DNA ANALYSIS: किसान आंदोलन की आड़ में डिजिटल किडनैपिंग, हैकर्स से ऐसे बचाएं अपना फोन और लैपटॉप
साइबर सिक्योरिटी कंपनी Cyble और एंटी वायरस बनाने वाली कंपनी Quick Heal ने मिलकर एक रिसर्च की है. इस रिसर्च में खुलासा किया गया है कि किसान आंदोलन के नाम पर आपके फोन को बंधक बनाया जा सकता है.
नई दिल्ली: दांडी में हुआ सत्याग्रह और आजकल होने वाले आंदोलनों में बहुत फर्क आ गया है. उस वक्त हमारा देश अंग्रेजों के खिलाफ लड़ रहा था आजादी के लिए लड़ रहा था, लेकिन तब भी देश के आम लोगों को परेशान नहीं किया गया था, लड़ाई व्यवस्था के खिलाफ लड़ी जाती थी. वहीं आज होने वाले आंदोलन होते तो सरकार के खिलाफ हैं, लेकिन आंदोलन की शक्ल अब ऐसी हो गई है जिससे आम आदमी को सबसे ज्यादा तकलीफ होती है. भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 100 दिनों से आंदोलन चल रहा है. इससे सबसे ज्यादा परेशान आम आदमी ही है. दिल्ली समेत देश की कई सड़कों को आंदोलन के नाम पर बंधक बना लिया गया है और अब आपके फोन को बंधक बनाने की तैयारी चल रही है, जिसके बारे में आज हम आपको सावधान करना चाहते हैं.
मोबाइल फोन और लैपटॉप को बंधक बनाने की कोशिश
देश और दिल्ली की सड़कों पर कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा प्रदर्शन अब आपके मोबाइल फोन और लैपटॉप में घुसने की कोशिश कर रहा है. प्रदर्शनकारियों ने फिलहाल सड़कों को बंधक बना रखा है, लेकिन आपके मोबाइल फोन और लैपटॉप को भी उसी तरह बंधक बनाने की कोशिश की जा रही है.
साइबर सिक्योरिटी कंपनी Cyble और एंटी वायरस बनाने वाली कंपनी Quick Heal ने मिलकर एक रिसर्च की है. इस रिसर्च में खुलासा किया गया है कि किसान आंदोलन के नाम पर आपके फोन को बंधक बनाया जा सकता है. आपका डेटा, आपकी प्राइवेसी, आपकी सारी जानकारियों को किडनैप करने की तैयारी चल रही है. ऐसा करने वाले हैकर्स इस बार किसान आंदोलन की आड़ ले रहे हैं. यानी ये डिजिटल किडनैपिंग किसान आंदोलन के नाम पर करने की तैयारी चल रही है.
साइबल सिक्योरिटीज ऑस्ट्रेलिया की कंपनी है और क्विक हील भारतीय कंपनी है. रिपोर्ट में क्या लिखा है, पहले आपको वो बताते हैं.
किसान आंदोलन से जुड़ा वायरस
क्विक हील ने Sarbloh नाम का एक Ransom-ware यानी वायरस डिटेक्ट किया है. क्विक हील की रिपोर्ट के मुताबिक, ये वायरस किसान आंदोलन से जुड़ा हुआ हो सकता है. Sarbloh पंजाबी का शब्द है. ये शब्द लोहे के बड़े बर्तन जैसे कढ़ाही के लिए प्रयोग किया जाता है. धमकी वाले इस वायरस यानी Ransomware को Sarbloh का नाम दिया गया है.
डिजिटल सुरक्षा में सेंध लगाने का रास्ता
ये वायरस ई-मेल पर एक लिंक के जरिए भेजा जा सकता है. जैसे ऑनलाइन शॉपिंग डिस्काउंट या फिर आपकी जरूरत का कोई डॉक्यूमेंट या वीडियो. ये लिंक इस तरह का होगा जिससे आपको इस लिंक पर क्लिक करने के लिए आकर्षित किया जा सके. शोधकर्ताओं ने ऐसे कुछ लिंक भी शेयर किए हैं, जो उन्होंने अपनी रिसर्च के दौरान डिटेक्ट किए. लिंक को देखकर लगता है कि आपको कोई शॉपिंग वाउचर मिला है, लेकिन असल में ये आपकी डिजिटल सुरक्षा में सेंध लगाने का रास्ता है.
ई मेल पर आए इस लिंक पर क्लिक करते ही यह खतरनाक Ransomware आपके फोन या लैपटॉप में घुस जाएगा, जिसके बाद यह Ransomware आपके फोन या लैपटॉप में मौजूद सभी फाइल्स जैसे ऑडियो, वीडियो, डॉक्यूमेंट्स को इन यानी लॉक कर देगा और सभी फाइल्स पर हैकर्स का कब्ज़ा हो जाएगा.
हैकर्स की डिमांड भी अलग
अब आप सोच रहे होंगे कि क्या कोई तरीका है जिससे आपको आपकी लॉक हुई फाइल्स वापस मिल पाएंगी. पहले कई बार देखा गया है कि हैकर्स फाइल्स को लॉक करने के बाद रुपयों की डिमांड करते हैं और रुपये मिलते ही फाइल वापस कर देते हैं. लेकिन यहां इन हैकर्स की डिमांड ही अलग है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, फाइल्स लॉक होने के बाद धमकी वाला एक मैसेज आता है, जो कुछ इस तरह से है-
मैसेज में लिखा होता है कि आपकी फाइल्स लॉक हो गई हैं. ये आपको तब तक नहीं मिलेंगी, जब तक किसानों की मांगे नहीं मान ली जातीं. आपकी फाइल्स, यूजलेस यानी बेकार कर दी गई हैं. इस मैसेज में भारत में सिखों को दबाए जाने की बात कही गई है. मैसेज के अंत में भेजने वाले का नाम लिखा है - Khalsa Cyber Fauj.
Khalsa Cyber Fauj की धमकी का मतलब
आप सोच रहे होंगे कि इस मैसेज और इस धमकी को किसान आंदोलन से जोड़कर क्यों देखा गया है. इसकी दो वजहें हैं. रिसर्च करने वाली कंपनी का कहना है कि इससे पहले किसी तरह के साइबर हमले में Khalsa Cyber Fauj का नाम नहीं आया है और ये पहली बार है कि कोई कृषि कानून वापस लेने की धमकी देते हुए साइबर अटैक करे.
किसान आंदोलन और इस वायरस वाली धमकी का कनेक्शन जुड़ने की और भी कई वजहें हैं. किसान आंदोलन से जुड़ी सोशल मीडिया टीमों के माध्यम से इस वायरस और Khalsa Cyber Fauj के बारे में जानकारी शेयर की गई है.
कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स हैं जो किसान आंदोलन के प्रचार प्रसार के लिए खासतौर पर बनाए गए हैं. दिल्ली के बॉर्डर्स पर बैठे किसानों के टेंट के साथ ही इनके वॉर रूम भी बने हुए हैं. कई ट्विटर अकाउंट्स ने डिजिटल धमकी वाले इस तरीके का स्वागत भी किया है.
धमकाने का डिजिटल तरीका
आपने फिल्मों में देखा होगा कि पहले धमकी देने के लिए या फिरौती मांगने के लिए हीरोइन को किडनैप कर लिया जाता था या किसी बच्चे का अपहरण कर लिया जाता था. उसके बाद विलेन फोन करके पैसों की डिमांड करता था. एक सुनसान जगह पर बुलाकर रुपयों से भरा सूटकेस मांगता था या अपनी मांगें बताई जाती थी. लेकिन अब ये तरीका बदल गया है. अब धमकी देने का तरीका भी डिजिटल है और किडनैपिंग भी डिजिटल ही है. अब आपकी सबसे कीमती चीज़ आपके मोबाइल फोन और आपके डेटा को किडनैप करने की साज़िश की जा रही है. सोचिए कि आपका मोबाइल फोन या लैपटॉप कोई लॉक कर दे और उसे तब तक न खोले जब तक आप उसकी मांगे न मान लें, तो आप क्या करेंगे.
अगर लैपटॉप या डेस्कटॉप इस वायरस को डिटेक्ट न कर पाए तो क्या होगा?
अगर आपका लैपटॉप या डेस्कटॉप इस वायरस को डिटेक्ट न कर पाए, तो क्या हो सकता है. आपकी पिक्चर्स, वीडियो, आपके कॉन्टैक्ट यानी आपकी लगभग सारी जानकारी हैकर्स तक पहुंच गई, आपकी प्राइवेसी अनलॉक हो गई और आपका फोन या लैपटॉप लॉक हो गया. इसे आप तब तक इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे जब तक हैकर न चाहे. ये न केवल आपकी सुरक्षा के लिए, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है. ये ऐसा साइबर अटैक है जिसे दुनिया के किसी भी कोने से बैठकर अंजाम दिया जा सकता है और आपकी जानकारी तब तक लॉक रहेगी. जब तक किसानों की मांगे न मान ली जाएं.
मोबाइल फोन या लैपटॉप को बंधक बनने से कैसे बचा सकते हैं
क्या आप अपने मोबाइल फोन या लैपटॉप को बंधक बनने से बचा सकते हैं. आपके पास क्या तरीके हैं. अब हम आपको इस बारे में बताते हैं.
-अगर आपके फोन या लैपटॉप पर ई-मेल के जरिए ऑनलाइन शॉपिंग से जुड़ा किसी आकर्षक ऑफर का लिंक आए , तो उस पर क्लिक करने से पहले ई-मेल आईडी को एक बार देख लें कि क्या यह ई-मेल उस कंपनी की आधिकारिक ई-मेल आईडी से आया है या नहीं.
-अगर ई-मेल कंपनी की आधिकारिक Email ID से नहीं आया है, तो लिंक पर क्लिक न करें.
-अपने कम्प्यूटर या लैपटॉप में एंटी वायरस प्रोटेक्शन को हमेशा ON रखें और उसे समय समय पर अपडेट करते रहें.
-अगर आपका Internet Browser किसी वेबसाइट को Unsafe बताता है तो उसे बिल्कुल ओपन न करें.
-अगर आपके पास कोई ऐसा लिंक आया है जिस पर आपको संदेह है तो उसकी शिकायत साइबर सेल से करें, जिससे आप अपने साथ साथ और लोगों को भी बचा सकते हैं.
-आप केंद्र सरकार के पोर्टल Cybercrime.Gov.in पर भी शिकायत कर सकते हैं.
-इसके अलावा आप नेशनल हेल्पलाइन 155260 पर कॉल कर सकते हैं. ये हेल्पलाइन सुबह 9 से शाम 6 बजे तक काम करती है.
-इस RansomWare के बारे में हमने भारत सरकार के इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय से भी जानकारी हासिल की है.
-मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इस वायरस के बारे में 9 मार्च को एक अलर्ट जारी किया गया है और अब ज्यादातर एंटी वायरस सॉफ्टवेयर इस वायरस को डिटेक्ट कर पा रहे हैं. अभी तक इस RansomWare से किसी नुकसान की सूचना नहीं आई है.