों पर हिंसा के तौर पर नजर आ रहा है.
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