DNA ANALYSIS: परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक डॉ. होमी जहांगीर भाभा जिनकी मौत आज तक है रहस्य
जिस समय भारत में लोग परमाणु ऊर्जा के बारे में जानते तक नहीं थे, उस दौर में डॉक्टर भाभा (Dr. Homi Jehangir Bhabha) ने भारत को परमाणु शक्ति (Nuclear Power) संपन्न राष्ट्र बनाने का सपना देखा था. आज परमाणु शक्ति के मामले में भारत जहां भी खड़ा है, उसकी नींव डॉक्टर भाभा ने ही रखी थी.
नई दिल्ली: आज भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न शक्तिशाली देश है और इसकी वजह हैं हमारे देशभक्त वैज्ञानिक. इनमें सबसे बड़ा नाम है, डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा (Dr. Homi Jehangir Bhabha) का. डॉक्टर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई में हुआ था. जिस समय भारत में लोग परमाणु ऊर्जा के बारे में जानते तक नहीं थे, उस दौर में डॉक्टर भाभा ने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने का सपना देखा था. आज परमाणु शक्ति के मामले में भारत जहां भी खड़ा है, उसकी नींव डॉक्टर भाभा ने ही रखी थी. उन्हें भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम (Nuclear Power Programme) का जनक भी कहा जाता है.
- भारत की आजादी से पहले मार्च 1944 में ही उन्होंने, भारत में Nuclear Research Programmes की शुरुआत कर दी थी.
- वर्ष 1945 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के गठन के साथ ही भारत में न्यूक्लियर रिसर्च की शुरुआत हो गई थी और डॉ. भाभा इस इंस्टीट्यूट के पहले डायरेक्टर थे.
- डॉ. होमी जहांगीर भाभा को भारत के न्यूक्लियर प्रोग्राम का जनक माना जाता है. वो देश के दो बड़े शोध संस्थानों Tata Institute of Fundamental Research और Trombay Atomic Energy Establishment के संस्थापक थे.
- वर्ष 1966 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु के बाद Trombay में स्थित Atomic Centre का नाम, उनके नाम पर Bhabha Atomic Research Centre रखा गया था.
भारत के महान वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा ने वर्ष 1965 में कहा था कि अगर उन्हें मौका मिले तो वो सिर्फ 18 महीने में परमाणु बम बना सकते हैं. आप समझ सकते हैं कि डॉक्टर भाभा कितने महान वैज्ञानिक थे और वो कितना बड़ा काम कर सकते थे.
विमान हादसे में देश ने अपने महान वैज्ञानिक को खो दिया
हालांकि वर्ष 1966 में फ्रांस में हुए एक विमान हादसे में देश ने अपने महान वैज्ञानिक को खो दिया. कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ये विमान हादसा एक अंतरराष्ट्रीय साजिश थी. उस वक्त दुनिया के कई देश भारत के परमाणु कार्यक्रम को रोकना चाहते थे. इसलिए कई लोग मानते हैं कि ये हादसा नहीं था, बल्कि डॉक्टर भाभा को मारने की सोची-समझी एक साजिश थी. डॉक्टर भाभा भारत के सबसे छोटे अल्संख्यक समुदाय से आते थे. वो पारसी थे और आज उनके समुदाय के सिर्फ 69 हजार लोग इस समय भारत में हैं.
पारसी समुदाय के लोग एक जमाने में ईरान से भागकर भारत आए थे. लेकिन इस समुदाय के लोगों ने कभी भारत पर अतिक्रमण नहीं किया, बल्कि भारत के इतिहास में ऐसे कई पारसी रहे हैं जिन्होंने भारत को दुनिया की एक बड़ी शक्ति बनाने के लिए मेहनत की और डॉक्टर भाभा उन्ही में से एक थे.
भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने का सपना
18 मई 1974 को भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था. इसके बाद 11 मई 1998 भारत ने दूसरा परमाणु परीक्षण किया.
ये वो तारीखें हैं जब एक परमाणु धमाके की गूंज के साथ दुनिया ने भारत की शक्ति को महसूस किया. 18 मई 1974 को भारत ने पहली बार परमाणु परीक्षण किया था. लेकिन भारत के वो महान वैज्ञानिक जिन्होंने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने का सपना देखा और भारत में परमाणु तकनीक की नींव रखी, वो 8 वर्ष पहले ही दुनिया को छोड़ चुके थे.
Father of Indian Nuclear Programme यानी भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा का निधन करीब 54 वर्ष पहले 24 जनवरी 1966 को एक फ्रांस के माउंट ब्लैंक में एक प्लेन क्रैश में हुआ था.
भाभा की संदिग्ध मौत
डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा की संदिग्ध मौत से भारत के परमाणु कार्यक्रम को बड़ा झटका लगा. माना जाता है कि कुछ विदेशी ताकतें ये नहीं चाहती थी कि भारत परमाणु तकनीक का विकास करे इसीलिए एक साजिश के तहत डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा को प्लेन क्रैश में मरवा दिया गया.
वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के Mount Blanc में एक स्मारक का उद्घाटन किया. ये स्मारक डॉक्टर भाभा के साथ साथ उन 165 लोगों की याद में बनाया गया जो इसी इलाके में वर्ष 1950 और वर्ष 1966 में हुए विमान हादसों में मारे गए थे.
भाभा का जाना, भारत के लिए एक बहुत बड़ा झटका था. होमी जहांगीर भाभा दुनिया के मशहूर भौतिक शास्त्रियों में से एक थे. जिस वक्त उनकी मौत हुई वो भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष थे.
विमान हादसे की वजह के बारे में कोई साफ-साफ वजह आज तक सामने नहीं आ सकी है लेकिन वर्ष 1966 में क्रैश हुए बोइंग 707 के बारे में कहा जाता है कि 'विमान का पायलट उस वक्त जिनेवा एयरपोर्ट को अपनी सही पोजिशन बताने में नाकाम रहा था और विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया.'
इन हादसों में दिवंगत हुए लोगों को सम्मान तो मिला है लेकिन डॉक्टर भाभा की मौत के रहस्य से पर्दा उठना आज भी बाकी है.