DNA ANALYSIS: कोरोना का नया अड्डा बना ब्राजील, शव दफनाने की भी नहीं बची जगह
Advertisement

DNA ANALYSIS: कोरोना का नया अड्डा बना ब्राजील, शव दफनाने की भी नहीं बची जगह

कोरोना वायरस ने जो हाल इटली, स्पेन और अमेरिका जैसे देशों का किया है, ठीक उसी तरह का हाल अब ब्राजील का हो रहा है. ब्राजील अब अमेरिका के बाद इस वायरस का दूसरा सबसे बड़ा Hot Spot बन गया है.

DNA ANALYSIS: कोरोना का नया अड्डा बना ब्राजील, शव दफनाने की भी नहीं बची जगह

नई दिल्ली: कोरोना वायरस ने जो हाल इटली, स्पेन और अमेरिका जैसे देशों का किया है, ठीक उसी तरह का हाल अब ब्राजील का हो रहा है. ब्राजील अब अमेरिका के बाद इस वायरस का दूसरा सबसे बड़ा Hot Spot बन गया है. यहां अबतक तीन लाख 90 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और साढ़े 24 हजार से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

अब ब्राजील में इस वायरस से एक दिन में जितनी मौतें हो रही हैं, उतनी मौतें, अमेरिका में भी नहीं हो रही हैं. ब्राजील में पिछले 24 घंटों में 1039 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि अमेरिका में इसी दौरान 592 मौतें हुई हैं. ब्राजील का हाल ये है कि वहां के अस्पतालों में अब जगह नहीं बची है, ये तय करना मुश्किल हो रहा है कि किसे बचाया जाए और किसे मरने के लिए छोड़ दिया जाए. 

ये बहुत ही भयानक स्थिति है और इसका कारण यही है कि ब्राजील में कोरोना वायरस के संक्रमण को कोई बड़ा खतरा नहीं माना गया. खुद वहां के राष्ट्रपति इस वायरस को सामान्य फ्लू बताते रहे हैं. वो और उनके समर्थक लॉकडाउन को गैरजरूरी बताते थे और ये सभी लोग लॉकडाउन के खिलाफ रैलियां तक कर रहे थे. अभी भी वहां राष्ट्रपति जेर बोल-सेनारो के समर्थक लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं कर रहे और इस वायरस के खतरे को नहीं समझ रहे हैं. 

ये लैटिन अमेरिका के सबसे बड़े देश, ब्राजील का सच है. जो दुनिया में कोरोना का नया हॉट-स्पॉट बन चुका है. जिसके साओ-पाउलो शहर में तो हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. यहां कब्रिस्तान में शवों को दफनाने की जगह नहीं बची है. इसलिए कोरोना से मरते लोगों को दफनाने के लिए सामूहिक कब्रें खोदी जा रही हैं. 

ब्राजील के शहर मानौस में पिछले दो महीनों के अंदर ही 4300 से ज्यादा लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है. वहां भी अब लाशों को दफनाने की जगह नहीं हैं. अस्पताल, मरीजों और शवों से भर चुके हैं. अस्पतालों में मरीज, कोरोना से मरने वाले लोगों की लाशों के साथ भर्ती हैं. लेकिन मेडिकल स्टाफ के पास कोई विकल्प नहीं बचा है कि वो मरीजों का इलाज पहले करें या शवों को हटाएं. ये हाल सिर्फ ब्राजील के शहरों का ही नहीं है. 

अमेजन के जंगलों में मौजूद जनजातियों के बीच भी कोरोना वायरस का संक्रमण फैल चुका है. ब्राजील के अमेजन इलाके में कोरोना वायरस की वजह से 60 जनजातियों के आदिवासी संक्रमित हैं. 

अब तक यहां पर 980 केस आ चुके हैं, और 125 लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना वायरस के आगे ब्राजील का पूरा हेल्थकेयर सिस्टम फेल हो चुका है. और सिर्फ हेल्थकेयर ही नहीं बल्कि पूरा देश ही घुटने टेक चुका है. जिसकी एक बड़ी वजह है राजनीति. 

ब्राजील में कोरोना को काबू करने की कोई निश्चित नीति तक तय नहीं है. लॉकडाउन तो है लेकिन उसके नियमों को लेकर जागरुकता की कमी है. ब्राजील इस वक्त कोरोना की जिस ट्रेजडी से गुजर रहा है उसके जिम्मेदार हैं ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो. जो कोरोना को साधारण फ्लू से लेकर एक कोरी कल्पना तक बता चुके हैं. इतना ही नहीं, कोरोना संकट की इस घड़ी में भी वो अपने समर्थकों के साथ रैलियां निकाल रहे हैं. वो भी बिना मास्क पहने और बिना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए. जिन लोगों पर कोरोना को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी है, जब वो ही लोग लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाएं और कोरोना के खतरे को नजरअंदाज करें तो उस देश का क्या हाल हो सकता है. ब्राजील इसका उदाहरण बन चुका है. 

Trending news