DNA ANALYSIS: दुनिया को Lock करके Unlock हुआ चीन, अब मना रहा जश्न
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DNA ANALYSIS: दुनिया को Lock करके Unlock हुआ चीन, अब मना रहा जश्न

चीन के जिस शहर वुहान से इस वायरस की शुरुआत हुई थी. उसे अब पूरी तरह से खोल दिया गया है.  

DNA ANALYSIS: दुनिया को Lock करके Unlock हुआ चीन, अब मना रहा जश्न

नई दिल्ली: आज लॉकडाउन का 15वां दिन है और हम उम्मीद करते हैं कि आप अपने-अपने घरों में सकुशल होंगे और स्वस्थ होंगे. पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैलने की शुरुआत आज से ठीक 100 दिन पहले हुई थी. इन 100 दिनों के बाद दुनिया के करीब 400 करोड़ लोग लॉकडाउन में हैं. जबकि चीन के जिस शहर वुहान से इस वायरस की शुरुआत हुई थी. उसे अब पूरी तरह से खोल दिया गया है और वहां अब लाइट शो करके दीवाली मनाई जा रही है. यानी पूरी दुनिया को लॉक करके चीन ने अपने शहर वुहान को अनलॉक कर दिया है.

अलग- अलग अनुमानों के मुताबिक, चीन की इस लापरवाही ने पूरी दुनिया का करीब 500 लाख करोड़ रुपये का नुकसान किया है. अब आप खुद सोचिए कि इतने बड़े नुकसान की भरपाई कौन करेगा ? दुनिया के अलग अलग देशों की सरकारें इसकी भरपाई आपकी और हमारी जेब से करेंगी. इसलिए अब कुछ संस्थाएं कह रही हैं कि दुनिया के बड़े-बड़े देशों को चीन से मुआवजा वसूलना चाहिए.

कोरोना वायरस की वजह से भारत के 135 करोड़ लोग अब भी लॉकडाउन में है और इससे भारत की अर्थव्यवस्था को भी बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. इस नुकसान की भरपाई भी हमें और आपको ही करनी होगी. यानी भविष्य में आप एक ऐसा कोरोना टैक्स चुकाने पर मजबूर होंगे जो आपको दिखाई तो नहीं देगा लेकिन इसके नाम पर वर्षों तक आपकी जेब कटती रहेगी.

इस समय कोरोना वायरस से पूरी दुनिया में 14 लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हैं. 83 हजार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. करीब 400 करोड़ लोग अपने घरों में बंद हैं. लेकिन दुनिया में एक जगह ऐसी भी है, जहां जश्न मनाया जा रहा है. ये चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान है. यहीं से कोरोना वायरस का ऐसा संक्रमण शुरू हुआ था, जो पूरी दुनिया में फैल गया. लेकिन दुनिया भर में कोरोना का अंधेरा फैलाकर वुहान शहर अब जगमग है. यहां 76 दिन का लॉकडाउन खत्म होने पर कल रात एक लाइट शो हुआ. शहर की छोटी-बड़ी इमारतों में शानदार लाइटिंग की गई. ये एक तरह से वुहान की दिवाली है. आज जब..आप सभी अपने अपने घरों में बंद हैं, तो वुहान से आई इन तस्वीरों को देखकर आप अपने बारे में सोच रहे होंगे, कि किस तरह से हम अपने यहां लॉकडाउन से बाहर निकलेंगे.

लेकिन दुनिया को एक खतरनाक वायरस से लॉक कर देने वाले चीन का वुहान शहर अब अनलॉक हो गया है. कल रात 12 बजे जैसे ही वुहान से लॉकडाउन हटा, लोग अपने घरों से बाहर निकले आए. वुहान में 23 जनवरी से लॉकडाउन था. कोई भी बाहर नहीं निकल सकता था. लेकिन वुहान में अब सब पहले जैसा होने लगा है. कई बाज़ार भी खुल गए हैं. वुहान की फैक्ट्रियां भी शुरू हो गई हैं. हाइवे फिर से खोल दिए गए हैं. ट्रेन फिर से चलने लगी हैं. और घरेलू उड़ानें भी शुरू कर दी गई है.

करीब 1 करोड़ 10 लाख की आबादी वाले इस शहर में लॉकडाउन खुलने के पहले ही दिन करीब 50 से 60 हजार लोग शहर से बाहर निकल गए. वुहान में ही कोरोना वायरस का पहला मामला दिसंबर में आया था. जिसके बाद सिर्फ वुहान शहर में ही 50 हजार से ज़्यादा लोग संक्रमित हुए थे और ढाई हजार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी. लेकिन पिछले कई हफ्ते से वुहान में घरेलू संक्रमण ना के बराबर है. वुहान में पिछले 21 दिन में संक्रमण के सिर्फ 3 नए मामले सामने आए हैं. इसी वजह से 11 हफ्ते से चल रहा लॉकडाउन अब हटा लिया गया. 

तो एक तरफ चीन है, जो ऐसे दिखा रहा है कि उसे कोरोना महामारी से कोई फर्क ही नहीं पड़ा है लेकिन दूसरी तरफ पूरी दुनिया है, जो चीन की लापरवाही की कीमत चुका रही है. और बात सिर्फ जिंदगियों की नहीं है, कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है.  ये कितनी गंभीर बात है, इसको कुछ आंकड़ों के जरिये समझिये.

ब्रिटेन के एक Think Tank, The Henry Jackson Society के मुताबिक कोरोना वायरस से दुनियाभर के देशो में करीब 300 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हो चुका है. ये भारत की कुल अर्थव्यवस्था से भी करीब 100 लाख करोड़ रुपये ज्यादा है.

Organisation for Economic Co-operation and Development ने आशंका जताई है कि इस महामारी की वजह से वर्ष 2020 में दुनिया की GDP की विकास दर सिर्फ डेढ़ प्रतिशत रह सकती है जबकि कोरोना वायरस फैलने से पहले इसके करीब 3 प्रतिशत रहने का अनुमान था. यानी अब दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं आधी रफ्तार से आगे बढ़ेंगी.

संयुक्त राष्ट्र की Covid-19 And World Of Work रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी की वजह से दुनियाभर में करीब ढाई करोड़ नौकरियां खत्म हो सकती हैं. संयुक्त राष्ट्र की Trade Report में कहा गया है कि दुनिया की दो तिहाई आबादी विकासशील देशों में रहती है,  इन देशों में करीब 187 लाख करोड़ रुपए के Rescue Package की जरूरत है जबकि विश्व बैंक ने कहा है कि इस महामारी की वजह से पूर्वी एशिया और एशिया पैसाफिक में एक करोड़ 10 लाख गरीब बढ़ सकते हैं.

आरोप लग  रहे है कि ये सब चीन की लापरवाही का नतीजा है. लेकिन इसकी कीमत कौन चुकाएगा? भविष्य में जब इस महामारी से दुनिया पार पा लेगी तब दुनिया की डूबती हुई अर्थव्यवस्था को कौन पार लगाएगा ? जाहिर है सभी देशों की सरकारें, अर्थव्यस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए बाज़ार में पैसा लगाएंगी, लेकिन वो पैसा कहां से आएगा ? जाहिर है ये पैसा आपकी और हमारी जेब से ही जाएगा और ये कोरोना टैक्स कैसे धीरे धीरे करके वसूला जाएगा, आपको पता भी नहीं चलेगा. तो अब आप सोचिये, कि क्या ऐसा होना चाहिए ? क्या चीन से इस नुकसान का हिसाब नहीं मांगा जाना चाहिए ? क्या चीन से इसका जुर्माना नहीं वसूला जाना चाहिए ? दुनिया के कई देशों में ये सवाल उठने लगे हैं.

United States Senate Judiciary Committee के चेयरमैन लिंडसे ग्राहम (Lindsey Graham) ने तो कह भी दिया है कि इस महामारी की वजह से जो भी नुकसान हुआ है, पूरी दुनिया को उसके बिल चीन को भेज देने चाहिए. तो अब सवाल ये है कि अगर दुनिया के देश, चीन को हर्जाने का बिल भेजना शुरू कर दें तो हर्जाने की राशि कितनी बड़ी हो सकती है. The Henry Jackson Society ने इसका एक आंकलन तैयार किया है जिसके मुताबिक ब्रिटेन चाहे तो चीन से 449 बिलियन डॉलर्स यानी करीब 34 लाख करोड़ रुपये का क्लेम कर सकता है. अमेरिका भी चीन से हर्जाने के तौर पर 1200 बिलियन डॉलर्स यानी करीब 90 लाख करोड़ रुपये क्लेम कर सकता है जबकि कनाडा, चीन पर 59 बिलियन डॉलर्स यानी करीब साढ़े चार लाख करोड़ रुपये और ऑस्ट्रेलिया 37 बिलियन डॉलर्स यानी करीब 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का क्लेम कर सकते हैं. 

जुर्माने की ये राशि इन देशों में 5 अप्रैल तक लॉकडाउन से होने वाले आर्थिक नुकसान और राहत पैकेज की घोषणाओं पर आधारित हैं..लेकिन आपको बता दें कि अभी तक किसी भी देश ने आधिकारिक तौर पर चीन से किसी तरह का कोई मुआवज़ा वसूलने की बात नहीं कही है.  हालांकि इसकी मांग उठनी जरूर शुरू हो गई है. लेकिन बात सिर्फ आर्थिक हर्जाने की ही नहीं है, सवाल चीन को आईना दिखाने का भी है, क्योंकि वो तो अभी तक ये भी मानने के लिए तैयार नहीं है कि कोरोना वायरस, चीन से ही दुनियाभर में फैला.  

ब्रिटेन के 15 सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को पत्र लिखकर अपील की है कि इस महामारी को फैलाने के आरोपी चीन के खिलाफ मुकदमा दायर किया जाए, जिसके बाद ब्रिटेन के Think Tank, The Henry Jackson Society ने एक स्टडी की, जिसमें बताया गया कि चीन ने किस तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन के INTERNATIONAL HEALTH REGULATIONS 2005 की गाइडलाइंस का उल्लंघन किया जिसमें चीन पर जो चार बड़े आरोप गिनाए गए हैं, वो आपको भी पता होने चाहिए.

चीन पर पहला आरोप - उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन से तीन हफ्ते तक ये बात छिपाकर रखी कि कोरोना वायरस, इंसान से इंसान में फैलता है.
चीन पर दूसरा आरोप - उसने 2 जनवरी से 11 जनवरी तक कोरोना संक्रमण के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने गलत आंकड़े पेश किये
चीन पर तीसरा आरोप - उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन से ये बात छिपाई कि इंसानों में कोरोना वायरस, जानवरों से पहुंचा
चीन पर चौथा आरोप - ये पता होने के बावजूद कि कोरोना संक्रमण, इंसानों से इंसानों में फैलता है, उसने 23 जनवरी को लॉकडाउन से पहले 50 लाख लोगों को वुहान छोड़ने की इजाजत दी. वुहान वही शहर है जहां से कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुई थी

अब इसे चीन की लापरवाही कहें या जान-बूझकर की गई गलती. लेकिन आज कोरोना वायरस ने जिस तरह पूरी दुनिया में कहर मचाया हुआ है, उसका जिम्मेदार चीन ही है. ऐसा करके चीन ने कितना बड़ा अपराध किया है, इसका अंदाजा इस बात से लगाइये कि ब्रिटेन की University of South-Ampton के मुताबिक अगर दुनिया भर में कोरोना वायरस से निपटने के लिए जरूरी ऐहतियाती कदम, तीन हफ्ते पहले उठा लिये जाते तो इसके संक्रमण को 95 प्रतिशत तक कम किया जा सकता था लेकिन ऐसा हुआ नहीं. लेकिन इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कम जिम्मेदार नहीं है जिसने कोरोना संक्रमण को महामारी घोषित करने में बहुत देरी की. इन सबूतों के आधार पर International Court Of Justice में चीन के खिलाफ एक मजबूत मुकदमा दायर किया जा सकता है लेकिन इसके लिए पूरी दुनिया को एक साथ आना होगा और बड़े देशों के लीडर्स को मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी पड़ेगी.

चीन की इस लापरवाही की कीमत भारत भी चुका रहा है. चीन के शहर वुहान से तो लॉकडाउन हटा दिय़ा गया है लेकिन भारत के 135 करोड़ लोगों के मन में यही सवाल है कि ये लॉकडाउन हटेगा या नहीं. भारत में लॉकडाउन 14 अप्रैल तक है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बड़े संकेत दिए हैं. प्रधानमंत्री की आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए सभी दलों के नेताओं से बात हुई थी, जिसके बाद कुछ नेताओं ने यही संकेत दिए कि लॉकडाउन खत्म करने के पक्ष में कोई नहीं है. इस मीटिंग के बारे में बताया गया कि प्रधानमंत्री ने बातचीत में कहा कि हर जिंदगी बचाना सरकार की प्राथमिकता है. देश में सामाजिक आपातकाल के हालात हैं. ज़्यादातर राज्य लॉकडाउन को बढ़ाने के पक्ष में हैं. विशेषज्ञ भी इसी की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन ज़रूरी है. प्रधानमंत्री मोदी 11 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों के साथ तीसरी बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करेंगे. 

कोरोना वायरस फैलने की शुरुआत आज से ठीक 100 दिन पहले चीन के वुहान शहर में हुई थी. चीन में अब स्थितियां सामान्य हो रही हैं, वहां के शहर जगमगा रहे हैं लेकिन इन 100 दिनों ने पूरी दुनिया को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया है. पहले आप ये देखिए कि कैसे ये वायरस 100 दिनों में पूरी दुनिया में फैल गया. फिर हम आपको बताएंगे कि क्यों अब आपका जीवन पहले जैसा नहीं रहेगा.

पिछले साल 31 दिसंबर को चीन के वुहान में संक्रमण का पहला मामला सामने आया था. इसके बाद अगले दिन यानी 1 जनवरी 2020 को वुहान की Sea Food Market को बंद कर दिया गया था. इसी जगह से इस वायरस के फैलने की शुरुआत हुई थी. 9 दिनों के बाद यानी 9 जनवरी को इस वायरस की पहचान हुई और पता लगा कि ये नए किस्म का वायरस है.

13वें दिन यानी 13 जनवरी को पहली बार चीन से बाहर इस संक्रमण का कोई मामला तब सामने आया. जब थाइलैंड ने इस बात की पुष्टि की कि उसके यहां वुहान से आई एक 61 वर्ष की महिला संक्रमित पाई गई है. 20 दिन बाद ये बात साबित हो गई कि ये वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल रहा है. 24वें दिन ये वायरस यूरोप पहुंच गया. इसकी वजह ये थी कि इस दौरान चीन के कई नागरिक lunar new year मनाने यूरोप के अलग-अलग देशों में पहुंच चुके थे.

इसी दिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने दाओस में कहा कि उनके देश को इस वायरस से कोई खतरा नहीं है. 31वें दिन यानी 31 जनवरी को ब्रिटेन यूरोप से अलग हुआ और उसी दिन ये बात साबित हो गई कि ये वायरस तेज़ी से लोगों को संक्रमित कर रहा है. 36वें दिन चीन से बाहर इस वायरस से पहली मौत हुई. मरने वाला व्यक्ति वुहान का ही नागरिक था और उसकी मौत फिलीपींस के एक अस्पताल में हुई थी.

50वें दिन दक्षिण कोरिया में वायरस से पीड़ित 31वां मरीज़ सामने आया. और कहा जाता है कि इसी मरीज़ ने दक्षिण कोरिया में हजारों लोगों को संक्रमित किया था. ये एक 61 वर्ष की महिला थी जिसने दो अलग अलग चर्च में प्रार्थना सभा में हिस्सा लिया था और यहीं से दक्षिण कोरिया में हालात बेकाबू होने लगे.  

56वें दिन तक पूरी दुनिया में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 80 हजार से ज्यादा हो चुकी थी. 66वें दिन तक इटली में स्थितियां खराब होने लगीं और रोज़ सैंकड़ों की संख्या में लोग मरने लगे. 71वें दिन यानी 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को एक महामारी घोषित कर दिया. 77वां दिन आते-आते, पूरी दुनिया में सामान्य जीवन अस्त व्यवस्त होने लगा. इटली में हर रोज़ औसतन साढ़े 400 लोगों की जान जाने लगी.
85 दिन बीतने के बाद पूरे भारत में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई और आज भी आप लोग इसी लॉकडाउन में हैं. 93 दिनों के बाद यानी 2 अप्रैल को पूरी दुनिया में इस महामारी से मरने वालों की संख्या 50 हजार के पार हो गई.

99 दिन पूरे होते होते दुनिया के करीब 400 करोड़ लोग लॉकडाउन में जा चुके थे और आज यानी 100वें दिन भी इस लॉकडाउन के हटने की कोई उम्मीद नहीं है. जबकि 100 दिन पूरे होते ही चीन ने पूरी दुनिया में ये वायरस फैलाने वाले शहर वुहान से लॉकडाउन हटा दिया है.

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