DNA ANALYSIS: कोरोना से जंग में इम्युनिटी ही 'आखिरी हथियार'?
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DNA ANALYSIS: कोरोना से जंग में इम्युनिटी ही 'आखिरी हथियार'?

वैक्सीन के अभाव में सिर्फ आपकी इम्युनिटी ही आपकी रक्षा कर पाएगी और यही वजह है कि इम्युनिटी आज के जमाने की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है. 

DNA ANALYSIS: कोरोना से जंग में इम्युनिटी ही 'आखिरी हथियार'?

नई दिल्ली: अमेरिका के बहुत बड़े संस्थान M.I.T के रिसर्चर्स ने एक स्टडी में दावा किया है कि अगर इस साल के अंत तक कोविड 19 की कोई वैक्सीन नहीं बन पाई तो वर्ष 2021 के शुरुआती महीनों में भारत में प्रतिदिन कोरोना वायरस के 2 लाख 87 हजार नए मामले सामने आएंगे. दूसरे नंबर पर अमेरिका होगा जहां प्रतिदिन 95 हजार नए मामले सामने आएंगे और 2021 के मई महीने तक पूरी दुनिया में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या करीब 25 करोड़ हो जाएगी.

यानी वैक्सीन के अभाव में सिर्फ आपकी इम्युनिटी ही आपकी रक्षा कर पाएगी और यही वजह है कि इम्युनिटी आज के जमाने की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है. क्योंकि जिसके पास इम्युनिटी है वो सभी तरह के संकट का सामना कर सकता है और कोरोना वायरस से संघर्ष के इस दौर में विजयी बनकर निकल सकता है. आज की तारीख में इम्युनिटी ही आपका सबसे बड़ा पासपोर्ट है, क्योंकि इसी के आधार पर आपको लॉकडाउन से आजादी मिलेगी, यही भविष्य की नौकरियों का आधार है, भविष्य की राजनीति भी उन्हीं नेताओं की होगी जो लोगों को स्वस्थ बनाने की दिशा में काम करेंगे. कुल मिलाकर आज के जमाने का ईंधन आपका स्वास्थ्य है और जिसके पास स्वास्थ्य की पूंजी है वो ही सही मायने में दौलतमंद है.

इसलिए इम्युनिटी को लेकर ही इस समय मानव जाति के इतिहास का सबसे बड़ा विज्ञापन अभियान चलाया जा रहा है.

इसलिए पूरी दुनिया के स्वास्थ्य विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और डॉक्टर इस समय इम्युनिटी पर दांव खेल रहे हैं. कोविड 19 के खिलाफ दो तरह की इम्युनिटी काम कर रही है. पहली इम्युनिटी वो है जो कोरोना वायरस के शिकार हुए व्यक्ति के शरीर में बनती है. जबकि दूसरी इम्युनिटी वो है जिसे आप वायरस से संक्रमित हुए बिना हासिल करने की कोशिश करते हैं. इनमें वो दवाएं, जड़ी-बूटियां, फल, सब्जियां, दूध, दही और खान-पान की दूसरी सामग्री शामिल हैं जो आपके शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाने का काम करती हैं.

यानी इस तरह के वायरस से लड़ने में सक्षम पहला और आखिरी हथियार इम्युनिटी ही है. अब ये इम्युनिटी चाहे वैक्सीन और दवाओं से आए, या फिर पौष्टिक खान-पान से.

इम्युनिटी बूस्टर प्रोडक्स की मांग बढ़ी
यही वजह है कि इस समय बाजार में ऐसी कई आयुर्वेदिक और होमियोपैथिक दवाएं और जड़ी-बूटियों के साथ-साथ ऐसे किस्कुट, स्नैक्स, नमक, पानी और यहां तक कि मिठाइयां भी उपलब्ध हैं. जिनके बारे में उत्पादन करने वाली कपंनियां दावा करती हैं कि ये उत्पाद इम्युनिटी बढ़ाते हैं. अंग्रेजी में इन्हें इम्युनिटी बूस्टर कहते हैं. हालांकि सरकार ने साफ किया है कि वो इन तमाम दावों पर नजर रख रही है और अगर ये दावे झूठे या भ्रामक निकले तो कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

फिर भी लॉकडाउन के दौरान इम्युनिटी बढ़ाने का दावा करने वाले प्रोडक्ट्स की मांग 20 से 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है.

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पहले के मुकाबले 6 गुना ज्यादा लोग इन प्रोडक्ट्स के बारे में ऑनलाइन सर्च कर रहे हैं. इनमें सबसे आगे है आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जैसे गिलोय, अश्वगंधा और तुलसी. जबकि विटामिन C के बारे में भी लोग पहले से ज्यादा सर्च कर रहे हैं.

यहां तक कि इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी जो कॉन्टेंट सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं और जिन्हें सबसे ज्यादा शेयर किया गया वो इम्युनिटी बढ़ाने से जुड़े कॉन्टेंट हैं. इसके अलावा च्यवनप्राश, हेल्थ सप्लीमेंट्स और हेल्थ बार जैसे प्रोडक्ट्स की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है.

बाजार में इन प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ी
भारत के लोगों को खाने-पीने का शौकीन माना जाता हैं. इसलिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की इच्छा रखने के बावजूद भारत के लोग अपना स्वाद नहीं छोड़ना चाहते. इसलिए अब गुजरात के खाखरा और पश्चिम बंगाल की मशहूर मिठाई सोंदेश का भी इम्युनिटी बूस्टर वर्जन बाजार में आ गए हैं.

गुजरात में इम्युनिटी बूस्टर खाखरा बनाने वाली कंपनी का दावा है कि इसमें नींबू, अदरक, हल्दी और तुलसी का इस्तेमाल किया गया है. इतना ही नहीं गुजरात में कुछ दुकानदार हल्दी से बना केक भी बेच रहे हैं. कोरोना धूप भी मार्केट में आ चुकी है जिसके बारे में दावा है कि इसमें शामिल जड़ी-बूटियों से निकलने वाला धुआं फेफड़ों की क्षमता को बेहतर बनाता है. 

पश्चिम बंगाल की सरकार प्रसिद्ध बंगाली मिठाई सोंदेश को भी नए रंग-रूप में बेचने जा रही है. इस सोंदेश के बारे में दावा है कि इसे सुंदरबन से निकाले जाने वाले शहद से तैयार किया गया है और इसमें कोई भी आर्टिफिशियल फ्लेवर नहीं है. इसे आरोग्य सोंदेश नाम दिया गया है.

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यहां तक कि अब सेनेटाइजर और दूसरे हेल्थ प्रोडक्ट्स का निर्माण करने वाली कंपनियां थोटे पाउच यानी शैसे में आने वाला सेनेटाइजर भी लॉन्च कर रही हैं. इनकी कीमत 50 पैसे से 1 रूपये के बीच है. मार्च महीने में ही सेनेटाइजर्स की डिमांड 4 गुना बढ़ गई थी और 152 नई कंपनियां बाजार में उतर आई थीं.

कुछ कंपनियां तो ऐसे प्रोडक्ट्स भी बाजार में उतार चुकी हैं जिनसे फलों और सब्जियों को साफ किया जा सकता है. क्योंकि लोगों को अक्सर ये डर रहता है कि जो फल और सब्जियां वो बाजार से ला रहे हैं कहीं उनसे कोरोना वायरस का संक्रमण ना हो जाए.

मार्केट रिसर्चर निएल्सन (Market Researcher Nielsen) के मुताबिक एक सर्वे में 56 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने माना है कि वो अब स्वास्थ्य वर्धक वस्तुओं पर ज्यादा पैसे खर्च करेंगे और अपने स्वास्थ्य का अधिक ध्यान रखेंगे. फिटनेस और मेडिकल इंश्योरेंस पर बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करेंगे.

प्राचीन चिकित्सा पद्धति की तरफ बढ़े लोग
इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सिर्फ भारत की ही इन वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों का इस्तेमाल नहीं हो रहा. बल्कि इसमें चीन जैसे देश भी शामिल हैं. चीन की प्राचीन चिकित्सा पद्धति पर आधारित कुछ दवाओं की मांग पूरी दुनिया में बढ़ गई है. कोविड 19 से लड़ने का दावा करने वाली एक दवा जो चीन में सिर्फ 250 रुपये में बनकर तैयार हो जाती है वो ब्रिटेन जैसे देश के बाजारों में ढाई हजार रुपये में बिक रही हैं.

यानी मेडिसिन से लेकर मसाले और जड़ी बूटियां तक से आपकी इम्युनिटी बढ़ाने का दावा किया जा रहा है. कहा जाता है कि इम्युनिटी बूस्टर्स सबसे पहले आपके तनाव और थकावट को कम करते हैं और जैसे ही आप तनाव मुक्त होते हैं आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने लगती है. 

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दुनिया के कई देशों में कोरोना वैक्सीन को लेकर रिसर्च चल रही है. लेकिन दुनिया के पास इतना वक्त नहीं है कि वो वैक्सीन के इंतजार में बैठी रहे. इसलिए कोरोना से बचने के लिए लोग अपनी इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं. जिसने बाजार को भी नई पावर दे दी है.

इम्युनिटी बूस्टर सप्लीमेंट्स की डिमांड बढ़ी
हैंडवॉश, सेनिटाइजर, और मास्क के बाद अब अगर किसी चीज की डिमांड सबसे ज्यादा है तो वो है - इम्युनिटी बूस्टर सप्लीमेंट्स की जिसमें बड़ी हिस्सेदारी आयुर्वेदिक औषधियों की है.

औषधीय गुणों से भरपूर जो हल्दी वाला दूध आपकी मां आपको बीमार पड़ने पर आपको पिलाती है. वो हल्दी वाला दूध अब दैनिक जीवन का हिस्सा बन गया है. जो जीरा भारतीय खाने का स्वाद बढ़ाता है उसके गुण पूरी दुनिया गा रही है. जिस अदरक तुलसी वाली चाय पीने से ताजगी का एहसास होता है. वो अब इम्यून पावर को मजबूत करने के लिए मशहूर हो गई है. ये तो महज कुछ नाम है. पूरी दुनिया में इम्युनिटी बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक उत्पाद अब लोग पहले के मुकाबले काफी ज्यादा खरीद रहे हैं. जिनकी बाजारों में भरमार है.

भारत में तो पहले भी लोग गंभीर बीमारियों के अलावा रोजमर्रा की सेहत को अच्छा रखने के लिए आयुर्वेद को अपनाते रहे हैं. लेकिन अब मार्केट ने भी समझ लिया है कि अगर किसी चीज को बेचना है तो उसमें इम्युनिटी पावर बढ़ाने वाली चीजें जरूर होनी चाहिए. फिर चाहे वो गुजरात का कोरोना इम्युनिटी बूस्टर खाखरा हो या बंगाल की प्रसिद्ध मिठाई, संदेश. जिसका इम्युनिटी बूस्टर वर्जन बाजार में लॉन्च हो चुका है.

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