DNA ANALYSIS: 'दो गज दूरी' की पहली चुनावी परीक्षा, बिहार में सुशासन फायदा देगा या सुशांत?
Advertisement
trendingNow1754729

DNA ANALYSIS: 'दो गज दूरी' की पहली चुनावी परीक्षा, बिहार में सुशासन फायदा देगा या सुशांत?

कोरोना महामारी के बीच देश में पहले विधान सभा चुनावों की घोषणा कर दी गई है. बिहार विधानसभा चुनाव की डेट शीट आ गई है. 243 सीटों के लिए चुनाव 3 चरणों में कराए जाएंगे. 

DNA ANALYSIS: 'दो गज दूरी' की पहली चुनावी परीक्षा, बिहार में सुशासन फायदा देगा या सुशांत?

नई दिल्ली: कोरोना (Coronavirus) महामारी के बीच देश में पहले विधान सभा चुनावों (Bihar Assembly Elections 2020) की घोषणा कर दी गई है. बिहार विधान सभा चुनाव की डेट शीट आ गई है. 243 सीटों के लिए चुनाव 3 चरणों में कराए जाएंगे. 28 अक्टूबर को पहले चरण में 71 सीटों के लिए मतदान होगा. 3 नवंबर को 94 सीटों पर वोट डाले जाएंगे और आखिरी चरण की वोटिंग 7 नवंबर को होगी जिसमें 78 सीटों पर वोट पड़ेंगे. सभी 243 सीटों पर वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी.

वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव के बाद अब तक 3 राज्यों में विधान सभा के चुनाव हुए हैं. ये तीनों ही चुनाव पिछले वर्ष अक्टूबर और दिसंबर के महीने में हुए थे. हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड. ये पहले चुनाव हैं जो कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में हो रहे हैं.

मास्क, ग्लव्स और पीपीई किट वाला पहला चुनाव
बिहार विधान सभा के चुनाव मास्क, ग्लव्स और पीपीई किट वाले पहले चुनाव हैं. कोरोना पॉजिटिव मरीजों को भी वोट डालने की इजाजत दी जाएगी. शाम 5 बजे से 6 बजे का वक्त कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए रहेगा. मतदान केंद्र पर तैनात सभी चुनाव कर्मचारियों को कोरोना से बचाव के लिए पीपीई किट दी जाएगी. सभी वोटर्स को मास्क पहनना जरूरी होगा, लेकिन पहचान के लिए मतदाता को थोड़ी देर के लिए मास्क हटाना होगा.

मतदाताओं को ग्लव्स दिए जाएंगे. उम्मीदवार ऑनलाइन नामांकन कर सकते हैं. जमानत राशि भी ऑनलाइन जमा की जा सकती है. हालांकि निर्वाचन कार्यालय जाकर भी नामांकन किया जा सकता है लेकिन इसके लिए प्रत्याशी 2 लोगों को ही अपने साथ ले जा सकेंगे. उम्मीदवार के रोड शो में अधिकतम 5 गाड़ियां ही हो सकती हैं. चुनावी सभा के लिए सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी होगी. घर-घर जाकर चुनाव प्रचार के लिए अधिकतम 5 लोगों को ही अनुमति होगी.

fallback

2015 में महागठबंधन की एकतरफा जीत
बिहार विधान सभा का पिछला चुनाव वर्ष 2015 में हुआ था. इन चुनावों में महागठबंधन ने एकतरफा जीत हासिल की थी. 243 सीटों में से महागठबंधन ने 178 सीटें जीती थीं. लालू प्रसाद यादव की आरजेडी पार्टी ने सबसे ज्यादा 80 सीटें, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू ने 71 सीटें और कांग्रेस ने 27 सीटें जीती थीं. बीजेपी को सिर्फ 53 सीटें मिलीं.

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी ने 2 सीटें और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी ने 2 सीटें जीती थीं. 8 सीटों पर दूसरी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. वर्ष 2015 के चुनाव में बीजेपी को 24 प्रतिशत वोट मिले थे. RJD को 18 प्रतिशत, नीतीश कुमार की JDU को 16 प्रतिशत और कांग्रेस को कुल 6 प्रतिशत वोट मिले थे, लोक जनशक्ति पार्टी यानी LJP को 4 प्रतिशत और RLSP को 2 प्रतिशत वोट मिले थे. 2 प्रतिशत मतदाताओं ने ईवीएम  में नोटा (NOTA) का बटन दबाया था.

fallback

डिजिटल टेक्नोलॉजी से मांगे जाएंगे वोट
बिहार के लोगों को राजनीति, फिल्म और खबरों में हमेशा से दिलचस्पी रही है. इस बार का चुनाव इन तीनों का ही मिश्रण होगा.

बिहार चुनाव में इस बार शायद प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और दूसरी पार्टियों के नेता या आपके पसंदीदा सितारे वोट मांगने आपके घर ना आ पाएं लेकिन डिजिटल टेक्नोलॉजी से आपसे वोट मांगे जाएंगे.

कोरोना महामारी से देश जिस तरीके से लड़ा. उस लड़ाई का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. इसकी तारीफ दुनिया में भी हो रही है. बिहार के लोगों को भी कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi ) की देश के अभिभावक वाली भूमिका याद है.

fallback

एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मुद्दा
आपको याद होगा 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में बिहार रेजीमेंट के सैनिकों ने चीन की साजिश को नाकाम करते हुए उसके 45 से ज्यादा सैनिकों को मार गिराया था. सीमा पर विस्तारवादी चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के तरीके की तारीफ हो रही है. बिहार चुनाव में निश्चित तौर पर राष्ट्रवाद भी एक बड़ा मुद्दा रह सकता है.

मुंबई में एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत भी बिहार चुनावों के लिए बड़ा मुद्दा है. बिहार की हर पार्टी इस मुद्दे से खुद को जोड़कर लोगों के सामने जरूर जाएगी और फायदा लेने की कोशिश करेगी.

fallback

लालू प्रसाद यादव की गैर मौजूदगी में चुनाव
40 वर्ष बाद पहली बार ऐसा होगा कि विधान सभा चुनाव लालू प्रसाद यादव की गैर मौजूदगी में होंगे. बिहार में लालू प्रसाद खुद भी चुनावी मुद्दा हैं. इस वक्त वो चारा घोटाले के मामले में रांची की जेल में बंद हैं. भ्रष्टाचार के दोषी लालू यादव, बीजेपी और जेडीयू के लिए एक चुनावी मुद्दा हैं. आरजेडी के लिए भी लालू यादव चुनावी मुद्दा हैं. लालू यादव के परिवार में मनमुटाव की खबरें भी आती रही हैं. लेकिन आरजेडी के लिए वोट के बड़े आधार खुद लालू प्रसाद यादव ही हैं.

कोरोना काल में हम मास्क, ग्लव्स, पीपीई किट, सैनिटाइजर, डिजिटल चुनाव प्रचार और वर्क फ्रॉम होम, ये सारे बदलाव होते हुए देख रहे हैं. क्या ये नया दौर है? क्या आगे चलकर हम वोटिंग के तरीके भी बदलते हुए देखेंगे? क्या अब डिजिटल वोटिंग होनी चाहिए, जहां लोग घर में बैठे-बैठे अपने विधायक, सांसद का चुनाव कर सकें.

ये भी देखें-

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news